Mahabharat: हनुमान ने भीम के अंहकार को जब कर दिया चकनाचूर, दिखाया विराट रूप
Mahabharat In Hindi: महाभारत की कथा में एक प्रसंग आता है जब भीम को अंहकार हो जाता है. इस अंहकार को तोड़ने के लिए स्वयं हनुमान को आना पड़ता है. फिर क्या होता है आइए जानते हैं.
Bheem And Hanuman Story: महाभारत की कहानी में भीम एक प्रमुख पात्र के रूप में नजर आते हैं. भीम बेहद बलशाली और युद्ध कौशल में निपुण थे. शक्तिशाली होने पर भीम एक बार अंहकार को हो गया है. इस अंहकार को दूर करने के लिए हनुमान जी ने एक लीला रची. जब भीम को सच्चाई ज्ञात हुई तो उन्हें अपनी गलत का अहसास हुआ और हनुमान जी से क्षमा. इसके बाद हनुमान जी ने प्रसन्न होकर भीम को अपना विराट रूप दिखाया.
द्रौपदी ने भीम को पुष्प लाने का दिया आदेश पांडव जब वनवास भोग रहे थे. पांचों पांडवों को अज्ञातवास में रहना पड़ा. इस दौरान पांडवों को वेश बदलकर भी रहना पड़ा. द्रौपदी भी पांडवों के साथ थीं. द्रौपदी एक आश्रम में रहकर समय व्यतीत करने लगीं. एक दिन जब वे आश्रम में बैठी हुईं थी तो एक पुष्प उड़कर उनके पास आ गया. पुष्प की सुगंध द्रौपदी पसंद आ गई. तब उन्होंने भीम को बुलाकर इस पुष्प को लाने के लिए कहा. द्रौपदी की इच्छा को पूरा करने के लिए भीम पुष्प की खोच में निकल पड़े. पुष्प की सुगंध जिस दिशा से आ रही थी भीम उसी दिशा की ओर चलने लगे. पुष्प की खोज करते हुए भीम एक वन के द्वार पर जा पहुंचे. वन में जैसे ही भीम ने प्रवेश करने का प्रयास किया तो उनकी नजर रास्ते में लेटे वानर पर पड़ी. भीम ने वानर से आग्रह किया कि वे रास्ते से हट जाएं. लेकिन वानर ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.
भीम को वन के द्वार पर मिला एक वानर वानर से भीम ने पुन: हट जाने को कहा लेकिन इस बार वानर ने कहा कि वह बहुत कमजोर है, वह हिल नहीं सकता है इसलिए लांघ कर निकल जाओ. वानर के इस व्यवहार से भीम को क्रोध आ गया और अपनी शक्तियों के बारे में बताने लगे. भीम ने वानर को अपना परिचय दिया कि वे कुंती पुत्र हैं और पवन उनके पिता है. हनुमान का भाई हूं. लेकिन ये सब सुनकर भी वानर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा. भीम का क्रोध बढ़ने लगा और उन्होंने वानर से कहा कि अधिक क्रोध न दिलाए नहीं तो परिणाम भुगतने होंगे.
वानर के रूप में प्रकट हुए हनुमान वानर ने भीम से कहा कि यदि अधिक जल्दी है तो वह पूूंछ उठाकर जा सकते हैं. भीम ने गुस्से में आकर वानर की पूंछ हटाने की कोशिश की लेकिन वे इसे हिला भी नहीं पाए. तब भीम को अभास हुआ कि ये कोई साधारण वानर नहीं है. भीम हाथ जोड़कर खड़े हो गए और वानर से परिचय पूछा. तब भी वानर ने भीम को बताया कि वह कोई और नहीं बल्कि हनुमान हैं.
हनुमान ने भीम का रास्ता रोकने का कारण बताया भीम हनुमान जी को देखकर चकित रह गए और हाथ जोड़कर खड़े हो गए. तब हनुमान जी ने भीम को बताया कि आगे विशेष वन है.यह रास्ता देवताओं का है और यह मनुष्यों के लिए सुरक्षित नहीं है. इसलिए उन्हें तुम्हारी रक्षा के लिए आना पड़ा. भीम को हनुमान जी ने उस पुष्प के बारे में बताया कि वहां से वह पुष्प ले सकते हो. पुष्प लेने के बाद हनुमान जी ने भीम से कहा कि अब तुम यहां जा सकते हो.
हनुमान जी ने भीम को दिया आर्शीवाद भीम ने हनुमान जी से आज्ञा लेने से पहले अपनी एक इच्छा रखी. भीम ने हनुमान जी को विराट रूप में देखने की इच्छा व्यक्त की. भीम के कहने पर हनुमान जी ने विराट रूप धारण किया. दर्शन करने के बाद भीम ने हनुमान जी का आर्शीवाद लिया. हनुमान जी ने भीम को गले से लगाया, हनुमान जी के गले लगाने से भीम की शक्ति और बढ़ गई. हनुमान जी भीम को महाभारत के युद्ध में विजय का आर्शीवाद दिया.
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