Mahabharat: जहरीले कालिया नाग को भगवान श्रीकृष्ण से जब मांगनी पड़ गई माफी
Mahabharat Katha: 25 जुलाई को नाग पंचमी का पर्व है. नाग पंचमी का संबंध महाभारत काल से भी है. नाग पंचमी के दिन ही भगवान श्रीकृष्ण ने कालिया नाग पर विजय प्राप्त की थी.
Mahabharat In Hindi: महाभारत की कथा के भगवान श्रीकृष्ण के प्रमुख पात्र हैं. संपूर्ण महाभारत की कथा के केंद्र में भगवान श्रीकृष्ण ही हैं. धरती पर धर्म की स्थापना के लिए उन्होंने कृष्ण का अवतार लिया और अपनी लीलाओं और दर्शन से सृष्टि को वैभव प्रदान किया.
नाग पंचमी का पर्व नाग देव को समर्पित है. नाग पंचमी के दिन नाग पूजा का विशेष महत्व माना गया है. नाग यानि सांप प्रकृति के एक जरूरी जीव हैं. पारिस्थितिकी संतुलन को बनाए रखने में सांपों का भी अपना विशिष्ट योगदान है. इसलिए नागों की पूजा का विधान है.
यमुना नदी में रहता था कालिया नाग बाल लीला करते हुए भगवान श्रीकृष्ण ने कालिया नाग को घमंड चूर किया था. कथा के अनुसार जब भगवान बाल रूप में माता यशोदा के साथ गोकुल में रहा करते थे तो गोकुल के पास ही बहने वाली युमना नदी में कालिया नाग रहा करता था. कालिया नाग इतना जहरीला था कि उसके जहर से युमना नदी का पानी काला पड़ गया था. नदी के जल को पीने से पशु-पक्षी तुरंत ही मर जाया करते थे. हर कोई इस समस्या से परेशान था. गांव के लोगा अपने जानवरों और बच्चों को नदी की तरफ नहीं जाने देते थे.
यमुना नदी में कूद पड़े भगवान श्रीकृष्ण तब भगवान ने कालिया नाग को सबक सीखाने के लिए एक लीला रची. श्रीकृष्ण एक दिन अपने मित्रों के साथ गेंद से एक खेल, खेल रहे थे.भगवान श्रीकृष्ण गेंद खेलत- खेलते यमुना नदी के किनारे पहुंच गए, तभी अचानक उनकी गेंद नदी में जा गिरी. खेल बीच में ही रूक गया. गेंद लेने के लिए कोई तैयार नहीं हुआ क्योंकि सभी जानते थे कि नदी में कालिया नाग रहता है. जब कोई तैयार नहीं हुआ तो भगवान श्रीकृष्ण ने गेंद उठाने वे ही जाएंगे क्योंकि गेंद उनसे ही नदी में गई है. सभी मित्रों ने ऐसा करने से उन्हें रोका, लेकिन भगवान श्रीकृष्ण नहीं माने और नदी में छलांग लगा दी.
माता यशोदा और गोकुल गांव हो गया परेशान भगवान के नदी के कूदते ही शोर मच गये सभी बच्चे माता यशोदा के पास पहुंचे और पूरी बात बताई. इस खबर से माता यशोदा डर के कारण रोने लगीं और नदी की तरफ दौड़ पड़ी. माता यशोदा के पीछे पीछे पूरा गोकुल गांव नदी की तरफ दौड़ पड़ा. उधर श्रीकृष्ण को देखकर कालिया नाग की पत्नियों ने तुरंत जाने को कहा. लेकिन भगवान ने इंकार कर दिया और उन्हें समझाया कि कुछ नहीं होगा घबराओ नहीं. तभी वहां पर कालिया नाग आ गया. उसने भगवान श्रीकृष्ण से क्रोध में कहा बालक तुरंत यहां से चला जा. लेकिन उल्टा भगवान श्रीकृष्ण ने ही कालिया नाग से कह दिया कि तुम यमुना नदी को छोड़कर चलो जाओ.
कालिया नाग के फन नाचते हुए बाहर निकले भगवान श्रीकृष्ण इस बात से कालिया नाग इतना क्रोधित हुआ कि उसने भगवान श्रीकृष्ण पर ही हमला बोल दिया. श्रीकृष्ण ने भी कालिया नाग को मुंहतोड जवाब दिया. दोनों में भयंकर युद्ध हुआ. नदी में ऊंची ऊंची लहरें उठने लगीं. माता यशोदा और गोकुलवासी घबराने लगे. कालिया नाग ने श्रीकृष्ण पर भयंकर विष से हमला किया लेकिन भगवान पर इसका कोई असर नहीं हुआ.
भगवान कालिया नाग के फन पर खड़े हो गए. तब वह समझ गया कि ये कोई मामूली बालक नहीं हैं, अंत में उसने हाथ जोड़कर भगवान से मांगी और और युमना नदी को छोड़ने का वचन दिया. कालिया नाग के फन पर नाचते और बांसुरी बजाते हुए नदी से बाहर निकले तो यशोदा माता और पूरा गोकुल नाचने गाने लगा. कालिया नाग पर विजय को भी नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है.
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