Maharana Pratap Jayanti 2023: मेवाड़ के वीर योद्धा शूरवीर महाराणा प्रताप की जयंती को लेकर कई मत है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार कहीं महाराणा प्रताप की जयंती 9 मई को मनाई जाती है तो वहीं हिंदू कैलेंडर विक्रम संवत के मुताबिक 22 मई को उनका जन्म दिवस मनाते हैं.


महाराणा प्रताप ऐसे वीर योद्धा थे जिन्होंने कभी भी मुगलों की अधीनता स्वीकार नहीं की और अकबर को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया.कहा जाता है कि महाराणा प्रताप दो तलवारें, 72 किलोग्राम का कवच और 80 किलो के भाले लेकर युद्ध भूमि में उतरते थे. आइए जानते हैं महाराणा प्रताप से जुड़ी रोचक बातें.



महाराणा प्रताप को कहते थे ‘कीका’ (Maharana Pratap Interesting Facts)


हिंदू पंचांग के मुताबिक उनका जन्म ज्येष्ठ माह की तृतीया को गुरु पुष्य नक्षत्र में हुआ था. इसी दिन मेवाड़ के कुम्भलगढ़ में राजपूत राज परिवार में उदय सिंह एवं माता रानी जयवंत कंवर के गर्भ से महाराणा प्रताप का जन्म लिया. बालपन में उन्हें कीका के नाम से भी पुकारा जाता था. दरअसल बचपन में महाराणा प्रताप का जीवन भीलों के बीच अधिक समय तक रहे, उस समय भील अपने पुत्र को कीका कह कर संबोधित करते थे. यही वजह है कि महाराणा प्रताप को भी भील कहकर संबोधित किया जाता था. बचपन से ही महाराणा प्रताप घुड़सवारी और तलवारबाजी में कुशल थे.


महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक का कमाल


महाराणा प्रताप का घोड़ा, चेतक, अपने स्वामी के प्रति वफादारी के लिए जाना जाता है। चेतक एक बहुत ही बुद्धिमान और ताकतवर घोड़ा था. चेतक के मुंह के आगे हाथी कि सूंड लगाई जाती थी ताकि युद्ध में दुश्मन को चकमा दिया जा सके. जब मुगल सेना महाराणा प्रताप के पीछे लगी थी, तब चेतक प्रताप को अपनी पीठ पर लिए 26 फीट के उस नाले को लांघ गया, जिसे मुगल पार न कर सके. हल्दीघाटी युद्ध में चेतक बुरी तरह घायल हो गया था, जिसके बाद उसकी मृत्यु हो गई. आज उसी युद्धस्थल के पास चेतक का मंदिर बना हुआ है.


दो तलवार रखने का रहस्य


महाराणा प्रताप की एक खूबी थी कि वह हमेशा अपने विशेष म्यान में दो तलवार साथ रखते थे, एक स्वंय और दूसरी दुश्मन के लिए. उन्हें उनकी मां जयवंता बाई ने नसीहत दी थी कि कभी निहत्थे शत्रु पर वार मत करो. उसे अपनी अतिरिक्त तलवार दो और फिर ललकारो.


निहत्थे शत्रु पर वार नहीं किया


महाराणा प्रताप ने कभी मर्यादा का भंग नहीं किया. हल्दीघाटी के युद्ध से पहली शाम जब गुप्तचरों से सूचना मिली कि मानसिंह कुछ साथियों के साथ शिकार पर है और लगभग निहत्था है तो प्रताप ने कहा निहत्थे पर कायर वार करते हैं हम योद्धा हैं, कल हल्दीघाटी में मानसिंह का सिर कलम करेंगे. महाराणा प्रताप ने अपनी सेना में धर्म को कभी तवोज्जो नहीं दिया, उनकी विशाल सेना में भील से लेकर मुस्लिम तक शामिल थे.


महाराणा प्रताप का परिवार


महाराणा प्रताप के निजी जीवन की बात करें तो उन्होंने कुल 11 शादियां की थीं. राजनीतिक कारणों से हुईं इन शादियों में उनके 17 बेटे और 5 बेटियां थीं. महाराणा प्रताप के जाने के बाद राजगद्दी को उनकी पहली पत्नी अजाब्दे पंवार के बेटे अमर सिंह ने संभाला था.


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