Mahabharat In Hindi: कंस मथुरा का राजा था. कंस के अत्याचारों से मथुरावासी बहुत परेशान थे. कंस अपनी जनता को सदैव परेशान करता रहता था. कंस के अत्याचारों को सहने के अतिरिक्त मथुरावासियों के पास कोई दूसर विकल्प नहीं था, क्योंकि कंस बहुत शक्तिशाली था, उसके पास कई खतरनाक राक्षस थे. इन राक्षसों में एक था बकासुर. कंस का यह सबसे खतरनाक राक्षस था. जिसके आगे आगे अच्छे अच्छे शूरवीर भी घबरा जाते थे. बकासुर एक मायवी राक्षस था जिसे पराजित करना मुमकिन नहीं था.


भगवान श्रीकृष्ण जैसे जैसे बड़े हो रहे थे उनकी ख्याति पूरे मथुरा में फैलने लगी थी. कंस भी को भी भगवान श्रीकृष्ण पर शक होने लगा था. भगवान के जन्म से पूर्व हुई भविष्यवाणी के कारण उसका दिन का चैन और रात की नींद उड़ गई थी. कंस को प्रतीत होने लगा था कि नंदराय का पुत्र ही देवकी के गर्भ से जन्मा आठवां बालक है. जो उसका वध करेगा. इस कारण वह कृष्ण को मारने के लिए कोई न कोई षड्यंत्र रचता रहता था.


एक दिन कंस ने भगवान श्रीकृष्ण को मारने के लिए अपने सबसे खास और खतरनाक राक्षस बकासुर को वृन्दावन को भेजा. बकासुर ने भगवान को मारने के लिए बगुले का रूप रख लिया और जहां वे अपने साथियों के साथ गाय को चरा रहे थे वहीं पर पहुंच गया. विशाल बगुला को देखकर भगवान श्रीकृष्ण के सभी सखा घबरा गए और घर की तरफ भागने लगे. लेकिन भगवान श्रीकृष्ण वहां से नहीं हिले और बगुले के तरफ देखने लगे. श्रीकृष्ण के सभी मित्रों ने उनसे वहां से भाग निकलने के लिए कहा. लेहिन भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि वे कायरों की तरह नहीं भागेंगे.


श्रीकृष्ण ने यमुना के किनारे बगुले को रोक लिया. क्योंकि वे नहीं चाहते थे कि वह किसी गाय को अपना शिकार बनाए. लेकिन जब बगुला नजदीक आया तो भगवान ने समझ लिया कि यह कोई राक्षस है. वे बगुले के पास जा पहुंचे और उसकी गरदन पकड़ ली. भगवान की पकड़ से उसे सांस लेने में दिक्कत होने लगी वह धरती पर गिर गया. मौका पाकर भगवान उसके पेट में प्रवेश में कर गए. ग्वालों ने समझा कि बगुले ने कृष्ण को निगल लिया है वे परेशान होकर घरों तरफ चिल्लाते हुए भागने लगे. उधर श्रीकृष्ण ने पेट में पहुंचकर इतनी गर्मी पैदा कर दी कि एक बार फिर बगुला परेशान हो गया और उसने अपना मुख खोल दिया तभी भगवान बाहर निकल आए.


गर्मी के कारण बगुल जमीन पर गिर गया, गिरते ही राक्षस अपने असली रूप में आ गया. राक्षस को देख सभी लोग भयभीत हो गए. तभी भगवान श्रीकृष्ण ने बकासुर का वध कर दिया. राक्षस के मरते ही सभी लोग प्रसन्न हो गए और भगवान श्रीकृष्ण को गोद में उठा लिया. इस प्रकार बकासुर का अंत हो गया. कंस को जैसे ही बकासुर की मृत्यु की खबर मिली वह घबरा गया.


Chanakya Niti: ऐसे व्यक्ति से सदैव रहना चाहिए सावधान, नहीं तो उठाना पड़ता है नुकसान