MahaShivratri 2023: महाशिवरात्रि का दिन देवी पार्वती और भोलेनाथ के जन्म-जन्मांतर का साथ और पूर्णता प्राप्त प्रेम का प्रमाण है. इस साल शिवरात्रि का पर्व 18 फरवरी 2023 को मनाया जाएगा. देवी पार्वती ने सदियों प्रतीक्षा और कठोर तप के बाद फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन शिव को पति के रूप में पाया था. शिव जी सकल सृष्टि के स्वामी हैं. शिव के इत्तर माता पार्वती ने कभी कुछ और नहीं चाहा, लेकिन एक ऐसा भी वाक्या है जब भोलेनाथ को माता पार्वती के क्रोध का शिकार होना पड़ा था. इतना ही नहीं देवी पार्वती ने क्रोध की आग में भोलेनाथ को ही श्राप दे दिया. आइए जानते हैं आखिर क्यों माता पार्वती ने शिव को श्राप दिया.


देवी पार्वती ने दिया शिव को श्राप


पौराणिक कथा के अनुसार एक बार देवी पार्वती ने महादेव के समक्ष चौसर खेलने की इच्छा प्रकट की. भोलेनाथ ने देवी के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया. चौसर का खेल शुरू हुआ. हर चाल में देवी पार्वती भगवान भोलेनाथ को मात दे रहीं थी. खेल में भगवान शिव सब कुछ पार्वतीजी के हाथों हारने के बाद पत्तों के वस्त्र पहनकर गंगा के तट पर चले जाते हैं.


चौसर के खेल में सबकुछ गवां चुके थे भोलेनाथ


पार्वती जी यह देखकर चिंतित हो जाती हैं. यह बातें जब कार्तिकेय को पता चली तो वह माता पार्वती से समस्त वस्तुएं वापस लेने पहुंच गए लेकिन देवी ने खेल के नियम अनुसार वस्तुएं देने से इनकार कर दिया फिर देवी पार्वती और कार्तिकेय जी के बीच खेल शुरू हुआ, जिसमें माता हार गईं. कार्तिकेय शंकरजी का सारा सामान लेकर वापस चले गए. देवी पति वियोग से परेशान थी तभी माता की व्यथा सुनकर गणेशजी स्वयं खेल खेलने भोलेनाथ के पास पहुंचे.


नाराज होकर महादेव गंगा तट पर पहुंचे


गणपति जी ने भी चौसर के खेल में पिता शिव को परास्त कर दिया. अपनी जीत की खुशी का समाचार गणपति ने माता को सुनाया तो उन्होंने पिता को पुन: कैलाश पर लाने की बात कही. गणपति जी ने दोबारा प्रयास किया लेकिन शिव नहीं माने और इस बार भोलेनाथ के भक्त रावण ने गणेशजी के वाहन मूषक को बिल्ली का रूप धारण करके डराकर भगा दिया. शिव ने कहा कि अगर पार्वती जी फिर से खेल खेलने को राजी होंगी तो वह लौट आएंगे.


शिव ने चौसर का पासा बदला


पार्वती जी ने महादेव के प्रस्ताव को स्वीकार किया. चूंकि अब शंकर जी अपना सब कुछ हार चुके थे ऐसे में पार्वती ने उनसे पूछा कि अब उनके पास खेल में हारने के लिए क्‍या है.  इस पर नारदजी ने अपनी वीणा शिव जी को सौंप दी. खास बात ये है कि इस खेल में भगवान विष्णु ने भोलेशंकर की इच्छा से पासा का रूप धारण कर लिया था. अब खेल में भोलेनाथ हर बार जीतने लगे.


माता पार्वती ने क्रोध में दिया भोलेनाथ को ये श्राप


गणपति जी महादेव और विष्णु जी की चाल समझ गए, उन्होंने सारा वृतांत माता को बताया तो वह भयंकर क्रोधित हो उठीं.उसी समय रावण ने माता को समझाने का प्रयास किया। लेकिन उनका क्रोध शांत नहीं हुआ तथा क्रोधवश उन्होंने भोलेनाथ को शाप दे दिया कि उनके सिर पर सदैव गंगा की धारा का बोझ रहेगा. वहीं इस खेल में शिव का साथ देने पर रावण को भी श्राप दिया कि एक दिन भगवान विष्णु ही उसका अंत करेंगे.


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