Mahashivratri 2021: महाशिवरात्रि के पर्व पर भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था. भगवान शिव के विवाह का बहुत ही अनूठा और और अद्भूत था. शिव विवाह से जुड़ी कई कथाएं प्रचलित हैं. कहते हैं कि भगवान शिव का विवाह बहुत ही अलग ढंग से हुआ था. उनकी बारात भी सबसे अलग थी.
भगवान शिव के विवाह के बारे में पुराणों में वर्णन मिलता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव ने सबसे पहले सती से विवाह किया था. भगवान शिव का यह विवाह बड़ी जटिल परिस्थितियों में हुआ था. सती के पिता दक्ष भगवान शिव से अपने पुत्री का विवाह करना नहीं चाहते थे. लेकिन ब्रह्मा जी के कहने पर यह विवाह संपंन हो गया. लेकिन एक दिन राजा दक्ष ने भगवान शिव का अपमान कर दिया जिससे नाराज होकर माता सती ने यज्ञ में कूदकर आत्मदाह कर लिया. इस घटना के बाद भगवान शिव तपस्या में लीन हो गए.उधर माता सती ने हिमवान के यहां पार्वती के रूप में जन्म लिया.
तारकासुर नाम के एक असुर का उस समय आतंक था. देवतागण उससे भयभीत थे. तारकासुर को वरदान प्राप्त था कि उसका वध सिर्फ भगवान शिव की संतान ही कर सकती है. उस समय भी भगवान शिव अपनी तपस्या में लीन थे. तब सभी देवताओं ने मिलकर शिव और पार्वती के विवाह की योजना बनाई. भगवान शिव की तपस्या को भंग करने के लिए कमदेव को भेजा गया लेकिन वह भस्म हो गए. देवताओं की विनती पर शिव जी पार्वती जी से विवाह करने के लिए राजी हुए.
शिव जी की बारात
विवाह की बात तय होने के बाद भगवान शिव की बारात की तैयार हुई. इस बारात में देवता, दानव, गण, जानवर आदि सभी लोग शामिल हुए. भगवान शिव की बारात में भूत पिशाच भी पहुंचे. ऐसी बारात को देखकर पार्वती की जी मां बहुत डर गईं और कहा कि वे ऐसे वर को अपनी पुत्री को नहीं सौंप सकती हैं. तब देवताओं ने भगवान शिव को परंपरा के अनुसार तैयार किया सुंदर तरीके से श्रृंगार किया इसके बाद दोनों का विवाह संपंन हुआ.