Mahabharat: धृतराष्ट्र के इस पुत्र का वध कर भीम हुए थे बहुत दुखी, जानें क्या थी इसकी वजह
Mahabharat In Hindi: महाभारत का युद्ध कौरवों और पांडवों के मध्य लड़ा गया. लेकिन ऐसा नहीं है कि सभी कौरव पांडवों से नफरत करते थे. धृतराष्ट्र के सौ पुत्रों में एक पुत्र ऐसा भी था जिसने पांडवों पर किए जा रहे अत्याचार का विरोध किया था.
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Mahabharat: महाभारत का युद्ध धृतराष्ट्र के पुत्र मोह और दुर्योधन की महत्वाकांक्षाओं का परिणाम था. महाभारत का युद्ध सबसे विनाशकारी युद्धों में से एक माना जाता है. दुर्योधन के सौ भाई थे. लेकिन एक भाई ऐसा भी था जो दुर्योधन के अनुचित कार्यों का खुलकर विरोध करता था. दुर्योधन के इस भाई का नाम विकर्ण था. विकर्ण कौन था
विकर्ण धृतराष्ट्र के सौ पुत्रों में से एक था. जो महारथी होने के साथ-साथ न्यायप्रिय और विद्वान व्यक्ति था. द्रोपदी चीरहरण का विरोध करने के बाद भी जब महाभारत का युद्ध आरंभ हुआ तो विकर्ण ने भाई धर्म का पालन करते हुए कौरवों की तरफ से पांडवों से युद्ध किया.
विकर्ण ने द्रोपदी के चीर हरण का विरोध किया था शकुनि के कहने पर कौरवों और पांडवों बीच जुआ का खेल आरंभ हुआ. युधिष्ठिर ने जुए में सब कुछ दांव पर लगा दिया. जब उनके पास कुछ भी शेष नहीं बचा तो अंत में उन्होंने द्रोपदी को ही दांव पर लगा दिया. युधिष्टर द्रोपदी को भी जुए में हार गए तो द्रोपदी को सभा में बुलाया गया. दरबार में जब सभी लोग सिर झुका कर इस अत्याचार को देख रहे थे तब कौरवों की तरफ से विकर्ण ही वो व्यक्ति था जिसने द्रोपदी को सभा में बुलाने का विरोध किया था. जबकि इस सभा में राजा धृतराष्ट्र, भीष्म पितामह, द्रोणाचार्य, कुलगुरु कृपाचार्य भी उपस्थित थे.
दुर्योधन और दुशासन का विरोध किया दरबार में जब सभी मूक दर्शक बने थे तब विकर्ण ही था जिसने अपने भाई दुर्योधन और दुशासन के इस कृत्य की जमकर आलोचना की और अनुचित बताया. विकर्ण ने कहा कि आज अगर इस कृत्य को नहीं रोका गया तो भविष्य में इसके भयंकर परिणाम भुगतने पड़ेगे. अंत में विकर्ण की यह आंशका सच साबित हुई है.
विकर्ण का वध करने के बाद भीम को हुआ था दुख महाभारत के युद्ध में जब भीम का सामना विकर्ण से हुआ तो पहले तो भीम विकर्ण से युद्ध नहीं करना चाहते थे. तब विकर्ण ने भीम से कहा वह जानते हैं कि कौरवों की हार होनी है. लेकिन वह सिर्फ अपना कत्र्तव्य निभा रहे हैं और कत्र्तव्य का पालन करने के कारण ही उन्हें युद्ध करना पड़ेगा. द्रोपदी के अपमान पर विकर्ण का कहना था कि उस समय जो उचित था वही किया और हर गलत कार्य पर ऐसे ही प्रतिक्रिया देनी चाहिए. विकर्ण ने भीम से कहा आप परेशान न हों शस्त्र उठाएं, यही धर्म कहता है. इसके बाद भीम और विकर्ण में भीषण युद्ध हुआ और अंत में भीम न चाहते हुए भी विकर्ण का वध करना पड़ा. जिसका बाद में भीम को बहुत दुख भी हुआ.
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