Mahabharat Weapons: महाभारत का युद्ध इतिहास के सबसे बड़े युद्ध में से एक माना जाता है. इस युद्ध में शूरवीरों ने कई प्रकार के अस्त्र-शस्त्र का उपयोग किया था. कहते हैं प्राचीन काल के ये विध्वंसकारी हथियार एक ही वार में पृथ्वी पर प्रलय लाने की क्षमता रखते थे. आइए जानते हैं महाभारत युद्ध के दौरान किन अस्त्र-शस्त्र का प्रयोग हुआ था, क्या है इनकी खासियत.


अस्त्र-शस्त्र क्या है ? (What is Astra- Shastra)


पुराणों के अनुसार जिन हथियारों को मंत्रों के जरिए दूर से दुश्मन पर हमला किया जाता है वह अस्त्र कहलाते हैं. ये अग्नि, गैस, विद्युत तथा यांत्रिक उपायों से संचालित होते थे. गरूड़ास्त्र, आग्नेयास्त्र, ब्रह्मास्त्र, पाशुपतास्त्र, महादेव का त्रिशूल, भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र आदि अस्त्र की श्रेणी में आते हैं. वहीं जो हथियार हाथों से चलाए जाते हैं, यानी कि जिसे हाथ में पकड़कर शत्रु पर प्रहार किया जाता है वह शस्त्र कहलाते हैं. तलवार, गदा, परशु, भाला, आदि शस्त्र के अंतर्गत आते हैं.


ब्रह्मास्त्र (Brahmastra)


इसे परमाणु हथियार के समान घात माना जाता है. ये ब्रह्म देव का महा शक्तिशाली अस्त्र था. कहते हैं कि महाभारत में अर्जुन, कर्ण , श्रीकृष्ण, युधिष्ठिर, अश्वत्थामा और द्रोणाचार्य ब्रह्मास्त्र चलाने का ज्ञान रखते थे. महाभारत युद्ध में जब अश्वथामा ने ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया गया तब गर्भ में पल रहे शिशुओं तक की मौत हो गई थी. अश्वथामा इसे चलाना जानता था लेकिन  उसे इसे वापस लेने की जानकारी नहीं थी. शास्त्रों में बताया गया है इस अस्त्र के विनाश को तभी रोका जा सकता है जब जवाब में दूसरा ब्रह्मास्त्र छोड़ा जाए.


पाशुपतास्त्र


पाशुपतास्त्र भगवान शिव सर्व विनाशक अस्त्र माना जाता है. अर्जुन को ये अस्त्र अपनी तपस्या से शिव जी को प्रसन्न करने के बाद प्राप्त हुआ था. इसकी खूबी थी कि ये एक ही पल में समस्त संसार को तबाह कर सकता था. कहते हैं इसे सिर्फ दुष्टों का संहार करने के लिए ही उपयोग में लिया जा सकता था अन्यथा यह पलटकर इस अस्त्र का प्रयोग करने वाले का ही वध कर देता था. इसे रोकने की क्षमता सिर्फ शिव के त्रिशूल और विष्णु जी के सुदर्शन चक्र में थी. इसके अलावा अर्जुन नागपास अस्त्र,, इन्द्रास्त्र, वज्रास्त्र, आग्नेयास्त्र, गरुड़ास्त्र, वैष्णो अस्त्र चलाना भी जानते थे, जिनका उपयोग उन्होंने युद्ध में किया था.


नारायणास्त्र


नारायणास्त्र का भगवान विष्णु का अस्त्र था. कहते हैं युद्भ भूमि में इसका प्रयोग होने पर जब भी कोई योद्धा इसका विरोध करता था तो इसकी शक्ति दोगुनी हो जाती थी. ये पहले से ज्यादा तीव्रता से दुश्मन पर टूट पड़ता था. केवल मनुष्य का आत्मसमर्पण ही इसे रोक सकता था. महाभारत युद्ध में जब अश्वथामा ने पांडवो को खत्म करने के लिए इसका इस्तेमाल किया था तो स्वंय श्रीकृष्ण ने सभी से नारायणास्त्र से बचने के लिए इसके सामने आत्मसमर्पित होने की बात कही थी.


वसावी शक्ति


इंद्र देव का ये शक्तिशाली अस्त्र महा प्रलयकारी था. इसे अमोघ शक्ति भी कहा जाता है. वसावी शक्ति की खासियत थी कि ये एक ही बार प्रयोग में लिया जा सकता था लेकिन इसे कोई पराजित नहीं कर सकता था. ये अस्त्र कर्ण को इंद्र द्वारा ही मिला था. कर्ण ने इस अस्त्र को अर्जुन का वध करने के लिए बचाकर रखा था, लेकिन मजबूरन कर्ण इसका प्रयोग भीम पुत्र घटोत्कच पर करना पड़ा.


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