शिवरात्रि शब्द के साथ महा शब्द जोड़ने पर ये उसको बड़ा और श्रेष्ठ बना देता है. महा शब्द का मतलब हिंदी में किसी शब्द के साथ जुड़कर उसकी उपयोगिता को बढ़ाना मान सकते हैं. हमारे हिंदू धर्म में कई त्योहार मनाये जाते है, लेकिन कभी किसी त्योहार के नाम के आगे महा शब्द नहीं जोड़ा जाता है. सिर्फ शिवरात्रि ही एकमात्र ऐसा त्योहार है जिसके आगे महा शब्द लगाया जाता है. इसी के चलते हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि के त्यौहार का काफी महत्व माना जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में क्या अंतर होता है, और क्यों हम इसे इतनी धूमधाम से मनाते हैं? तो आईये जानते हैं शिवरात्रि और महाशिवरात्रि का क्या मतलब होता है-


शिवरात्रि का अर्थ :


भगवान शिव की पूजा के लिये सोमवार और प्रदोष का दिन श्रेष्ठ माना गया है. वहीं हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवरात्रि कहते हैं. इसे ही प्रदोष भी कहा जाता है. इसे हर महीने पड़ने वाली शिवरात्रि भी कहते हैं. जब यही प्रदोष श्रावण महीने में आता है तो वो बड़ी शिवरात्रि मानी जाती है. श्रावण महीने की चतुर्दशी को पड़ने वाली शिवरात्रि धूमधाम से मनाई जाती है.


 महाशिवरात्रि का अर्थ :


फाल्गुन महीने की कृष्ण चतुर्दशी पर पड़ने वाली शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहा जाता है, जिसे बड़े ही खुशी और भक्ति के साथ मनाया जाता है. इस चतुर्दशी को शिवपूजा करने का विशेष महत्व और विधान है. शिवपुराण के मुताबिक फाल्गुन महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि कहा गया है. इस बार महाशिवरात्रि 11 मार्च को मनाई जाएगी. शिवभक्त इस दिन व्रत रखकर अपने आराध्य का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. ज्यादातर लोग मानते हैं कि महाशिवरात्रि पर शिव और पार्वती का विवाह हुआ था. लेकिन शिव पुराण में एक और कथा बताई गई है जिसके मुताबिक सृष्टि की रचना के समय भगवान विष्णु और ब्रह्मा में विवाद हो गया तब दोनों का विवाद सुलझाने के लिये भगवान भोलेनाथ ने एक अग्नि-स्तंभ का रूप लिया और सामने आ गये, फिर स्तंभ से भगवान शिव ने दर्शन दिए. उसी समय से भगवान शिव का ये दिन महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाने लगा.


महाशिवरात्रि का शुभ मुहू्र्त :


महाशिवरात्रि 11 मार्च 2021 को बृहस्पतिवार के दिन मनाई जायेगी. इसके पहले प्रहर का समय 11 मार्च शाम 06 बजकर 27 मिनट से 09 बजकर 29 मिनट तक रहेगा, वहीं दूसरा प्रहर 11 मार्च, रात 9 बजकर 29 मिनट से 12 बजकर 31 मिनट तक रहेगा, तीसरा प्रहर 11 मार्च, रात 12 बजकर 31 मिनट से 03 बजकर 32 मिनट तक रहेगा और आखिरी प्रहर  12 मार्च, सुबह 03 बजकर 32 मिनट से सुबह 06 बजकर 34 मिनट तक रहेगा.


महाशिवरात्री में पूजा का फल:


कहा जाता है कि इस दिन विधि विधान से पूजा करने पर भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. दांपत्य जीवन में खुशियां लाने के लिए, मनचाहा जीवनसाथी प्राप्त करने के लिए भक्त इस दिन व्रत करते हैं. ऐसा भी माना जाता है कि जो भक्त इस व्रत को रखते हैं, भगवान शिव सदैव उनपर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखते हैं.


महाशिवरात्री की पूजा विधी :


मान्यता है कि महादेव के आशीर्वाद से घरों में सुख-समृद्धि बनी रहती है. इसलिए इस दिन सुबह जल्दी उठकर नहाने के बाद पूजा के स्थान को साफ कर लें, इसके बाद महादेव को पंचामृत से स्नान करायें, फिर उन्हें तीन बेलपत्र, भांग, धतूरा, जायफल, फल, मिठाई, मीठा पान, इत्र अर्पित करें, फिर चंदन और खीर का भोग लगाएं.


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