Story Of Shakuni: महाभारत का युद्ध बेहद विनाशकारी था. महाभारत का युद्ध 18 दिनों तक चला. इन 18 दिनों में कौरवों का नाश हुआ. धृतराष्ट्र को अपने 100 पुत्रों को खोना पड़ा. यहां तक की जीवित ही धृतराष्ट्र और गांधारी को वन गमन को जाना पड़ा. महाभारत का युद्ध करने में जिन लोगों का सबसे अहम योगदान माना जाता है उनमे से एक नाम शकुनि का भी है.


शकुनि गांधारी का भाई और दुर्योधन का मामा था. शकुनि चौसर जो कि लूडो की तरह खेला जाने वाला एक खेल होता है उसका माहिर खिलाड़ी था. इस खेल में शकुनि ने पांडवो को सबकुछ दांव पर लगाने के लिए मजबूर कर दिया था और बाद में इसी खेल के चलते उसने पांडवों का सबकुछ हासिल कर लिया था.


शकुनि कौन था
शकुनि गंधार राज का राजा था. गंधार अफगानिस्तान में स्थित है. ये भी कहा जाता है कि शकुनि धृतराष्ट्र से अंदर ही अंदर नफरत करता था. कहा जाता है कि शकुनि के पिता और उसके 100 भाइयों को धृतराष्ट्र ने बंदी बनाकर कारागार में डाल दिया. इस अत्याचार का शकुनि बदला लेना चाहता था, इसलिए उसने कौरवों का नाश करने की प्रतिज्ञा ली थी.


शकुनि की टांग कैसे टूटी
शकुनि के पिता का नाम सुबल था. जब सुबल और उनके सभी 100 पुत्रों को कारागार में बंदी बनाकर डाल दिया गया था. तो सभी ने ये प्रण किया उन पर किए गए अत्याचार का प्रतिशोध शकुनि लेगा. क्योंकि सभी भाइयों में शकुनि अधिक बुद्धिमान था. धृतराष्ट्र के अत्याचार की याद हमेशा बनी रहे इसके लिए शकुनि के भाइयों ने शकुनि की एक टांग तोड़ दी.


पिता की आत्मा रहती थी शकुनि के पासे में
शकुनि के पिता जब जीवन की अंतिम सांसे ले रहे थे तब उन्होंने शकुनि से कहा कि जब उनकी मृत्यू हो जाए तो रीढ़ की हड्डी से पासे बना लेना. पिता सुबल जानते थे कि शकुनि चौसर का अच्छा खिलाड़ी है. इसलिए उन्होने शकुनि से कहा मेरी हड्डियों से बने पासे सदैव तुम्हारे इशारे पर चलेंगे. क्योंकि इन पासों में उनकी आत्मा का वास होगा. यही कारण था कि पासे शकुनि मन मुताबिक आते थे.


18 वें दिन सहदेव के हाथों हुई थी शकुनि की मृत्यु
महाभारत के युद्ध समाप्त होने के दिन ही यानि 18 वें दिन शकुनि का सहदेव ने वध कर दिया था. शकुनि के पुत्रों का वध अरावन और अर्जुन ने किया था. अरावन अर्जुन के पुत्र थे.


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