Mahakumbh 2025: महाकुंभ मेला एक पवित्र समागम है जो हर बारह वर्षों में होता है, यह लाखों लोगों का एक जनसमूह ही नहीं है यह एक आध्यात्मिक यात्रा है, जो मानव अस्तित्व के मूल में उतरती है.
महाकुम्भ मेला एक गहरा आंतरिक अर्थ रखता है, जो आत्म-साक्षात्कार, शुद्धीकरण और आध्यात्मिक ज्ञान की अनंत खोज की प्रतीकात्मक यात्रा के रूप में कार्य करता है. कुंभ मेला भारतीय संस्कृति की धरोहर है, जो प्रत्येक पीढ़ी को अपनी जड़ों से जुड़ने का अवसर प्रदान करता है.
13 जनवरी से शुरू हुआ महाकुंभ 26 फरवरी 2025 तक चलेगा. महाकुंभ में भाग लेने वाले नागा साधु, अघोरी और संन्यासी सनातन धर्म और परंपरा की गहराई और विविधता को दर्शाते हैं.
महाकुंभ में संत-महात्मा और ऋषि-मुनियों का संगम होता है, जो समाज का मार्गदर्शन और व्याप्त समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करते थे. आज एबीपी लाइव में महाकुंभ पर विशेष पेशकश हुई. ABP Live के 'धर्म प्रवाह' कार्यक्रम में देश के जानमाने संतों ने अपने विचार रखे- आइए जानें.
अनिरुद्ध आचार्य महाराज
महाकुंभ संघर्ष का प्रतीक है. ये महाकुंभ सनातनियों के लिए प्रेरणा. जब हमारे जीवन में अमृत आएगा तो उससे पहले चुनौतियां भी आएंगी. जैसे समुद्र मंथन के दौरान अमृत पाने के लिए देवताओं और राक्षसों के बीच संघर्ष हुआ था. बाद में देवताओं ने इसका अमृत पान किया, इसलिए जीवन में कोई परेशानी या कष्ट आए तो परेशान न हों. अमृत जरुर मिलेगा. सनातन हर समस्या का समाधान है.
मुसलमानों के महाकुंभ में प्रवेश को लेकर अनिरुद्ध आचार्य ने कहा कि प्रयागराज में वही लोग आएं जो गंगा और संतों में आस्था रखने वालों को मानते हैं.
धर्म अपने आप में बड़ी व्यवस्था है. प्राचीन काल में हमारा देश धर्म से चलता था स्वंय के अंदर धर्म है तो आप सुरक्षित हैं. उदाहरण के तौर पर करोड़ो रुपए आपके सामने रखें हो ऐसे में अगर आपके अंदर धर्म है तो खजाना हो या बेटियां दोनों सुरक्षित हैं.
अनिरुद्ध आचार्य ने गोबर के महत्व को समझाते हुए बताया कि हिंदू संस्कृति में गोबर से नहाने की परंपरा है. भागवत जी के 9वें स्कंद में लिखा है - भरत जी 14 साल तक गौमूत्र में दलिया, जौ पकाकर के खाया करते थे. 14 साल तक. आज की पीढ़ी गौ माता से प्राप्त होने वाले गुणों को समझे तो जीवन में कई सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेंगे.
युवाओं के लिए संदेश देते हुए अनिरुद्ध आचार्य ने कहा युवा धर्म से जुड़े, धर्म को जानें, बड़ो और संतों का सम्मान करें.
अनिरुद्धाचार्य जी कौन हैं
अनिरुद्धाचार्य जी महाराज का जन्म 27 सितंबर 1989 में मध्यप्रदेश के दमोह जिले मे रिंवझा नामक गाँव में हुआ था. बताते हैं कि बचपन से ही वे काफी शांत और सुशील थे और उनका बचपन में ही झुकाव धर्म और अध्यात्म की ओर हो गया था. अनिरुद्धाचार्य महाराज सोशल मीडिया साइट्स जैसे यूट्यूब, इंस्टाग्राम, फेसबुक पर छाए रहते हैं.
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