Harihareshwar Temple in Maharashtra: भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता विश्वभर में फैली हुई है. भारत में कई भव्य, प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिर हैं, जिनका इतिहास भी अति प्राचीन है. इन मंदिरों का अनोखा इतिहास, सुंदरता, नक्काशी और प्रसिद्धि के कारण आज भी भारत समेत दूर-दूर से लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं.


भारत के कई प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिरों में एक है हरिहरेश्वर मंदिर (Harihareshwar Temple), जोकि भगवान शिव को समर्पित है. हरिहरेश्वर मंदिर महाराष्ट्र के रायपुर जिले में स्थित है. इसे दक्षिण का काशी भी कहा जाता है. इस मंदिर से कई मान्यताएं और विशेषताएं जुड़ी हुई हैं. इसकी खासियत यह है कि यह मंदिर पहाड़ियों से घिरा हुआ है और एक ओर समुद्र की लहरें एकांत वातावरण का एहसास कराती है. इस मंदिर में पहुंचकर आप खुदको प्रकृति के करीब महसूस करने लगेंगे. आइये जानते हैं हरिहरेश्वर मंदिर के इतिहास और इससे जुड़ी विशेषताओं के बारे में.



 हरिहरेश्वर मंदिर का इतिहास (Harihareshwar Temple History)


हरिहरेश्वर मंदिर भगवान शिव को (Lord Shiva) समर्पित है. मंदिर के इतिहास को लेकर कहा जाता है कि, चंद्र राव मोरे ने मंदिर के चारो ओर गोल चक्कर का निर्माण कराया था. इसके बाद 1723 में मंदिर को फिर से पूरी तरह से बहाल किया गया. यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है. लेकिन मंदिर के गर्भगृह में भगवान शिव के साथ ही माता पार्वती (Mata Parvati), भगवान विष्णु (Lord Vishnu) और ब्रह्मा जी (Lord Brahma) के लिंग के आकार की मूर्तियां हैं. इस मंदिर को ‘दक्षिण काशी’ (Dakshin Kashi) के नाम से भी जाना जाता है. इस स्थान को भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त है, इसलिए इसे ‘देवघर’ (Devghar) भी कहा जाता है.


हरिहरेश्वर मंदिर की विशेषताएं (Harihareshwar Temple Features)


मंदिर पहुंचते ही आप खुद को प्रकृति के करीब महसूस करने लगेंगे. खासकर यहां कि चट्टाने आपको मोहित कर लेगी. मंदिर चार पहाड़ियों हरिहरेश्वर, हर्षिनाचल, ब्रह्माद्री और पुष्पाद्री से घिरा हुआ है. मंदिर के साथ ही आपको यहां समुद्री तट, जगंल, पड़ाहों की श्रृंखला आदि के साथ प्रकृति के सुरम्य वातावरण भी मिलेगा. दक्षिण का काशी कहा जाने वाला हरिहरेश्वर मंदिर इन्हीं विशेषताओं के कारण हिंदू श्रद्धालुओं के साथ ही प्रकृति प्रेमियों के लिए भी पसंदीदा स्थान माना जाता है.


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