Mahabharat: क्या था गांधारी का श्राप, जिसके कारण श्रीकृष्ण को भोगना पड़ा कष्ट
Mahabharat Katha: महाभारत की कथा बताती है कि भगवान श्रीकृष्ण को भी श्राप के कारण कष्ट भोगना पड़ा. भगवान श्रीकृष्ण को ये श्राप क्यों और किसने दिया था. आइए जानते हैं.
Mahabharat In Hindi: महाभारत की प्रभावशाली महिला पात्रों जब बात आती है तो उसमें गांधारी का नाम भी लिया जाता है. गांधारी हस्तिनापुर के राजा धृतराष्ट्र की पत्नी और दुर्योधन की मां थी. शकुनि गांधारी का भाई था. गांधारी का संबंध गांधार से था जिसे आज कंधार कहा जाता है. जो अफगानिस्तान में स्थित है. गांधारी के पिता का नाम सुबल था. गांधार राज्य से संबंध होने के कारण ही गांधारी कहा जाता था. राजा धृतराष्ट्र के अंधा होने के कारण विवाहोपरांत ही गांधारी ने भी आंखों पर पट्टी बांध ली थी. गांधारी पतिव्रता स्त्री थीं.
गांधारी को श्रीकृष्ण पर आया क्रोध महाभारत के युद्ध में कौरवों की पराजय हुई थी. महाभारत के युद्ध में गांधारी के सभी 100 पुत्रों की मृत्यु हो गई थीं. महाभारत का युद्ध जब समाप्त हुआ है और महल में जब गांधारी ने अपने सभी पुत्रों के शवों को देखा तो वह क्रोध में आ गईं. तभी वहां पर भगवान श्रीकृष्ण आए जो शोक व्यक्त करने के लिए आए थे. क्योंकि श्रीकृष्ण गांधारी का बेहद सम्मान करते थे. अ
पने पुत्रों के शवों पर विलाप कर रहीं गांधारी ने जैसे ही भगवान श्रीकृष्ण को देखा, उन्होंने अपने पुत्रों की मौत का जिम्मेदार श्रीकृष्ण को ठहराते हुए कहा कि कौरव पुत्रों का कभी नाश नहीं होता यदि उनके खिलाफ षड्यंत्र न रचा जाता है. इस षड्यंत्र का जिम्मेदार उन्होंने श्रीकृष्ण को बताते हुए कहा कि श्रीकृष्ण यदि चाहते तो ये युद्ध टाला जा सकता था. लेकिन श्रीकृष्ण ने ऐसा नहीं किया. तब गांधारी ने भगवान श्रीकृष्ण को उनके वंश के नाश होने का श्राप दे दिया. जिसे भगवान श्रीकृष्ण ने सहर्ष स्वीकार किया और वहां से वापिस लौट आए.
भगवान श्रीकृष्ण की डूब गई द्वारका भगवान श्रीकृष्ण युधिष्टिर का राज्याभिषेक कराने के बाद द्वारका लौट आए और अपने परिवार के साथ रहने लगे. महाभारत के युद्ध के 36 साल बाद द्वारका में स्थिति बिगड़ने लगी. प्रतिबंध होेने के बाद भी यहां रहने वालों ने मदिरा का सेवन प्रारंभ दिया और धीरे धीरे अच्छे आचरण, नैतिकता, अनुशासन और सौम्यता का त्याग कर दिया. एक बार एक उत्सव का आयोजन किया गया. जिसमें द्वारका में रहने वाले सभी लोगों ने प्रतिभाग किया, लेकिन मदिरा सेवन करने के बाद सभी लड़ाई करने लगे और एक दूसरे के रक्त के प्यासे हो गए. सभी एक दूसरे की हत्या करने लगे. इसके बाद द्वारका नगरी भी डूब गई.