Mahakaleshwar Jyotirlinga: इस साल श्रावण मास जुलाई के अंतिम सप्ताह से शुरू होगा. यह श्रावण मास भगवान शिव को समर्पित होता है. सावन का महीना, भगवान शिव की पूजा-अर्चना के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है. इस दौरान शिव भक्त देश में फैले 12 ज्योतिर्लिंगों की श्रद्धा भाव से पूजा करते हैं. इससे भक्त पर शिव की अति कृपा होती है. इन्हीं 12 ज्योतिर्लिंगों में से एकज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर है, जो मध्यप्रदेश के उज्जैन में स्थित है. इस भव्य ज्योतिर्लिंग के स्थापना पर एक पौराणिक कथा प्रचलित है. आइये इस रोचक कथा को पढ़ें.
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग ऐसे हुए प्रकट: पौराणिक कथा
अवंती नामक रमणीय नगरी भगवान शिव को बहुत प्रिय थी. इसी नगर में वेद प्रिय नमक एक ज्ञानी ब्राह्मण रहता था. जो कि बहुत ही बुद्धिमान और कर्मकांड का ज्ञाता था. वह शिव भक्त ब्राह्मण प्रतिदिन पार्थिव शिवलिंग बनाकर उसकी आराधना किया करता था. वह हमेशा वेद के ज्ञानार्जन में लगा रहता था.
उसे उसके कर्मों का पूरा फल भी प्राप्त हुआ था.वहीं दूसरी ओर रत्नमाल पर्वत पर दूषण नामक राक्षस जिसे ब्रह्मा जी का वरदान मिला था, रहता था. इसी वरदान के मद में वह राक्षस अवंती नगर के ब्राह्मणों को उनके धार्मिक कर्मकांडों को करने से रोकने लगा. राक्षस के इस अधार्मिक कृत्य से बहुत परेशान हो गए. तब इन ब्राह्मणों ने शिव शंकर से अपने रक्षा के लिए प्रार्थना करना शुरू कर दिया.