Mahabharat: महाभारत युद्ध खत्म होने के बाद श्रीकृष्णजी द्वारिका लौट गए लेकिन युद्ध और कौरवों के नाश के लिए गांधारी ने उन्हें दोषी मानते हुए कुल के सर्वनाश का श्राप दे दिया. इसके चलते यदुवंश में संघर्ष छिड़ गया. कुछ समय बाद श्रीकृष्णजी भी शिकारी के तीर से घायल होकर स्वर्ग सिधार गए. इसके बाद उनकी पत्नियां और महिलाओं की रक्षा का संकट खड़ा हो गया.


ऐसे में धर्मराज युद्धिष्ठिर ने अर्जुन को द्वारिका भेजा. उनसे कहा गया कि वह वहां कृष्णजी की विधवाओं और महिलाओं को हस्तिनापुर ले आएं. महाभारत युद्ध खत्म होने के बाद सभी योद्धाओं के अस्त्र-शस्त्र उनके पास से वापस जा चुके थे. इसके चलते अर्जुन कुछ सैनिकों के साथ द्वारिका पहुंचे और वहां से सभी महिलाओं को लेकर रवाना हुए लेकिन हस्तिनापुर पहुंचने से पहले ही साधारण लुटेरों ने एक जंगल के पास अर्जुन के काफिले पर हमला कर दिया. वह लूटपाट करते हुए महिलाओं को भी साथ ले गए. दिव्यास्त्र और शस्त्र रहित हो चुके अर्जुन पूरे प्रयास के बावजूद उन्हें नहीं बचा सके. मजबूरन काफी संख्या में द्वारिका से आई महिलाएं और अन्य लोग लुटेरों का शिकार बन गए. 


श्राप की सफलता पर गांधारी ने जताई खुशी
कृष्ण के कुल का सर्वनाश होने पर गांधारी काफी प्रसन्न हुईं. उनकी इच्छा जो पूरी हुई. अर्जुन ने हस्तिनापुर आकर आपबीती बताई तो सबसे अधिक संतोष दुर्योधन की माता गांधारी को हुआ. इसके बाद वे खुद पति धृतराष्ट्र के साथ जंगल में रहने के लिए चली गईं.


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