Mahabharat: कैसे हुई थी पांडवों की मौत और उन्हें स्वर्ग की जगह क्यों मिला नर्क ? जानें
Mahabharat: धर्म का पालन करने के बावजूद पांडवों को नर्क क्यों मिला, क्या आप जानते हैं. आखिर किन गलतियों के कारण पांडवों को नर्क में स्थान मिला, आइए जानते हैं.
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Mahabharat: महाभारत युद्ध में एक तरफ जहां धर्म का पालन करने वाले पांडव थे तो वहीं दूसरी ओर अधर्म की राह पर चलने वाला दुर्योधन खड़ा था. महाभारत के युद्ध में पांडवों ने कौरवों को परास्त कर दिया था लेकिन क्या आप जानते हैं मृत्यु के पश्चात पांडवों को नर्क में स्थान मिला और दुर्योधन स्वर्गलोक को गया. पांडवों में सिर्फ युधिष्ठिर ही थे जिन्हें स्वर्ग प्राप्त हुआ था. आइए जानते हैं आखिर पांडवों को कौन सी गलती की वजह से उन्हें नर्क मिला.
दौपद्री सहित स्वर्ग लोक की यात्रा पर निकले पांडव
महाभारत युद्ध के बाद युधिष्ठिर हस्तिनापुर के राजा बने. 36 साल तक पांडवों ने राज-पाठ संभाला लेकिन यदुवंशियों के नाश और श्रीकृष्ण की मृत्यु की बात जानकर द्रौपदी सहित पांडवों ने सहशरीर स्वर्ग की यात्रा पर जाने का निर्णय लिया. युधिष्ठिर ने सारा राज-पाठ अपने प्रपोत्र परिक्षित को सौंप दिया और निकल पड़े स्वर्गलोक की यात्रा पर.
एक-एक कर रास्ते में गिरकर हुई पांडवों की मृत्यु
महाभारत की कथा अनुसार पांचों पांडव, द्रौपदी और एक कुत्ता भी उनकी स्वर्ग यात्रा में चल रहा था लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से रास्ते में वे द्रौपदी और पांडव एक-एक कर गिरते गए और उनकी मौत हो गई. ग्रंथ के अनुसार सबसे पहले द्रौपदी की मौत हुई क्योंकि वह अपने अन्य पतियों की तुलना में अर्जुन को अधिक प्यार करती थीं.
इन कारणों से पांडवों को मिला नर्क
थोड़ी देर बाद सहदेव भी गिर पड़े, तब भीम ने पूछा सहदेव क्यों गिरा? युधिष्ठिर ने कहा- सहदेव बुद्धि पर काफी घमंड था. कुछ देर बाद नकुल भी गिर पड़े, तब युधिष्ठिर बोले नकुल को अपने रूप पर बहुत अभिमान था, इसलिए आज इसकी यह गति हुई है. इसी तरह अर्जुन अपने पराक्रम के अभिमान के कारण गिर पड़े और उनकी मृत्यु हो गई
युधिष्ठिर सहशरीर स्वर्गलोक को गए
भीम भी रास्ते में गिर पड़े, भीम ने गिरते वक्त युधिष्ठिर से इसका कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि तुम खाते बहुत थे और अपने बल का झूठा प्रदर्शन करते थे, इसलिए आज तुम्हारी ऐसी गति हुई. अंत में युधिष्ठिर के लिए स्वर्ग के द्वार खुल गए, लेकिन उनके साथ कुत्ता भी था जिसे वह स्वर्ग साथ ले जाना चाहते थे. इंद्र इसके लिए राजी नहीं हुए, वहीं युधिष्ठिर भी अपनी बात पर अड़े रहे. आखिर में कुत्ते के रूप में यमराज अपने वास्तविक रूप में प्रकट हो गए. फिर युधिष्ठिर सहशरीर स्वर्ग चले गए.
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