Mahabharat: अश्वत्थामा ही नहीं, दुर्वासा, वशिष्ठ और विश्वामित्र से लेकर परशुराम तक जीवित हैं!
सनातन धर्म में जन्मे न जाने कितने महात्मा, ऋषि और ज्ञानी पुरुष कई कई युगों तक जीवित रहकर कल्याण के लिए जुटे रहे. जानते हैं कुछ ऐसे दिव्य पुरुषों के बारे में जिनके धरती पर मौजूदगी के प्रमाण मिले हैं.
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Mahabharat : पौराणिक कथाओं के अनुसार सनातन धर्म में जन्मे न जाने कितने महात्मा, ऋषि और ज्ञानी पुरुष कई कई युगों तक जीवित रह कर मानव, देवता और असुरों के कल्याण के लिए जुटे रहे. इनके आज भी जीवित होने के कथित प्रमाण भारत ही नहीं, अपितु विश्व भर में मिलते हैं. आइए जानते हैं कुछ ऐसे महर्षि दिव्य पुरुषों के बारे में जिनके आज भी धरती पर मौजूदगी के कतिपय प्रमाण सामने आए हैं.
महर्षि दुर्वासा अपने क्रोध ही नहीं, अपने श्राप और वरदान दोनों के लिए ही तीनों युगों तक चर्चित रहे. उनका उल्लेख सतयुग, त्रेतायुग और द्वापर युग के अलावा कलियुग में भी मिलता है. पुराणों के मुताबिक दुर्वासा के अलावा गुरु वशिष्ठ, गुरु विश्वामित्र, महर्षि अत्रि, परशुराम मुनि, मार्कंडेय ऋषि, महर्षि वेदव्यास, महाबली हनुमान, रावण भ्राता विभीषण, द्रोणाचार्य पुत्र अश्वत्थामा और रामायण काल के राजा बाली और जामवंत आदि की मौजूदगी के चिह्न हर युग में मिलते हैं, इसलिए माना जाता है कि ये आज भी सशरीर जीवित हैं.
किसी को श्राप किसी को मानव कल्याण के लिए आना पड़ा
सतयुग से कलयुग तक विभिन्न घटनाक्रमों का हिस्सा बनने वाले ऋषि मुनि और देवताओं में से किसी को श्राप, किसी को वरदान तो किसी को मानवता की रक्षा के लिए सशरीर धरती पर रहना पड़ा. हनुमानजी को अर्जुन के रथ पर लगे झंडे में रहकर युद्ध की निगरानी करनी पड़ी तो महर्षि दुर्वासा धर्म की स्थापना के लिए तीनों युगों में मौजूद रहे. अश्वत्थामा को कृष्ण के श्राप के चलते धरती पर 3000 वर्षों तक रहने का फल भोगना पड़ रहा है तो विभीषण को अमरता के वरदान के चलते आज भी धरती पर जीवित माना जाता है. राजा बलि और जामवंत भी धरती पर सशरीर मौजूद माने जाते हैं.
तो इसलिए दिखती हैं ये दिव्य आत्माएं
माना जाता है कि इन दिव्य पुरुषों की मौजूदगी से कलयुग में धर्म की स्थापना होगी. एक ऐसे समय में जब धर्म पाप के हाथों नाश होने की कगार पर पहुंच जाएगा तब यही महापुरुष अपने धर्मार्थ, पुरुषार्थ और योग शक्ति से धर्म की स्थापना करेंगे.
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