Mahabharat: पांडवों की संधि की शर्त ठुकराने और शांतिदूत बनकर आए श्रीकृष्ण को कौरवों की ओर से लौटाने के साथ तय हो गया कि युद्ध बिना कोई निर्णय नहीं होने वाला है, लेकिन जब महाभारत लड़ा जाने वाला था तो सभी धर्म-अधर्म की बातें करने में व्यस्त थे. सभी को लगता था कि यह धर्म की अधर्म पर विजय होगी और मानवता खुद स्थापित हो जाएगी. मगर उस समय भी कोई ऐसा था, जो न धर्म की तरफ से लड़ा, न अधर्म का साथ दिया, उसने सिर्फ मानवता का धर्म निभाया और यह कोई और नहीं बल्कि महाराज उडुपी थे, जिन्होंने पूरे युद्धकाल में न कोई अस्त्र उठाया, न किसी का हित किया. पूरे युद्धकाल में 18 दिन तक रोज उन्होंने लाखों योद्धाओं के लिए भोजन की व्यवस्था की. 


महाभारत युद्ध शुरू होने पर सभी राजाओं ने युद्ध में भाग लिया. इसे मानव इतिहास का पृथ्वी पर लड़ा गया पहला विश्व युद्ध भी कहा जाता है, इसमें कुछ राजा पांडवों की तरफ से उतरे तो कुछ शासक कौरवों के लिए युद्ध करने आए. मगर राजा उडुपी ने धर्म और अधर्म के बीच छिड़ने वाले युद्ध में भाग ही नहीं लिया. उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण से मिलकर कहा कि इस युद्ध में जो भी योद्धा लड़ेंगे, वे उनके लिए भोजन, पानी, विश्राम आदि की व्यवस्था करेंग.


कृष्ण उनकी इस इच्छा पर राजी हो गए और उन्हें सभी के भोजन आदि की व्यवस्था करने की अनुमति दे दी गई. महाभारत युद्ध 18 दिन तक चला और हर दिन हजारों लाखों योद्धा, सैनिक मारे जाते थे. इस हिसाब से जैसे-जैसे सैनिक घटते जा रहे थे, महाराज उडुपी भी उनके लिए कम भोजन बनाते थे, ताकि भोजन का नुकसान न हो. आश्चर्यजनक बात थी कि हर दिन, सभी सैनिकों के लिए भोजन बिल्कुल पर्याप्त होता था. कुछ दिनों के बाद, लोग चकित रह गए, कि सही मात्रा में खाना कैसे बना रहा है!' किसी को नहीं पता था कि एक दिन में कितने लोग मारे गए थे. जब तक वे इनका ध्यान देते, अगली सुबह हो चुकी होती और फिर लड़ने का समय हो गया. कोई रास्ता नहीं था, जिससे उडुपी जान सकें कि हर दिन कितने हजार लोग मारे गए थे, लेकिन हर दिन वह सेनाओं के लिए बिल्कुल सही मात्रा में भोजन पकाते थे.


श्रीकृष्ण देते थे इशारा, कितने लोग रोज मरेंगे
उडुपी राजा ने किसी के पूछने पर बताया था कि, 'हर रात मैं कृष्ण के तम्बू में जाता हूं। कृष्णा को रात में उबली मूंगफली खाना पसंद है, मैं उन्हें छीलकर एक प्याले में रख देता था. वह कुछ ही मूंगफली खाते हैं. अगर वह दस होती हैं तो पता चल जाता है कि कल दस हजार लोग मर जाएंगे, इसलिए अगले दिन जब दोपहर का खाना बनता तो मैं दस हजार लोगों के लिए कम खाना बनाता था. हर दिन मैं इनकी मूंगफली गिनता हूं और उसी अनुसार पकाता हूं, जो पूरी तरह सही हो जाता.'


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