Mahashivratri 2023 Highlights: महाशिवरात्रि के महापर्व का श्रद्धा और भक्तिभाव से हुआ समापन, यहां पढ़ें इस पर्व की विशेष बातें
Mahashivratri 2023 Puja Vidhi Muhurat Highlights: महाशिवरात्रि के महापर्व का समापन हो चुका है. इस बार कई साल बाद शिव पूजा का अद्भूत संयोग बना था. पढ़ें महत्वपूर्ण जानकारी-
महाशिवरात्रि की रात को महानिशा रात्रि कहा जाता है. महाशिवरात्रि की रात इन कामों को करने से जीवन में कोई बाधा उत्पन्न नहीं होती है.
- रात्रि जागरण
- ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप
- भजन कीर्तन
- संध्याकाल या प्रदोष काल में स्नान व पूजन
महाशिवरात्रि का महापर्व बहुत ही खास माना जाता है. वैसे तो हर माह मासिक शिवरात्रि पड़ती है. लेकिन फाल्गुन महीने के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि होती है. महाशिवरात्रि को लेकर कई मान्यताएं हैं. माना जाता है कि इसी दिन शिवजी प्रकट हुए थे. वहीं यह भी मान्यता है कि इसी दिन शिवजी और माता पार्वती का विवाह हुआ था.
ओम जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे। हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे। त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघंबर अंगे। सनकादिक गरुड़ादिक भूतादिक संगे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी। सुखकारी दुखहारी जगपालनकारी॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका। मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
लक्ष्मी, सावित्री पार्वती संगा। पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा। भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
अक्षमाला वनमाला मुण्डमालाधारी। त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला। शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी। नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे। कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥ ओम जय शिव ओंकारा॥
महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा के लिए निशिता काल के समय को अति उत्तम माना गया है. वहीं सर्वार्थ सिद्धि योग को किसी भी कार्य के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है. वार और नक्षत्र के संयोग से सर्वार्थ सिद्धि योग बनता है.
निशिता मुहूर्त: रात 12:09 से 01:00 तक
सर्वार्थ सिद्धि योग: शाम 05:42 से 19 फरवरी सुबह 06:56 तक
महाशिवरात्रि की पूजा के लिए वैसे तो पूरे दिन शुभ मुहूर्त होते हैं. लेकिन राहु काल और भद्रा काल का समय पूजा के लिए अशुभ माना जाता है.
राहुकाल समय: 18 फरवरी सुबह 09:46 से 11:11 तक
भद्रा समय: 18 फरवरी रात 08:02 से 19 फरवरी सुबह 06:10 तक
लाभ-उन्नति मुहूर्त: शाम 06:13-07:49 तक
शुभ-उत्तम मुहूर्त: रात 09:24-10:59 तक
अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त: रात 10:59-12:35 तक
लाभ-उन्नति मुहूर्त: 19 फरवरी सुबह 05:21-06:56 तक
महाशिवरात्रि की पूजा सुबह से लेकर रात तक होती है. लेकिन शुभ मुहूर्त में पूजा करने से लाभ होता है. दोपहर 3:24 तक लाभ उन्नति मुहूर्त था. इसके बाद अमृत सर्वोत्तम मुहूर्त शुरू हो जाएगा. अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त में पूजा करने के लिए दोपहर 03:24 से शाम 04:49 तक का समय शुभ रहेगा.
- पार्थिव शिवलिंग- हर कार्य सिद्धि पाने के लिए.
- गुड़ से बने शिवलिंग- प्रेम प्राप्ति के लिए.
- जौ या चावल या आटे से निर्मित शिवलिंग- वैवाहिक जीवन में सुख और संतान प्राप्ति के लिए.
- भस्म से बना शिवलिंग- सभी सुखों की प्राप्ति के लिए.
- दही से बने शिवलिंग- धन, यश और ऐश्वर्य प्राप्ति के लिए.
- पीतल या कांसा के बने शिवलिंग- मोक्ष प्राप्ति के लिए.
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था. यह स्थान आज रुद्रप्रयाग एक गांव त्रिर्युगी नारायण के नाम से जाना जाता है. इसी स्थान पर शिव-पार्वती का संपन्न हुआ था. तब यह स्थान हिमवत की राजधानी थी.
शिवलिंग परिक्रमा- शिव मंदिर में स्थित शिवलिंग की परिक्रमा कभी भी पूरी नहीं करनी चाहिए. शिवलिंग की हमेशा अर्ध परिक्रम ही करते हैं.
लाल चंदन- शिवलिंग पर कभी भी लाल रंग का चंदन नहीं लगाना चाहिए. शिवजी की पूजा में हमेशा सफेद और पीला चंदन ही प्रयोग करें.
अक्षत- शिवजी को पूजा में अक्षत चढ़ाते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि अक्षत टूटे हुए न हों.
करताल- भगवान शिव के पूजा में करताल नहीं बजाना चाहिए. इसके साथ ही ताली बजाना भी वर्जित माना जाता है.
कुमकुम- कुमकुम को सौभाग्य का प्रतीक माना गया है और भगवान शिव वैरागी हैं. वहीं शिवलिंग पुरुषत्व का प्रतीक माना जाता है. इसलिए शिवजी को कुमकुम या रोली नहीं चढ़ाए जाते.
आज महाशिवरात्रि पर प्रात:काल से लेकर रात्रि तक चारों प्रहर शिवजी की पूजा की जाएगी. शिवजी को केतकी के फूल नहीं अर्पित किए जाते हैं. लेकिन केवल केतकी ही नहीं बल्कि शिवजी को 20 तरह के फूल अर्पित करना वर्जित माना गया है. शिवजी की पूजा में केतकी, मंदती, केवड़ा, जूही, कुंद, शिरीष, कंद, अनार, कदंब, सेमल, सारहीन, कपास, पत्रकंटक, गंभारी, बहेड़ा, तिंतिणी, गाजर, कैथ, कोष्ठ और धव के फूल भी नहीं चढ़ाएं चाहिए.
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग (गुजरात), मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग (आंध्र प्रदेश), महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (मध्य प्रदेश), ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग (मध्य प्रदेश), केदारनाथ ज्योतिर्लिंग (उत्तराखंड), भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग (महाराष्ट्र), काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग (उत्तर प्रदेश), त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग (महाराष्ट्र), वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग (झारखंड), नागेश्वर ज्योतिर्लिंग (गुजरात), रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग (तमिलनाडु), घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग (महाराष्ट्र)
तिथि (Tithi): त्रयोदशी - 08:05:04 तक
दिन (Day): शनिवार
नक्षत्र (Nakshatra): उत्तराषाढ़ा - 05:42:32 तक
करण (Karna): गर - 09:53:56 तक, वणिज - 08:05:04 तक
पक्ष (Paksha): कृष्ण
योग (Yoga): व्यतीपात -07:35:05 तक
- ॐ नमः शिवाय
- ॐ नमो भगवते रुद्राय नमः
- ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् |
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् || - ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि
तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्! - करचरणकृतं वाक् कायजं कर्मजं वा श्रवणनयनजं वा मानसंवापराधं |
विहितं विहितं वा सर्व मेतत् क्षमस्व जय जय करुणाब्धे श्री महादेव शम्भो ॥
महाशिवरात्रि के दिन पूजा करते समय शिवलिंग पर नारियल नहीं चढ़ाना चाहिए और ना ही नारियल के पानी से शिवलिंग पर अभिषेक करना चाहिए. श्रीफल को माता लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है, जो भगवान विष्णु की अर्धांगिनी हैं. कहते हैं ये फल चढ़ाने से शिव नाराज हो जाते हैं.
महाशिवरात्रि व्रत का पारण 19 फरवरी 2023 को सुबह 6 बजकर 57 मिनट से दोपहर 3 बजकर 25 मिनट तक किया जाएगा. इस दिन भी शिव पूजा के बाद ही व्रत खोलें.
महाशिवरात्रि के दिन शिवालय में भोलेनाथ को उनका प्रिय अस्त्र त्रिशूल चढ़ाएं. इससे शनि संबन्धी कष्ट दूर होते हैं. आज महाशिवरात्रि पर शनि प्रदोष व्रत का संयोग भी बन रहा है ऐसे में विशेषकर काली उड़द की दाल, काले तिल, सरसों का तेल दान करना चाहिए. ये शनि के दुष्प्रभाव में कमी लाता है. शनि को शांत करने के लिए आज निशिता काल मुहूर्त में गंगाजल में काला तिल डालकर महादेव का रुद्राभिषेक करें. अभिषेक के वक्त शिव सहस्रनाम का जाप करें.
कुंभ - भोलेनाथ के साथ शनि देव की कृपा से करियर में तरक्की मिलेगी.नए काम की शुरुआत करने का अच्छा समय है,सफलता मिलेगी.
वृषभ - नौकरी में कार्य की सराहना होगी. प्रदोन्नति मिलने के योग है.
कर्क - कर्क राशि के जातकों पर भोलेनाथ मेहरबान रहेंगे. अपार धन मिलेगा. कार्यस्थल पर तरक्की होगी.
मेष - नौकरी में नए अवसर प्राप्त होंगे. आय में वृद्धि के प्रबल योग बन रहे हैं. अटका काम पूरा होगा.
महाशिवरात्रि पर चार प्रहर की पूजा सबसे उत्तम मानी गई है. चारों प्रहर में 4 खास चीजों से अभिषेक करने पर महादेव शीघ्र की मनोकामना पूरी करते हैं. पहले प्रहर में दूध चढ़ाएं. मान्यता है इससे कर्ज से छुटकारा मिलता है. दूसरे प्रहर में दही से अभिषेक करने पर संतान सुख मिलता है. तीसरे प्रहर में घी से अभिषेक करें, कहते इससे धन लक्ष्मी आकर्षित होती, चौथे प्रहर में शहद की धारा बनाकर शिवलिंग पर चढ़ाएं इससे मोक्ष मिलता है.
कन्या के विवाह में समस्या आ रही है या फिर कालसर्प दोष, शनि की ढ़य्या व साढ़ेसाती के प्रकोप को शांत करने के लिए अभिमंत्रित पारदेश्वर शिवलिंग पर अभिषेक करें. संतान प्राप्ति के लिए आप अभिमंत्रित स्फटिक निर्मित शिवलिंग पर अभिषेक करें.
शास्त्रों में कहा गया है रुतम्-दु:खम, द्रावयति- नाशयतीतिरुद्र: यानी कि रुद्राभिषेक से भोले सभी दु:खों को नाश कर देते हैं. महाशिवरात्रि पर शहद-घी से रुद्राभिषेक करने पर धन वृद्धि होती है. इत्र से अभिषेक करने वाले बीमारियों से दूर रहते हैं. दूध से रुद्राभिषेक साधक को संतान सुख प्रदान करता है. वहीं सरसों के तेल से रुद्राभिषेक करने वाले पर शत्रुओं का नाश होता है.
मेष - ॐ पार्वतीपतये नमः
वृषभ - ॐ त्रिनेत्राय नम:
कर्क - ॐ नमो भगवते रुद्राय नमः
सिंह - ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्
कन्या - ऊं नमः शिवाय
तुला - ॐ ज्ञानभूताय नम:
वृश्चिक - ऊं व्योमात्मने नम:
धनु - ॐ ईशानाय नम:
मकर -ॐ श्रीकंठाय नम:
कुंभ - ॐ अनंतधर्माय नम:
मीन - ॐ युक्तकेशात्मरूपाय नम:
महाशिवरात्रि पर एक दिव्य और दुर्लभ संयोग बना है. 18 फरवरी को यानी आज शनि और सूर्य के अलावा चंद्रमा भी कुंभ राशि में विराजमान रहेंगे. कुंभ राशि में शनि, सूर्य और चंद्रमा के मिलने से त्रिग्रही योग का निर्माण होगा. इसके अलावा महाशिवरात्रि पर शनि प्रदोष व्रत का भी शुभ संयोग बन रहा है. ऐसे में अगर आपकी राशि पर शनि की साढ़ेसाती या शनि की ढैय्या का प्रभाव है, तो इस विशेष दिन कुछ उपाय करने से आपको राहत मिल सकती है. इस दिन जल में काले तिल मिलाकर भगवान शिव का जलाभिषेक करना चाहिए. इससे साढ़ेसाती का दुष्प्रभाव कम होगा.
शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय लोहे या स्टील के बर्तन का उपयोग न करें. इसके बदले आप पीतल, चांदी का प्रयोग करें. भगवान शिव के अभिषेक में भूलकर भी भैंस के दूध का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. शंकर भगवान की पूजा में हल्दी नहीं चढ़ाई जाती है. भोलेनाथ को कनेर और कमल के अलावा कोई भी अन्य फूल प्रिय नहीं हैं. शिव जी को किसी भी लाल रंग के फूल, केतकी और केवड़े के फूल नहीं चढ़ाना चाहिए. ऐसा करने से पूजा का फल नहीं मिलता है. शास्त्रों के अनुसार शिव जी की पूजा में कुमकुम और रोली का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. इसलिए शिवलिंग पर कभी भी रोली नहीं चढ़ानी चाहिए.
आमतौर पर सभी देवी-देवताओं की पूरी परिक्रमा की जाती है. लेकिन शिवलिंग की आधी परिक्रमा करने का विधान है. हालांकि शिवलिंग की आधी परिक्रमा कर वापस आधी परिक्रमा करनी चाहिए. शिवलिंग की परिक्रमा करते समय दिशा का भी विशेष ध्यान रखें. सभी पूजा में देवी-देवताओं की परिक्रमा दाईं ओर से शुरू होती है. लेकिन शिवलिंग की परिक्रमा बाईं ओर से की जाती है. परिक्रमा करते समय कभी भी जलाधारी को लांघना नहीं चाहिए. इसे बहुत अशुभ माना जाता है. इससे शारीरिक ऊर्जा की हानि होती है.
महाशिवरात्रि के दिन भोले भंडारी को गुड़ से बना पुआ भोग लगाएं. भोलेनाथ को महाशिव रात्रि के दिन हलवा भोग लगाने का भी खास महत्व है. साथ ही इस शिवजी को कच्चे चने का भी भोग लगाया जाता है. भोलेनाथ को मखाने की खीर का भी भोग आप लगा सकते है. शिवरात्रि के दिन पर लस्सी का भी भोग शिव जी को लगा सकते हैं.
महाशिवरात्रि पर दिनभर शिवजी की पूजा की जाती है. वहीं प्रदोष काल यानी सूर्यास्त के बाद रात और दिन के बीच का समय पूजा के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. मान्यताओं के अनुसार इस समय की गई पूजा से भगवान शिव बहुत जल्द प्रसन्न हो जाते हैं. वहीं इसके बाद रातभर जागरण कर के रात के चारों प्रहर में पूजा करने से शिवजी सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं.
शिव भक्तों के लिए महाशिवरात्रि बहुत महत्वपूर्ण त्योहार है. आज के दिन शंकर भगवान के लिए व्रत रख उनकी खास पूजा-अर्चना की जाती है. महिलाओं के लिए महाशिवरात्रि का व्रत बेहद ही फलदायी माना जाता है. मान्यताओं के अनुसार आज के दिन भोलेनाथ का विवाह माता पार्वती से हुआ था. ऐसी मान्यता है कि महाशिवरात्रि का व्रत रखने से अविवाहित महिलाओं का विवाह जल्दी होता है. वहीं, विवाहित महिलाएं अपने पति के सुखी जीवन के लिए महाशिवरात्रि का व्रत रखती हैं.
पंडित सुरेश श्रीमाली के अनुसार महाशिवरात्रि पर शिवजी की पूजा के लिए बहुत लंबे चौड़े पूजा-पाठ, हवन-अनुष्ठान की आवश्यकता नहीं है. भोले भंडारी शिव तो श्रद्धापूर्वर केवल शिवलिंग पर शुद्ध जल और बिल्वपत्र अर्पित कर ऊँ नमः शिवाय का जाप करने मात्र से ही प्रसन्न हो जाते हैं.
भक्त में विश्वास, श्रद्धा और निष्ठा हो तो कामनाएं शीघ्र पूरी हो जाती है और महाशिवरात्रि तो सिद्धिदायक समय है. क्योंकि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को चन्द्रमा-सूर्य के समीप होते हैं. इस कारण इस समय जीवन रूपी चन्द्रमा का शिव रूपी सूर्य के साथ योग-मिलन होता है, जो सिद्धि प्रदान करता है.
पंडित सुरेश श्रीमाली के अनुसार इस बार महाशिवरात्रि पर वर्षों बाद दुर्लभ संयोग बन रहे हैं. इस साल महाशिवरात्रि के दिन ही शनि प्रदोष व्रत भी है. शनि प्रदोष व्रत पुत्र प्राप्ति के लिए किया जाता है. साथ इस दिन वाशी योग, सुनफा योग, शंख योग और शाम 5 बजकर 41 मिनट के बाद सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग बन रहा है. इन शुभ योगों में किए गए पूजा-पाठ और कार्यों का कई गुना अधिक फल मिलता है.
महाशिवरात्रि 2023 पूजन सामग्री
- कुश का आसन
- शिवलिंग
- गंगाजल
- आंक के फूल, गुलाब पुष्प
- पंचामृत (घी, गाय का कच्चा दूध, दही, शहद, शक्कर)
- पंच मेवा, पांच मौसमी फल, पांच प्रकार की मिठाई
- शिवा मुठ्ठी (गेहूं, काला तिल, अरहर दाल, अक्षत, मूंग)
- पान के पत्ते, लौंग, इलायची, सुपारी
- भांग, भस्म, केसर, रुद्राक्ष, मौली
- बेलपत्र, धतूरा, शमी पत्र
- सफेद चंदन, गन्ने का रस, हलवा
- अबीर, गुलाल, भोडल, कपूर, इत्र
- मां पार्वती के लिए सुहाग सामग्री
- महाशिवरात्रि व्रत कथा पुस्तक
- दान - कंबल, दक्षिणा, वस्त्र, अन्न
पंडित सुरेश श्रीमाली के अनुसार, इस साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 18 फरवरी 2023 शनिवार को रात 8 बजकर 2 मिनट से अगले दिन शाम 04 बजकर 18 मिनट तक रहेगी. महाशिवरात्रि के लिए निशिता काल पूजा का मुहूर्त चतुर्दशी तिथि में होना आवश्यक है, इसलिए महाशिवरात्रि 18 फरवरी को मनाई जाएगी.
शिवलिंग पर लगातार जल चढ़ाया जाता है. माना जाता है कि शिवलिंग पर चढ़ाए गए जल में भी शिव और शक्ति की ऊर्जा के कुछ अंश होते हैं. ऐसे में शिवलिंग की परिक्रमा करते समय इसे लांघा गया तो ये ऊर्जा व्यक्ति के पैरों के बीच से उसके शरीर में प्रवेश कर जाती है. इससे शारीरिक हानि होती है और कई परेशानियों का सामना भी करना पड़ सकता है. इसलिए शास्त्रों में शिवलिंग के जलाधारी या सोमसूत्र को लांघना पाप माना गया है.
फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि यानी 18 फरवरी 2023 को महाशिवरात्रि का महापर्व है. इस बार महाशिवरात्रि के दिन शनि प्रदोष का होना दुर्लभ संयोग माना जाता है, जोकि शिवजी की कृपा पाने और शनि दोष को दूर करने के लिए बेहद कारगर है. शुभ संयोग और शुभ मुहूर्त में भगवान शिव की आराधना करने से भक्तों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी.
- हल्दी का तिलक न लगाएं
- तुलसी दल न चढ़ाएं
- सिंदूर और कुमकुम
- कनेर, कमल और लाल फूल रंग के न चढ़ाएं
- शंख से जल अर्पित न करें
- लोहे या स्टील के लोटे से अभिषेक न करें
- मेष राशि: बेलपत्र अर्पित करें.
- वृष राशि: दूध मिश्रित जल चढ़ाएं.
- मिथुन राशि: दही मिश्रित जल चढ़ाएं.
- कर्क राशि: चंदन का इत्र अर्पित करें.
- सिंह राशि: घी का दीपक जलाएं.
- कन्या राशि: काला तिल और जल मिलाकर अभिषेक करें.
- तुला राशि: जल में सफेद चंदन मिलाएं.
- वृश्चिक राशि: जल और बेलपत्र चढ़ाएं.
- धनु राशि: अबीर या गुलाल चढ़ाएं.
- मकर राशि: भांग और धतूरा चढ़ाएं.
- कुंभ राशि: पुष्प चढ़ाएं.
- मीन राशि: गन्ने के रस और केसर से अभिषेक करें.
महाशिवरात्रि के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि कर साफ कपड़े पहन लें. इस दिन हरे रंग के कपड़े पहनना शुभ होता है. इसके बाद शिव मंदिर में जाकर शुद्ध जल, गन्ने का रस, दूध, दही, शहद और घी आदि से शिवलिंग पर अभिषेक करें. अब शिवलिंग पर चंदन का लेप लगाएं और भगवान को बेलपत्र, भांग, धतूरा, फल, मिष्ठान, आदि अर्पित करें. इसके बाद शिव चालीसा पढ़ें और शिवजी के मंत्रों का उच्चारण करें. आखिर में शिवजी की आरती गाएं.
इस साल महाशिवरात्रि पर शनि प्रदोष व्रत का संयोग भी बन रहा है. वहीं 30 साल बाद शनि देव कुंभ राशि में संचरण कर रहे हैं. इससे शनि और सूर्य महाशिवरात्रि पर कुंभ राशि में रहेंगे. इसके साथ ही शुक्र ग्रह मीन राशि में विराजमान हैं.
महाशिवरात्रि के दिन पूजा में शिवजी को केतकी के फूल नहीं चढ़ाने चाहिए. इसके साथ ही कनेर, कमल और लाल रंग के फूल भी शिवलिंग पर नहीं चढ़ाने चाहिए. शिवलिंग की पूजा में धतूरे का फूल या सफेद रंग के फूल चढ़ाना बहुत शुभ होता है.
महाशिवरात्रि के दिन हरे रंग के कपड़े पहनकर पूजा करना शुभ माना जाता है. इससे भगवान प्रसन्न होते हैं. इसके साथ ही आप लाल, पीला, सफेद और नारंगी रंग के कपड़े भी पहन सकते हैं. लेकिन काले रंग के वस्त्र पहनकर शिवजी की पूजा नहीं करनी चाहिए.
- प्रथम प्रहर:18 फरवरी शाम 06:45 से 09:35 तक
- दूसरा प्रहर: 18 फरवरी रात 09:35 से 12:24 तक
- तीसरा प्रहर: 18-19 फरवरी रात 12:24 से 03:14 तक
- चौथा प्रहर: 19 फरवरी सुबह 03:14 से06:03 तक
भगवान शिव को स्वयंभू कहा गया है. इसका अर्थ है कि वह अजन्मा हैं. वह ना आदि हैं और ना अंत. भोलेनाथ की उत्पत्ति को लेकर रहस्य कायम है.
शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव को स्वयंभू माना गया है, वहीं विष्णु पुराण के मुताबिक शिव भगवान विष्णु के माथे के तेज से उत्पन्न हुए बताए गए हैं.
कहते हैं कि जिस पर शिव की कृपा हो जाए उसे जीवन में कोई संकट नहीं आता. भगवान शिव की लिंग रूप में पूजा की जाती है. शिव को प्रसन्न करने का एक ही तरीका है, उनकी सच्ची श्रद्धा से भक्ति.
- सुबह का मुहूर्त - सुबह 8 बजकर 22 मिनट से 9 बजकर 46 मिनट तक शुभ का चौघड़िया है
- दोपहर का मुहूर्त - दोपहर 2.00 बजे से 3 बजकर 24 मिनट तक लाभ का चौघड़िया रहेगा.
- अमृत काल मुहूर्त - दोपहर 3 बजकर 24 मिनट से 4 बजकर 49 मिनट अमृत का चौघड़िया है. अमृत काल शिव पूजा के लिए उत्तम फलदायी होता है.
- शाम का मुहूर्त - शाम 6 बजकर 13 मिनट से 7 बजकर 48 मिनट तक महादेव की उपासना का मुहूर्त बन रहा है.
- निशिता काल मुहूर्त - महाशिवरात्रि की पूजा मध्यरात्रि में करने का विधान है. 18 फरवरी को रात 10 बजकर 58 मिनट से 19 फरवरी 2023 को प्रात: 1 बजकर 36 मिनट तक महानिशीथ काल में शिव पूजा पुण्यकारी होगी.
- महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग की पूजा करने से जन्मकुंडली के नवग्रह दोष तो शांत होते हैं.
- मानसिक अशान्ति, मां के सुख और स्वास्थ्य में कमी, मित्रों से संबंध, मकान-वाहन के सुख में विलम्ब, हृदयरोग, नेत्र विकार, चर्म-कुष्ट रोग,
- नजला-जुकाम, स्वांस रोग, कफ-निमोनिया संबंधी रोगों से मुक्ति मिलती है और समाज में मान प्रतिष्ठा बढती है.
- शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से व्यापार में उन्नति और सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ती है.
फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 18 फरवरी 2023 को रात 08 बजकर 02 पर शुरू हो रही है और अगले दिन 19 फरवरी 2023 को शाम 04 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगी.
महाशिवरात्रि की पूजा रात्रि के चार प्रहर में करने का विधान है. इस समय शिव-पार्वती की पूजा की जाती है. ऐसे में शिवरात्रि का व्रत और पूजन 18 फरवरी 2023 को ही किया जाएगा. चूंकि चतुर्दशी तिथि 19 फरवरी 2023 को शाम को समाप्त हो रही है ऐसे में इस दिन सूर्योदय से सूर्यास्त तक शिव साधना करना भी उत्तम होगा.
महाशिवरात्रि के व्रत से एक दिन पूर्व एक ही समय भोजन करना चाहिए और शिवरात्रि के दिन सुबह जल्दी उठकर नित्य क्रियाओं से निवृत्त होकर स्नान ध्यान करके व्रत करने का संकल्प ग्रहण करना चाहिए. मन ही मन भगवान शिव से अपनी मनोकामना कहनी चाहिए और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने की इच्छा व्यक्त करनी चाहिए.
वैसे तो महाशिवरात्रि की पूजा पूरे दिन और चारों पहर होती है. लेकिन इस दिन निशीथ काल में पूजा का समय रात्रि 12:10 से रात्रि 1:01 तक रहेगा. वहीं व्रत का पारण अगले दिन 19 फरवरी को सुबह 6:57 से दोपहर 3:25 तक किया जा सकेगा.
यदि आप प्रहर के आधार पर पूजा करना चाहते हैं तो, प्रथम प्रहर सायंकाल 6:14 से रात्रि 9:25 तक रहेगा. द्वितीय प्रहर रात्रि 9:25 से मध्य रात्रि 12:36 तक रहेगा. तृतीय प्रहर मध्य रात्रि 12:36 से प्रातः काल 3:47 तक रहेगा और चतुर्थ प्रहर 3:47 बजे से 6:57 बजे तक रहेगा.
महाशिवरात्रि के पर्व को भगवान शिव और माता पार्वती के विवाहोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है. परम कल्याणकारी सदाशिव और परम कल्याणकारिणी मां पार्वती के पवित्र मिलन को परिभाषित करता महाशिवरात्रि का त्योहार हमें जीवन में सबकुछ प्रदान करने का सामर्थ्य को दर्शाता है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की एकसाथ पूजा करने से जन्म जन्मांतर के कष्टों से मुक्ति मिलती है.
महादेव और माता पार्वती के मिलन का यह दिन अत्यंत ही पवित्र और पावन होता है. इस दिन निराहार रहकर भगवान शिव की उपासना करने का महत्व है. भगवान शिव ने ही जगत की रक्षा के लिए हलाहल विष का पान किया था और वह नीलकंठ हो गए थे. शिव और शक्ति के एकात्म रूप अर्धनारीश्वर की अवधारणा हमें अपने जीवन में आत्मसात करनी चाहिए.
शिव पुराण के अनुसार, जो भक्त महाशिवरात्रि पर जीवधारी जितेंद्रिय रहकर और निराहार बिना जल ग्रहण किए शिव आराधना करते हैं, उन्हें समस्त सुखों की प्राप्ति होती है. महाशिवरात्रि के व्रत से कई गुना पुण्यफल की प्राप्ति होती है.
शिव और शक्ति के मिलन के महापर्व को महाशिवरात्रि के नाम से जाना जाता है. जगत में प्रकृति और मनुष्य के बीच के संबंध को परिभाषित करता है और इससे हमें यह प्रेरणा लेनी चाहिए कि हमें अपनी प्रकृति को तनिक भी नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए. क्योंकि वह माता स्वरूप होकर जीवन में हमारा पालन-पोषण करती हैं.
महाशिवरात्रि पर सायंकाल 5:40 के उपरांत श्रवण नक्षत्र प्रारंभ होगा और सांय 5:40 तक उत्तराषाढ़ा नक्षत्र स्थित रहेगा. उत्तराषाढ़ा का अंतिम चरण और श्रवण नक्षत्र का प्रथम चरण विशेष रूप से अभिजित नक्षत्र को जन्म देते हैं. श्रवण नक्षत्र आने पर स्थिर योग उत्पन्न होगा और सिद्धि योग बनेगा. ऐसी स्थिति में भगवान शिव की उपासना करना अत्यंत फलदायी रहेगा.
इस साल महाशिवरात्रि शनिवार 18 फरवरी 2023 को पड़ रही है. इस बार महाशिवरात्रि पर विशेष संयोग भी बन रहे हैं, जिसमें पूजा-व्रत करना अत्यंत फलदायी रहेगा. इस साल महाशिवरात्रि के दिन प्रदोष व्रत भी है और साथ ही शनिवार का दिन भी है.
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Happy Mahashivratri Wishes 2023 Highlights: महाशिवरात्रि यानि साल की सबसे बड़ी शिवरात्रि पंचांग के अनुसार 18 फरवरी 2023 यानि आज मनाई जा रही है. शिव भक्त इस महापर्व का पूरे वर्ष इंतजार करते हैं. पौराणिक धार्मिक ग्रंथों में भगवान शिव का स्थान विशेष बताया गया है. भगवान शिव को समर्पित इस पर्व की महिमा विशेष है. मान्यता है कि इस दिन विधि पूर्वक पूजा, व्रत करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
महाशिवरात्रि क्यों विशेष है? (Surya Shani Yuti 2023)
इस बार की महाशिवरात्रि विशेष है.पंचांग की गणना के अनुसार साल 2023 यानि इस वर्ष 30 साल बाद एक अद्भूत संयोग बना है. जिस दिन महाशिवरात्रि का पर्व पड़ रहा है उस दिन यानि 18 फरवरी 2023 को सूर्य और शनि ग्रह कुंभ राशि में मौजूद रहेगें.
आज की तिथि (Aaj Ki Tithi)
पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी की तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है. इस दिन भगवान शिव की विशेष उपासना की जाती है. इस दिन शिव जी के साथ मां पार्वती की भी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है.
महाशिवरात्रि की पूजा (Shadopchar Pooja)
मान्यता के अनुसार षोडशोपचार पूजन के साथ महाशिवरात्रि की पूजा करनी चाहिए. इसके साथ ही भगवान शिव का गंगाजल से मंत्रों के साथ अभिषेक करना चाहिए. इसके साथ ही बेलपत्र, भांग, धतूरा, फल, मिष्ठान, वस्त्र आदि अर्पित करने चाहिए.
महाशिवरात्रि 2023 कब है? (Mahashivratri 2023 Kab Hai)
18 फरवरी 2023 को महाशिवरात्रि की पूजा का मुहूर्त रात में 12:09 बजे से देर रात 01:00 बजे तक है. इसके आलावा आप सूर्योदय काल से पूरे दिन महाशिवरात्रि की पूजा कर सकते हैं.
महाशिवरात्रि 2023 पूजा मुहूर्त (Mahashivratri 2023 Puja Time)
फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 18 फरवरी 2023 को रात 08 बजकर 02 पर शुरू हो रही है और अगले दिन 19 फरवरी 2023 को शाम 04 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगी.
महाशिवरात्रि के उपाय (Mahashivratri Ke Upay)
महाशिवरात्रि पर चार प्रहर की पूजा में अलग-अलग चीजों से अभिषेक करें. पहले प्रहर में दूध चढ़ाएं. मान्यता है इससे कर्ज से छुटकारा मिलता है. दूसरे प्रहर मेंदही से अभिषेक करें, इससे संतान सुख और वैवाहिक जीवन में खुशहाली आती है. तीसरे प्रहर में घी से अभिषेक करें, कहते इससे धन लक्ष्मी आकर्षित होती, व्यक्ति को नौकरी और कारोबार में तरक्की मिलती है. चौथे प्रहर में शहद की धारा बनाकर शिवलिंग पर चढ़ाएं इससे अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है.
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