(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Mahashivratri 2023: भारत के इस स्थान में है विश्व का सबसे बड़ा प्राकृतिक शिवलिंग, खुद ही बढ़ रहा है शिवलिंग का आकार
Mahashivratri 2023: दुनियाभर के कई स्थानों में शिवलिंग की स्थापना की गई है. लेकिन छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में मदौरा गांव में सबसे बड़ा शिवलिंग हैं. खास बात यह है कि यह प्राकृतिक शिवलिंग है.
Mahashivratri 2023, World Largest Natural Shivling: भगवान शिव के पावन पर्व महाशिवरात्रि पर शिवालयों में भक्तों का तांता लगा रहता है. शनिवार 18 फरवरी 2023 को महाशिवरात्रि के दिन भी शिव मंदिरों व शिवालयों में भक्त भोलेनाथ के दर्शन और पूजन के लिए पहुंचेंगे. शिवजी के ऐसे कई प्रसिद्ध मंदिर हैं जहां महाशिवरात्रि ही नहीं बल्कि प्रतिदिन दर्शन के लिए भक्त पहुंचते हैं. इसके साथ ही दुनियाभर के अलग-अलग जगहों पर शिवलिंग का निर्माण और स्थापना की गई है, जिसका अपना महत्व और विशेषताएं हैं.
लेकिन छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के मदौरा गांव के घने जंगलों के बीच विशाल शिवलिंग है जोकि प्राकृतिक शिवलिंग है. इसे भूतेश्वर नाथ के नाम से भी जाना जाता है. यह केवल भारत ही नहीं बल्कि विश्व का ऐसा शिवलिंग है जो विशाल और प्राकृतिक है.
भूतेश्वर नाथ शिवलिंग का आकार
यह शिवलिंग जमीन से लगभग 18 फीट ऊंचा और 20 फीट गोलाकार है. कहा जाता है कि यह शिवलिंग हर साल 6-8 इंच खुद ही बढ़ रहा है. राजस्व विभाग द्वारा प्रतिवर्ष शिवलिंग की ऊंचाई माप ली जाती है.
भूतेश्वर नाथ शिवलिंग से जुड़ा इतिहास
मान्यता है कि, सैंकड़ों वर्ष पहले इस स्थान पर शोभा सिंह जमींदार का खेत थी. शोभा सिंह जब खेती करने जाते थे तो उन्हें खेत के पास एक टीले जैसी आकृति नजर आई थी और साथ ही सांड के हुंकारने और शेर के दहाड़ने की आवाजें भी सानई पड़ती थी. शोभा सिंह ने कई बार ये आवाजें सुनी और आखिरकार उसने यह बात गांव वालों को बताई. इसके बाद गांव वाले जंगली जानवर की खोजबीन में लग गए. जब दूर-दूर तक कोई जानवर न मिला तो गांव वालों की श्रद्धा इस स्थान से जुड़ गई. जमीन से निकले टीले को लोग शिवलिंग का रूप मानकर पूजा करने लगे. गांव वालों के अनुसार, शुरुआत में यह टीला बहुत छोटा था और इसकी ऊंचाई व गोलाई भी कम थी जोकि धीरे-धीरे बढ़ने लगी और आज भी बढ़ रही है.
भूतेश्वर नाथ शिवलिंग से जुड़ी पौराणिक मान्यता
कहा जाता है कि छुरा नरेश बिंद्रनवागढ़ के पूर्वज यहां पूजा करते थे. शिवलिंग पर हल्की दरार है, जिस कारण इसे अर्धनारीश्वर का स्वरूप भी माना जाता है. महाशिवरात्रि, सावन और विशेष मौके पर गरियाबंद जिले के भूतेश्वर महादेव में मेला भी लगता है और भक्तों की भारी भीड़ जुटती है.
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