महालक्ष्मी पूजा : विष्णुप्रिया का आह्वान इन वैदिक मंत्रों से करें, प्रसन्न होंगी धनधान्य की देवी
वेद सनातन परंपरा के सर्वाेत्तम ग्रंथ हैं. इनमें महालक्ष्मी को प्रसन्न करने और उन्हें आह्वान करने के मंत्र हैं. इनके जाप से आप लक्ष्मी जी को प्रसन्न कर अपना घर धनधान्य और सकल वैभव से भर सकते हैं.
बिन अर्थ सब व्यर्थ है. बिना लक्ष्मी की कृपा से जीवन नैया पार होना मुश्किल है. मां लक्ष्मी की आराधना वैदिक युग से ही श्लोक मिलते हैं. भारतीय पुरातन ऋग्वेद में लक्ष्मी आव्हान का मंत्र है.
पद्मानने पद्मिनी पद्मपत्रे पद्मप्रिये पद्मदलायताक्षि विश्वप्रिये विश्वमनोनुकूले त्वत्पादपद्मं मयि सन्निधस्त्व।।
अर्थात - हे लक्ष्मी देवी, आप कमलमुखी, कमलपुष्प पर विराजमान, कमल दल के समान नेत्रो वाली कमल दल के समान नेत्रों वाली कमल पुष्पों को पसंद करने वाली हैं. सृष्टि के सभी जीव आपकी कृपा की कामना करते हैं, आप सबको मनोनुकूल फल देने वाली हैं. आपके चरण सदैव मेरे ह्रदय में स्थित रहें.
ऋग्वेद के दूसरे अध्याय के छठे सूक्त में आनंद कर्दम ऋषि द्वारा श्री देवी को समर्पित मंत्र मिलता है.
ॐ हिरण्यवर्णां हरिणीं, सुवर्णरजतस्त्रजाम्। चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं, जातवेदो म आ वह। हे जातवेदा (सर्वज्ञ) अग्निदेव! सुवर्ण के समान पीले रंगवाली, हरितआभा वाली, सोने और चांदी के हार पहनने वाली, चांदी के समान धवल पुष्पों की माला धारण करने वाली, चन्द्र के समान प्रसन्नकान्ति, स्वर्णमयी लक्ष्मीदेवी को मेरे लिए आवाहन करो (बुलाइए).
तां म आ वह जातवेदो, लक्ष्मीमनपगामिनीम्। यस्यां हिरण्यं विन्देयं, गामश्वं पुरूषानहम्। हे अग्निदेव! आप उन जगत प्रसिद्ध लक्ष्मीजी को, जिनका कभी विनाश नहीं होता तथा जिनके आगमन से मैं सोना, गौ, घोड़े तथा पुत्रादि को प्राप्त करुंगा, मेरे लिए आवाहन करो.
अश्वपूर्वां रथमध्यां, हस्तिनादप्रमोदिनीम्। श्रियं देवीमुप ह्वये, श्रीर्मा देवी जुषताम्। जिन देवी के आगे घोड़े तथा उनके पीछे रथ रहते हैं अथवा जिनके सम्मुख घोड़े रथ में जुते हुए हैं, ऐसे रथ में बैठी हुई, हाथियों के निनाद से प्रमुदित होने वाली, देदीप्यमान एवं समस्तजनों को आश्रय देने वाली लक्ष्मीजी को मैं अपने सम्मुख बुलाता हूँ. दीप्यमान व सबकी आश्रयदाता वह लक्ष्मी मेरे घर में सर्वदा निवास करें.
आप इन मंत्रों से श्रीलक्ष्मी का आव्हान करें. आपके जीवन में हमेशा माता लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी.