साल की सबसे बड़ी शिवरात्रि महाशिवरात्रि 1 मार्च (Mahashivratri 2022) के दिन मनाई जाएगी. ये फाल्गुन माह (Falgun Month) के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन मनाई जाती है. इस दिन भगवान शिव (Lord Shiva) और माता पार्वती (Mata Parvati) की विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था. इस दिन भोले के भक्त व्रत रखते हैं. पूजा-पाठ करते हैं.
भोलेशंकर (Bholeshankar) एक ऐसे देवता हैं जो मात्र एक लोटे जल और बेलपत्र अर्पित करने से ही प्रसन्न हो जाते हैं. और भक्तों के सभी संकट दूर करते हैं. पूजा के बाद अगर भगवान शिव के 108 नामों (Lord Shiv 108 Name) का जाप कर लिया जाए, तो भोलेनाथ की कृपा प्राप्त होती है और भक्तों की सभी मनोकामना पूर्ण होने का आशीर्वाद मिलता है. आइए जानें महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव के 108 नामों के जाप के बारे में.
भगवान शिव के 108 नाम (Lord Shiv 108 Name Jaap)
शिवा – कल्याण स्वरुप
महेश्वर – माया के अधीश्वर
शम्भू – आनंद स्वरूप वाले
पिनाकी – पिनाक धनुष धारण करने वाले
शशि शेखर – चंद्रमा धरन करने वाले
वामदेव – अत्यंत सुंदर स्वरूपवाले
विरूपाक्ष – विचित्र, तीन आंखवाले
कपर्दी – जटा धारण करने वाले
नीललोहित – नीले और लाल रंगवाले
शंकर – सबका कल्याण करने वाले
शूलपाणि – हाथ में त्रिशूल धारण करने वाले
खट्वांगी – खटिया का एक पाया रखने वाले
विष्णुवल्लभ – भगवन विष्णु के अति प्रिय
शिपविष्ट – सितुहा में प्रवेश करने वाले
अम्बिकनाथ – देवी भगवती के पति
श्रीकांत – सुंदर कंठ वाले
भक्तवत्सल – भक्तों को अत्यन्त स्नेह करने वाले
भाव – संसार के रूप में प्रकट होने वाले
शर्व – कष्टों को नष्ट करने वाले
त्रिलोकेष – तीन लोकों के स्वामी
शितिकंठ – सफेद कण्ठवाले
शिवप्रिय – पार्वती के प्रिय
उग्र – अत्यंत उग्र रूप वाले
कपाली – कपाल धारण करने वाले
कामारी – कामदेव के शत्रु, अंधकार को हरने वाले
सूरसुदन – अंधक दैत्य को मारने वाले
गंगाधर – गंगा को जटाओं में धारण करने वाले
ललाटाक्ष – माथे पर आंख धारण किए हुए
महाकाल – कालों के भी काल
कृपानिधि – करुणा की खान
भीम – भयंकर या रूद्र रूप वाले
परशुहस्त – हाथ में फरसा धारण करने वाले
मृगपानी – हाथ में हिरन धारण करने वाले
जटाधर – जटा रखने वाले
कैलाशवासी – कैलाश पर निवास करने वाले
कवची – कवच धारण करने वाले
कठोर – अत्यंत मजबूत देह वाले
त्रिपुरांतक – त्रिपुरासुर का विनाश करने वाले
वृषांक – बैल चिन्ह की ध्वजा वाले
वृषभारूढ़ – बैल पर सवार होने वाले
भस्मोद्धूलितविग्रह – भस्म लगाने वाले
सामप्रिय – सामगान से प्रेम करने वाले
स्वरमयी – सातों स्वरों में निवास करने वाले
त्रिमूर्ति – वेदरूपी विग्रहा करने वाले
अनीश्वर – जो स्वयं ही सबके स्वामी
सर्वज्ञ – सब कुछ जानने वाले
परमात्मा – सब आत्माओं में सर्वोच्च
सोमसूर्याग्निलोचन – चन्द्र सूर्य और अग्निरूपी आंख वाले
हवि – आहूति रूपी द्रव्य वाले
यज्ञमय – यज्ञस्वरूप वाले
सोम – उमा के सहित रूप वाले
पंचवक्त्र – पांच मुख वाले
सदाशिव – नित्य कल्याण रूप वाले
विश्वेश्वर – विश्व के ईश्वर
वीरभद्र – वीर और शांत स्वरूप वाले
गणनाथ – गणों के स्वामी
प्रजापति – प्रजा का पालन-पोषण करने वाले
हिरण्यरेता – स्वर्ण तेज वाले
दुर्धुर्ष – किसी से न हारने वाले
गिरीश – पर्वतों के स्वामी
गिरिश्वर – कैलाश पर्वत पर रहने वाले
अनघ – पापरहित या पुण्य आत्मा
भुजंगभूषण – सांपों व नागों के आभूषण धारण करने वाले
भर्ग – पापों का नाश करने वाले
गिरिधन्वा – मेरू पर्वत को धनुष बनाने वाले
गिरिप्रिय – पर्वत को प्रेम करने वाले
कृत्तिवासा – गजचर्म पहनने वाले
पुराराति -पुरों का नाश करने वाले
भगवान – सर्वसमर्थ ऐश्वर्य संपन्न
प्रमथाधिप – प्रथम गणों के अधिपति
मृत्युंजय – मृत्यु को जीतने वाले
सूक्ष्मतनु – सूक्ष्म शरीर वाले
जगद्व्यापी -जगत में व्याप्त होकर रहने वाले
जगद्गुरू – जगत के गुरु
व्योमकेश – आकाश रूपी बाल वाले
महासेनजनक – कार्तिकेय के पिता
चारुविक्रम – सुन्दर पराक्रम वाले
रूद्र – उग्र रूप वाले
भूतपति – भूतप्रेत व पंचभूतों के स्वामी
स्थाणु – स्पंदन रहित कूटस्थ रूप वाले
अहिर्बुध्न्य – कुण्डलिनी धारण करने वाले
दिगम्बर -नग्न, आकाश रूपी वस्त्र वाले
अष्टमूर्ति – आठ रूप वाले
अनेकात्मा – अनेक आत्मा वाले
सात्त्विक – सत्व गुण वाले
शुद्धविग्रह – दिव्यमूर्ति वाले
शाश्वत – नित्य रहने वाले
खण्डपरशु – टूटा हुआ फरसा धारण करने वाले
अज – जन्म रहित
पाशविमोचन – बंधन से छुड़ाने वाले
मृड – सुखस्वरूप वाले
पशुपति -पशुओं के स्वामी
देव – स्वयं प्रकाश रूप
महादेव- देवों के देव
अव्यय – खर्च होने पर भी न घटने वाले
हरि – विष्णु समरूपी
पूषदन्तभित – पूषा के दांत उखाड़ने वाले
अव्यग्र – व्यथित न होने वाले
दक्षाध्वरहर – दक्ष के यज्ञ का नाश करने वाले
हर – पापों को हरने वाले
भगनेत्रभिद् – भग देवता की आंख फोड़ने वाले
अव्यक्त – इंद्रियों के सामने प्रकट न होने वाले
सहस्राक्ष -अनंत आंख वाले
सहस्रपाद- अनंत पैर वाले
अपवर्गप्रद – मोक्ष देने वाले
अनंत – देशकाल वस्तु रूपी परिच्छेद से रहित
तारक – तारने वाले
परमेश्वर – प्रथम ईश्वर
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.