Mahabharat: इंद्र की अप्सरा उर्वशी के श्राप के कारण अर्जुन को बनना पड़ा था बृहन्नला
Mahabharat In Hindi: महाभारत की कथा में अर्जुन एक शक्तिशाली पात्र के रूप में नजर आते हैं. पांडवों को जब वनवास मिलता है तो उन्हें अपनी पहचान छिपा कर रहना पड़ता है. इस दौरान अर्जुन को एक किन्नर (बृहन्नला) के रूप में रहना पड़ा. इसके पीछे क्या वजह थी, आइए जानते हैं.
Mahabharata Story In Hindi: महाभारत के युद्ध से पहले पांडवों को कई तरह के कष्ट भोगने पड़े. पांडवों को वन में रहना पड़ा. इतना ही नहीं पांडवों को अपनी पहचान को भी छिपाना पड़ा. वनवास के दौरान पांडवों ने वेश बदलकर विराट राज्य में शरण ली. सभी पांडव विराट राजा के यहां वेश बदलकर कार्य करने लगे. द्रौपदी जहां दासी बनकर सेवा करने लगी वहीं अर्जुन को एक वर्ष तक किन्नर बनकर रहना पड़ा.
अर्जुन को महर्षि वेद व्यास ने दी ये सलाह वनवास के दौरान पांडवों को अपनी ताकत को पुन: वापिस पाना था. अपना खोया हुआ राज्य हासिल करने के लिए पांडव दिन रात योजना बनाते, लेकिन कोई हल नहीं निकलता तब अर्जुन ने इस मामले में महर्षि वेद व्यास से सलाह ली. तब व्यास जी ने अर्जुन को दिव्यअस्त्रों और अन्य कलाओं का ज्ञान प्राप्त करने के लिए कहा. महर्षि वेद व्यास की इस सलाह को अर्जुन ने मान लिया और ज्ञान प्राप्त करने के लिए इंद्र लोक आ गए. अर्जुन इंद्र लोक में भगवान इंद्र की अनुमति लेकर सभी दिव्य अस्त्रों और अन्य कलाओं का ज्ञान प्राप्त करने लगे.
इंद्र की अप्सरा उर्वशी ने अर्जुन के समाने रखा विवाह का प्रस्ताव इंद्रलोक में चित्रसेन ने अर्जुन को संगीत और नृत्य की भी शिक्षा दी. एक बार जब अर्जुन नृत्य और गायन की शिक्षा ले रहे थे तो इंद्र की अप्सरा उर्वशी की उन पर नजर पड़ी. अर्जुन को देखकर उर्वशी मोहित हो गई और अर्जुन के सामने विवाह की इच्छा रखी. इस प्रस्ताव को सुनकर अर्जुन ने इंकार कर दिया और विनम्रता से उर्वशी से कहा कि ये संभव नहीं है क्योंकि हमारे पूर्वज ने आपसे विवाह करके हमारे वंश का गौरव बढ़ाया था. इसलिए पुरु वंश की जननी हैं और माता के समान हैं. इसलिए विवाह का विचार का मन से निकाल दें.
उर्वशी ने अर्जुन को दिया श्राप अर्जुन की इस बात को सुनकर उर्वशी को दुख हुआ और क्रोध में आकर अर्जुन को एक वर्ष तक पुंसत्वहीन रहने का श्राप दे दिया. इसी कारण अर्जुन को वनवास के दौरान किन्नर बनकर रहना पड़ा. किन्नर बनने के बाद अर्जुन बृहन्नला कहलाए. अर्जुन ने बृहन्नला बनकर विराट नगर के राजा विराट की पुत्री उत्तरा को एक साल तक नृत्य सिखाया था. बृहन्नला का अर्थ 'श्रेष्ठ' या 'महान मानव' बताया गया है.
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