Mahakumbh 2025: प्रयागराज में 13 जनवरी से शुरू होकर 26 फरवरी तक चलेगा. महाकुंभ में 6 शाही स्नान होंगे. कुंभ मेले का दूसरा शाही स्नान मकर संक्रांति पर 14 जनवरी 2025 को होगा.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस पवित्र आयोजन के दौरान गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम में स्नान करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है. वेदों में संगम स्नान का क्या महत्व है, इस बार महाकुंभ में मकर संक्रांति पर प्रयागराज में कितने लोग स्नान करेंगे जानें.
संगम का अर्थ ?
संगम का अर्थ है ‘मिलन’. ये शब्द उस स्थान को दर्शाता है जहां दो या दो से अधिक जल धाराएं एक साथ मिलती है. इस स्थान को अत्यंत शुभ और दिव्य कार्य के रूप में देखा जाता है.
वेदों में संगम स्नान का महत्व (Sangam snan Significance)
- ब्रह्मपुराण के अनुसार संगम स्नान का फल अश्वमेध यज्ञ के समान फलदायी कहा गया है.
- मत्स्यपुराण में कहा गया है कि दस हजार या उससे भी अधिक तीर्थों की यात्रा का जो पुण्य मिलता है, उतना ही माघ के महीने में संगम स्नान से मिलता है.
- अग्नि पुराण के अनुसार प्रयागराज में प्रतिदिन स्नान का फल उतना ही है, जितना कि प्रतिदिन करोड़ों गाय दान करने से मिलता है.
- पद्म पुराण में इस बात का उल्लेख मिलता है कि जो भी त्रिवेणी संगम पर नहाता है उसके मोक्ष की प्राप्ति होती है.
- भृगु ऋषि के सुझाव पर गौतम ऋषि द्वारा अभिशप्त इंद्र को भी माघ स्नान के कारण ही श्राप से मुक्ति मिली थी. ऐसे में प्रायश्चित करने के लिए माघ महीने और महाकुंभ के संयोग में संगम पर स्नान सर्वश्रेष्ठ माना गया है.
मकर संक्रांति पर महाकुंभ में कितने लोग डुबकी लगाएंगे
माघ महीने में संगम तट पर हर साल मेले का आयोजन होता है. इस साल 2025 में महाकुंभ का आयोजन हुआ है. मकर संक्रांति पर महाकुंभ का दूसरा शाही स्नान होगा. इसमें लाखों श्रद्धालु स्नान करके पुण्य-लाभ कमाते हैं. इस साल महाकुंभ में मकर संक्रांति पर प्रयागराज में 7 करोड़ श्रद्धालुओं के त्रिवेणी संगम पर डुबकी लगा सकते हैं.
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