प्रत्येक व्यक्ति सफलता के शिखर को छूना चाहता है. मां महालक्ष्मी का गजलक्ष्मी स्वरूप व्यक्ति को श्रेष्ठ उपलब्धियों को प्रदान करता है. गजलक्ष्मी की कृपा से राजयोग प्राप्त होता है. गजलक्ष्मी को राजलक्ष्मी पुकारा जाता है. गजलक्ष्मी को घर परिवार और समाज के नियमों संस्कारों के पालन से प्रसन्न किया जा सकता है. नियमानुशासन से मां गजलक्ष्मी की कृपा बरसती है. करियर कारोबार में उन्नति के अवसर बनते हैं. वरिष्ठ जनों का साथ और समर्थन प्राप्त होता है.


गजलक्ष्मी चतुर्भुज स्वरूप में हाथी के ऊपर अष्टदल कमल पर विराजमान हैं. इनके दोनों ओर हाथी खड़े हैं. हाथों में कमल का फूल, अमृत कलश, बेल और शंख है. इनकी उपासना, शक्ति, सामर्थ्य, राजसत्ता, संपत्ति और संतान देने वाली है. हल्दी से कमल बना, माता लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें. मूर्ति के सामने श्रीयंत्र, सोने-चांदी के सिक्के और फल फूल रखकर मां गजलक्ष्मी की पूजा करें. 


मां गजलक्ष्मी संस्कारों के पालन, गुरु आज्ञा और राजाज्ञा से पालन से प्रसन्न होती हैं. शासन प्रशासन से लाभ प्रदान करती हैं. गज को वर्षा करने वाले मेघों और उर्वरता का भी प्रतीक माना जाता है. गजलक्ष्मी उर्वरता और समृद्धि की देवी भी हैं. उन्हें राजलक्ष्मी के नाम से भी जाना जाता है. इनकी कृपा से राजाओं को धन, वैभव और समृद्धि प्राप्त होती है. 


पुराणों के अनुसार गजलक्ष्मी ही महालक्ष्मी कहलाती हैं. भारतीय परंपरा में हाथी यानी गज को सुख समृद्धि और वैभव का प्रतीक माना जाता है. गज समूह में विचरते हैं और अपने दल और परिवार के लिए सदा समर्पित रहते हैं.