Mahashivratri 2024 Highlights: आज महाशिवरात्रि पर बना बेहद शुभ संयोग, इस मुहूर्त में पूजन से बरसेगी शिव-शनि की कृपा
Mahashivratri 2024 Puja Vidhi Muhurat Highlights: 8 मार्च 2024 को महाशिवरात्रि है. इस दिन शिव पूजा और जलाभिषेक के लिए शुभ मुहूर्त, विधि, शिवलिंग पूजा के नियम, मंत्र आदि सारी जानकारी यहां जानें
इस साल 2024 में महाशिवरात्रि का पावन पर्व 08 मार्च को मनाया गया. अब अगले साल यानी 2025 में फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि बुधवार, 26 फरवरी को पड़ेगी और इसी दिन महाशिवरात्रि मनाई जाएगी.
आज महाशिवरात्रि पर बेलवृक्ष के पास एक दीपक जरूर जलाएं. शिव महापुराण के अनुसार बेल वृक्ष की जड़ में शिव का सांकेतिक निवास है, जिसे लिंगरूप कहा गया है. बेल वृक्ष के पास दीपक जलाने वालों के सभी पाप दूर होते हैं और उसे शिव लोक की प्राप्ति होती है.
हलवा,
ठंडाई,
मालपुआ,
लस्सी,
सफेद बर्फी,
सूखा मावा,
खीर
शिवपुराण के अनुसार, बेलपत्र को शिव का प्रतीक माना गया है. वहीं शिवपुराण के विधेश्वर संहिता के 22 वें अध्याय में बेल वृक्ष को शिव का स्वरूप कहा गया है. ऐसी भी मान्यता है कि बेलपत्र का निर्माण मां पार्वती के पसीने से हुआ है. वहीं शास्त्रों में कहा गया है कि बेल की पत्तियों में मां पार्वती का वास है. इन्हीं कारणों से महादेव को बेलपत्र अतिप्रिय है और उनकी सभी पूजा में बेलपत्र जरूर चढ़ाना चाहिए.
स्कंद पुराण, ब्राह्म खण्ड-ब्रह्मोत्तर खण्ड अध्याय क्रमांक 2 के अनुसार शिवरात्री हर महीने की कृष्ण चतुर्दशी को मनाई जाती है. लेकिन भगवान शिव फाल्गुन कृष्णा चतुर्दशी (शिवरात्रि) में पूर्णतः विद्यमान रहते हैं, इसलिए इसे महाशिवरात्रि कहा जाता है. सभी शिवरात्रि में इसका विशेष महत्व होता है.
महाशिवरात्रि के दिन आज भक्त मंदिर और शिवालयों में शिवलिंग की पूजा कर रहे हैं. शिवलिंग की पूजा में सबसे पहले जल चढ़ाया जाता है. पौराणिक मान्यता के अनुसार, समुद्र मंथन में निकले हलाहल विष का पान करने के कारण शिवजी का कंठ नीला हो गया था और विष के तेज से उनका शरीर तप रहा था. तब शरीर के ताप को कम करने के लिए देवताओं ने शिवजी पर जल की धारा चढ़ाई. इसलिए शिवलिंग पर जल और जल समेत दूध, दही, शहद, गन्ने का रस आदि जैसे तरल पदार्थ चढ़ाए जाते हैं.
- सोमनाथ ज्योतिर्लिंग
- मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग
- महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग
- ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग
- केदारनाथ ज्योतिर्लिंग
- भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग
- विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग
- त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग
- बैजनाथ ज्योतिर्लिंग
- रामेश्वर ज्योतिर्लिंग
- नागेश्वर ज्योतिर्लिंग
- घुष्मेश्वर ज्योतिर्लिंग
महाशिवरात्रि व्रत का पारण 9 मार्च 2024 को सुबह 06.37 से दोपहर 03.29 के बीच किया जाएगा. पारण के लिए ये शुभ मुहूर्त है. हालांकि लोग महाशिवरात्रि का व्रत पारण अपनी मान्यता अनुसार करते हैं.
महाशिवरात्रि की पूजा कर रहे हैं तो भूलकर भी शिवलिंग पर तुलसी, नारियल, टूटे अक्षत, केतकी का फूल, हल्दी, कुमकुम, सिंदूर नहीं चढ़ाएं. भोलेनाथ की पूजा में ये सामग्री वर्जित है.
महाशिवरात्रि के दिन शिव, सिद्ध और सर्वार्थसिद्ध योग बन रहे हैं. शिवयोग में भोलेनाथ की पूजा बहुत ही शुभ मानी जाती है. इस योग में भगवान शिव का नाम जपने वाले मंत्र बहुत ही शुभ फलदायक और सफलता कारक होते हैं.
महाशिवरात्रि के दिन धतूरा, शमी पौधा, मोगरे का पौध और बेलपत्र का पौधा घर में लगाने से भोलेनाथ का आशीर्वाद प्राप्त होता है. बेलपत्र पर शिव का वास होता है, इन पौधो के घर में होने से नकारात्मकता दूर होती है. ग्रह दोष समाप्त होते हैं. शनि प्रसन्न रहते हैं. दांपत्य जीवन में सुख-शांति बनी रहती है.
महाशिवरात्रि की रात को ग्रहों की स्थिति ऐसी होती है कि ये मानव शरीर में ऊर्जा को शक्तिशाली ढंग से ऊपर की ओर ले जाती है. इस रात रीढ़ को सीधा रखकर जागृत और सजग रहना हमारी शारीरिक और आध्यात्मिक खुशहाली के लिए बहुत ही लाभदायक है
रुद्राक्ष - ये शिव स्वरूप है. महाशिवरात्रि पर एक मुखी रुद्राक्ष लाकर विधि विधान से पूजा करें, शिव को चढ़ाएं और अगले दिन तिजोरी में रख दें. बरकत बनी रहेगी.
पारद शिवलिंग - महाशिवरात्रि पर पारद शिवलिंग की घर में स्थापना करने से रोग, दोष से मुक्ति मिलती है. मां लक्ष्मी सदा मेहरबान रहती है.
महाशिवरात्रि पर मिथुन राशि वालों के लिए सौगात लाई है. व्यापारी वर्ग के तरक्की के रास्ते खुलेंगे. निवेश का अच्छा मौका है. धन में वृद्धि होगी
कुंभ राशि वालों को महाशिवरात्रि से अगले एक महीने तक आर्थिक रूप से लाभ मिलेगा. वेतन में बढ़ोत्तरी के योग हैं. करियर में आ रही बाधा दूर होगी.
वृश्चिक राशि के जातक के लिए महाशिवरात्रि बहुत लकी साबित होगी. पैतृक संपत्ति से जल्द धन लाभ होगा. पुराने निवेश से भी पैसों में फायदा होगा.
काले तिल को शनि का प्रतीक माना गया है. शिव पुराण के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन प्रदोष काल में शिवलिंग पर एक मुठ्ठी काले तिल चढ़ा दें. मान्यता है इससे रोगों का नाश होता है. शनि के दुष्प्रभाव में कमी आती है.
महाशिवरात्रि पर अनोखा संयोग. इस दुर्लभ योग में भगवान शिव की पूजा शीघ्र फल प्रदान करने वाली मानी गई है. महाशिवरात्रि पर शुक्रवार के दिन श्रवण नक्षत्र उपरांत धनिष्ठा नक्षत्र, शिवयोग, गर करण तथा मकर/कुंभ राशि के चंद्रमा की साक्षी रहेगी.
वहीं, कुंभ राशि में सूर्य, शनि, बुध का युति संबंध रहेगा. इस प्रकार के योग तीन शताब्दी में एक या दो बार बनते हैं, जब नक्षत्र, योग और ग्रहों की स्थिति केंद्र त्रिकोण से संबंध रखती है.
महाशिवरात्रि के दिन निशिता काल पूजा समय रात 00:07 से 00:56, मार्च 09
महाशिवरात्रि की पूजा पहर में की जाएगी, नोट करें चारों पहर की पूजा का समय-
रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय - 18:25 से 21:28
रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय - 21:28 से 00:31, मार्च 09
रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय - 00:31 से 03:34, मार्च 09
रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय - 03:34 से 06:37, मार्च 09
कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम् ।
सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि ।।
इस मंत्र का अर्थ है-कपूर के समान सफ़ेद, करुणावतारं: करुणा के अवतार
संसारसारं: समस्त सृष्टि के सार,
भुजगेंद्रहारम्: जो सांपों को हार के रूप में धारण करते हैं
सदा वसतं हृदयाविन्दे भवंभावनी सहितं नमामि- इसका अर्थ है कि जो शिव, पार्वती के साथ सदैव मेरे हृदय में निवास करते हैं, उनको मेरा नमन है.
कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम् ।
सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि ।।
महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर इन चीजों को जरुर अर्पित करें. जल, दूध, गंगाजल,दही, शहद, शक्कर, बेर, धतुरा, बेलपत्र, फल, फूल, भांग, घी, चंदन आदि चीजें शिवलिंग पर अर्पित करें.
आज शिवलिंग पर जलाभिषेक करते समय जरुर करें इन मंत्रों का जाप-
- ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
- ॐ तत्पुरुषाय विदमहे, महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात्।
- ॐ नमः शिवाय
- ॐ हौं जूं स:
- चंद्र बीज मंत्र- 'ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चंद्रमसे नम:'
चंद्र मूल मंत्र- 'ॐ चं चंद्रमसे नम:'
विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए महाशिवरात्रि का दिन अति उत्तम माना जाता है. इस दिन मंदिर जाकर लाल रंग की मौली लेकर शिव जी और माता पार्वती की परिक्रमा करते हुए सात बार मौली से दोनों के बांध दें. इसके बाद भोलेनाथ और माता पार्वती की संयुक्त रूप से पूजा करें. इस उपाय को करने से शीघ्र विवाह के योग बनते हैं.
महामृत्युंजय मंत्र को भगवान शिव को प्रसन्न करने वाला मंत्र माना जाता है. महाशिवरात्रि के दिन इस मंत्र के जाप से रोग और अकाल मृत्यु का भय खत्म हो जाता है. इस दिन महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को लंबी आयु प्राप्त होती है. यह मंत्रमांगलिक दोष, नाड़ी दोष, कालसर्प दोष और भूत-प्रेत दोष से भी छुटकारा दिलाता है.
महामृत्युंजय मंत्र- 'ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् | उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ||'
कालसर्प दोष से छुटकारा पाने के लिए महाशिवरात्रि का दिन अति उत्तम माना जाता है. इस दिन भगवान शिव की आराधना करना शुभ फलदायक होता है. महाशिवरात्रि के दिन उच्जैन के महाकालेश्वर, नासिक के त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग और प्रयागराज में तक्षकेश्वर महादेव के मंदिर में रुद्राभिषेक करने से कालसर्प दोष का प्रभाव खत्म हो जाता है. कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए इस दिन महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए और शिवजी को चांदी के नागों का जोड़ा चढ़ाना चाहिए.
महाशिवरात्रि पर पूरे दिन शिव जी की पूजा-अर्चना की जाती है. वहीं इस दिन प्रदोष काल यानी सूर्यास्त के बाद रात और दिन के बीच का समय पूजा के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. मान्यताओं के अनुसार इस समय की गई पूजा से भगवान शिव बहुत जल्द प्रसन्न हो जाते हैं. वहीं इसके बाद रातभर जागरण कर के रात के चारों प्रहर में पूजा करने से शिवजी सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. महाशिवरात्रि का रात्रि जागरण से जीवन के तमाम कष्ट दूर हो जाते हैं. इसलिए महाशिवरात्रि की रात सोना नहीं चाहिए.
शिव भक्तों के लिए महाशिवरात्रि बहुत महत्वपूर्ण त्योहार है. आज के दिन शंकर भगवान के लिए व्रत रख उनकी खास पूजा-अर्चना की जाती है. महिलाओं के लिए महाशिवरात्रि का व्रत बेहद ही फलदायी माना जाता है. इस दिन ही भोलेनाथ का विवाह माता पार्वती से हुआ था. ऐसी मान्यता है कि महाशिवरात्रि का व्रत रखने से अविवाहित महिलाओं का विवाह जल्दी होता है. वहीं, विवाहित महिलाएं अपने पति के सुखी जीवन के लिए महाशिवरात्रि का व्रत रखती हैं.
आज महाशिवरात्रि के दिन कई शुभ संयोग बन रहे हैं. आज महाशिवरात्रि के साथ-साथ शुक्र प्रदोष व्रत भी है. इसके अलावा आज पूरे दिन शिव योग है. इसके अलावा आज सर्वार्थ सिद्धि योग और सिद्ध योग भी बन रहा है. आज महाशिवरात्रि के दिन श्रवण नक्षत्र भी रहेगा. इस नक्षत्र के स्वामी शनिदेव माने जाते हैं जो कि शिव जी के परम भक्त हैं. इसलिए आज की पूजा से भक्तों को शिव के साथ शनि की भी कृपा प्राप्त होगी.
महाशिवरात्रि के दिन शिव पुराण का पाठ करना या सुनना बहुत फलदायी माना जाता है. इस दिन शिव पुराण की कथा को पढ़ने से समस्त दुख दूर होते हैं और पूरे परिवार पर शिवजी का आशीर्वाद बना रहता है. आज के दिन शिव पुराण को महज सुनने मात्र से ही व्यक्ति के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं.
भगवान शिव की पूजा में तुलसी का प्रयोग वर्जित है. भोलेनाथ का शंख से जलाभिषेक नहीं करना चाहिए. भगवान शिव ने शंखचूड़ का वध किया था इसलिए शिव पूजन में शंख का प्रयोग नहीं किया जाता. भगवान शिव की पूजा में हल्दी का प्रयोग भी नहीं किया जाता है. शिवलिंग पर कभी भी टूटे चावल नहीं चढ़ाने चाहिए. हमेशा साबुत अक्षत का प्रयोग करना चाहिए. शिवलिंग पर केतकी, कावड़ फूल, चंपा, कनेर लाल रंग के फूल अर्पित नहीं करने चाहिए. कुमकुम-रोली और सिंदूर का प्रयोग भी शिवलिंग पर वर्जित है.
मिट्टी के लोटे में पानी या दूध भरकर इसमें ऊपर से बेलपत्र, आक-धतूरे के फूल और चावल डाल लें. इसके बाद इसे शिवलिंग पर चढ़ाएं. दही, दूध, शहद, घी और गंगाजल मिलाकर इससे शिवलिंग का अभिषेक करें. इसके बाद भोलेनाथ को अक्षत, मोली, चंदन, बिल्व पत्र, सुपारी, पान के पत्ते, फल, फूल और नारियल अर्पित करें. अब घी का दीपक जलाकर महादेव की आरती करें और उनके विशेष मंत्रों का जाप करें. अंत में फल, मिठाई चढ़ाएं.
आज के दिन शिवलिंग पर कुछ चीजें अर्पित करने से भोलेनाथ की कृपा मिलती है. आज शिव जी को दही,दूध,शहद,घी,जल,गंगा जल,अक्षत,मोली,चंदन,बिल्वपत्र,सुपारी,पान,फूल,फल,मिठाई, धतूरा,शमी के पत्ते,गन्ने का रस और रुद्राक्ष जैसी चीजें अर्पित करनी चाहिए.
प्रथम प्रहर पूजा का समय- 8 मार्च की शाम 06 बजकर 25 मिनट से रात्रि 09 बजकर 28 मिनट तक
दूसरे प्रहर पूजा का समय- रात्रि 09 बजकर 28 मिनट से 9 मार्च मध्य रात्रि 12 बजकर 31 मिनट तक
तीसरे प्रहर पूजा का समय- 9 मार्च मध्य रात्रि 12 बजकर 31 मिनट से प्रातः 03 बजकर 34 मिनट तक
चतुर्थ प्रहर पूजा का समय- 9 मार्च को प्रातः 03 बजकर 34 मिनट से सुबह 06 बजकर 37 मिनट तक
पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि 8 मार्च की रात में 9 बजकर 57 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 9 मार्च को 6 बजकर 17 मिनट पर समाप्त होगी. निशिता काल 8 मार्च की रात 12 बजकर 05 मिनट से लेकर 9 मार्च को रात 12 बजकर 56 मिनट तक रहेगा. इस पूरे समय आप कभी भी शिव जी का जलाभिषेक कर सकते हैं.
महाशिवरात्रि का पर्व कल शुक्रवार 08 मार्च को है. कल निशिता काल में शिवजी की पूजा के लिए मध्यरात्रि 12 बजकर 07 मिनट से 12 बजकर 55 मिनट तक का समय है. पूजा के लिए केवल 48 मिनट का ही शुभ मुहूर्त है.
महाशिवरात्रि पर ऐसे योग संयोग व ग्रहों की स्थिति बनी है जो 300 साल में एक या दो बार बनती है. महाशिवरात्रि के दिन श्रवण नक्षत्र उपरांत धनिष्ठा नक्षत्र, शिवयोग, गर करण तथा मकर/कुंभ राशि के चंद्रमा की साक्षी रहेगी. वहीं, कुंभ राशि में सूर्य, शनि, बुध का युति संबंध रहेगा. इस प्रकार के योग तीन शताब्दी में एक या दो बार बनते हैं, जब नक्षत्र, योग और ग्रहों की स्थिति केंद्र त्रिकोण से संबंध रखती है.
महाशिवरात्रि के दिन अगर आप व्रत रखते हैं तो आपको व्रत के दौरान गेहूं, चावल, दाल या साबुत अनाज नहीं खान चाहिए. साथ ही सादे नमक का भी उपयोग न करें. महाशिवरात्रि के दिन भूलकर भी घर पर मांस-मदिरा न लाएं और न ही बनाएं.
- महाशिवरात्रि का व्रत आप निर्जला या फलाहार रख सकते हैं. लेकिन जैसा भी व्रत करें उसका पूर्णरूप से पालन करें.
- आप एक समय का व्रत रख सकते हैं. लेकिन इसमें केवल एक समय फलाहार ही करें या केवल एक समय बिना नमक का भोजन.
- महाशिवरात्रि का व्रत रखने वालों को शाम के समय शिवजी की पूजा के बाद ही भोजन करना चाहिए. जो भक्त पूर्ण रात्रि व्रत रखते हैं वह चारों प्रहर की पूजा के बाद अगले दिन सूर्योदय के बाद ही भोजन ग्रहण करें.
- महाशिवरात्रि व्रत में पूजा के दौरान शिवलिंग पर चढ़ा हुआ भोग भी नहीं खाना चाहिए. आप अगले दिन इस प्रसाद को खा सकते हैं
- शिवरात्रि के दिन जो लोग व्रत रखते हैं, उन्हें दिन में सोना नहीं चाहिए.
शिवजी को हिंदू धर्म में आदिगुरु या आदियोगी के रूप भी पूजा जाता है. मान्यता है कि सबसे पहले जिन सात लोगों (सप्तऋषियों) को वैदिक ज्ञान की प्राप्ति शिव से हुई, वो सप्त ऋषि कहलाएं. इसका अर्थ यह है कि शिव से ही योग, धर्म, कर्म और वैदिक ज्ञान का उद्गम हुआ. इसलिए शिव को आदियोगी कहा जाता है.
अभिजीत मुहूर्त | दोपहर 12 बजकर 08 मिनट से 12 बजकर 56 मिनट |
विजय मुहूर्त | दोपहर 02 बजकर 30 मिनट से 03 बजकर 17 मिनट |
गोधूलि मुहूर्त | शाम 06 बजकर 23 मिनट से 06 बजकर 48 मिनट |
सायाह्न संध्या मुहूर्त | शाम 06 बजकर 25 मिनट से 07 बजकर 39 मिनट |
अमृत काल मुहूर्त | रात 10 बजकर 43 मिनट से 12 बजकर 08 मिनट |
सर्वार्थ सिद्धि योग | सुबह 06 बजकर 38 मिनट से 10 बजकर 41 मिनट |
चतुर्दशी तिथि प्रारंभ: 08 मार्च 2024, रात 09 बजकर 57 मिनट से
चतुर्दशी तिथि समाप्त: 09 मार्च 2024 शाम 06 बजकर 17 मिनट
महाशिवरात्रि की पूजा निशिता काल में करने का महत्व है. इसलिए महाशिवरात्रि का पर्व 08 मार्च को मनाया जाएगा.
शिवजी को बेल के पत्ते के साथ ही अन्य वृक्षों के पत्ते भी बहुत प्रिय हैं, जिन्हें महाशिवरात्रि के दिन शिवजी की पूजा में जरूर चढ़ाएं. शिवजी के प्रिय पत्तों में पीपल के पत्ते, शमी के पत्ते, भांग के पत्ता, धतूरा का पत्ता, अपामार्ग या चिरचिटा का पत्ता और दूर्वा शामिल है.
महाशिवरात्रि पर शिव जी को भोग में मखाने की खीर, शकरकंद का हलवा, भांग के पकौड़े, ठंडाई, मालपुआ अर्पित करें. मान्यता है भोलेनाथ को ये सभी चीजें बेहद प्रिय है. इसके अलावा फल में केला, बेल, बेर, धतूरे का फल, निबौली शिव पूजा में इस्तेमाल करना चाहिए.
1- महामृत्युंजय मंत्र - ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
2- रुद्र गायत्री मंत्र - ॐ तत्पुरुषाय विदमहे, महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात्।
3- पंचाक्षरी मंत्र - ऊं नम: शिवाय
4- ॐ हौं जूं स:
5- ॐ पार्वतीपतये नमः
बेलपत्र - महाशिवरात्रि पर बेलपत्र शिवलिंग पर चढ़ाने से धन की समस्या दूर होती है.
भांग - भांग अर्पण से घर की अशांति, प्रेत बाधा, शत्रु बाधा का नाश होता है.
दूध - संतान प्राप्ति के लिए महाशिवरात्रि पर दूध से शिवलिंग का अभिषेक करें.
शमी पत्र - महाशिवरात्रि पर शमी पत्र से शिव पूजा करने पर शनि की शाढ़ेसाती के दुष्प्रभाव कम होते हैं. मारकेश तथा अशुभ ग्रह-गोचर से हानि नहीं होती
धतूरा - धूतरा शिवलिंग पर अर्पण करने से गंभीर रोग खत्म हो जाते हैं.
मेष : बेलपत्र अर्पित करें.
वृष : दूध मिश्रित जल चढ़ाएं.
मिथुन: दही मिश्रित जल चढ़ाएं.
कर्क: चंदन का इत्र अर्पित करें.
सिंह: घी का दीपक जलाएं.
कन्या: काला तिल और जल मिलाकर अभिषेक करें.
तुला: जल में सफेद चंदन मिलाएं.
वृश्चिक: जल और बेलपत्र चढ़ाए.
धनु: अबीर या गुलाल चढ़ाएं.
मकर: भांग और धतूरा चढ़ाएं.
कुंभ: पुष्प चढ़ाएं.
मीन: गन्ने के रस और केसर से अभिषेक करें.
महाशिवरात्रि पर शुक्रवार के दिन शिव योग, सिद्ध योग, गजकेसरी योग, धन योग और सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग बन रहा है. इसके अलावा इस दिन श्रवण नक्षत्र और धनिष्ठा नक्षत्र रहेगा. वहीं, कुंभ राशि में सूर्य, शनि, बुध का युति बन रही है, जिससे त्रिग्रही योग बनेगा.
पार्थिव शिवलिंग बनाने के लिए तालाब की मिट्टी, गंगाजल, अक्षत, पंचामृत, दूध, दही, घी, शहद, शक्कर, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, भांग, भस्म, अबीर, गुलाल, भौडल, दान के लिए दक्षिणा, बेलपत्र, शमी पत्र, धतूरा, रुद्राक्ष, चंदन, गन्ने का रस, पंचमेवा, मिठाई, फल, फूल, वस्त्र, मौली, देवी पार्वती के लिए कुमकुम, हल्दी, सुहाग सामग्री.
महाशिवरात्रि प्रदोष काल मुहूर्त - 8 मार्च 2024 को शिव पूजा में जलाभिषेक के लिए प्रदोष काल मुहूर्त शाम 06.25 से रात 08.52 तक है.
महाशिवरात्रि निशिता काल मुहूर्त - 8 मार्च, देर रात 12.07 - देर रात 12.55. धार्मिक मान्यता है कि शिवरात्रि के पूरे दिन शिवलिंग में भोलेनाथ विराजमान होते हैं लेकिन रात्रि काल में पूजा खास महत्व रखती है. इस दिन आधी रात में ज्योतिर्लिंग का प्रादुर्भाव हुआ था.
भोलेनाथ के निराकार से साकार रूप में अवतरण की रात्रि ही महाशिवरात्रि कहलाती है. महाशिवरात्रि का व्रत रखने से व्यक्ति के मन में हो रही उथल-पुथल शांत होती है. साधक आध्यात्म की ओर जाने में अग्रसर होता है. शिव कृपा से उसकी तमाम परेशानियों का अंत होता है, वह जीवनभर भौतिक सुखों को प्राप्त कर, मृत्यु के पश्चात स्वर्ग में स्थान पाता है.
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Mahashivratri 2024 Puja Vidhi Muhurat Highlights : आई गई शिव की प्रिय रात. 8 मार्च 2024 शिव पूजा का सबसे बड़ा पर्व महाशिवरात्रि मनाया जाएगा. शिव पुराण के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन शिव जी पहली बार शिवलिंग रूप में प्रकट हुए थे. इस दिन माता पार्वती और शंकर जी के विवाह की भी मान्यता है.
भोलेनाथ ने इसी दिन वैराग्य छोड़कर गृहस्थ जीवन में कदम रखा था और देवी पार्वती से शादी रचाई थी. महाशिवरात्रि पर शिवलिंग का जलाभिषेक करने से व्यक्ति के समस्त संकट दूर हो जाते हैं और उसकी मनोकामनाएं जल्द पूरी होती है. आइए जानते हैं महाशिवरात्रि पर पूजा, जलाभिषेक का शुभ मुहूर्त, व्रत-पूजन की विधि, महत्व, मंत्र और समस्त जानकारी.
महाशिवरात्रि 2024 तिथि
पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि 8 मार्च 2024 को रात 09.57 से शुरू होगी और अगले दिन 09 मार्च 2024 को शाम 06.17 मिनट पर समाप्त होगी. चूंकि शिवरात्रि की पूजा रात में होती है इसलिए इसमें उदयातिथि देखना जरुरी नहीं है.
महाशिवरात्रि पर प्रदोष काल, निशिता काल, और रात्रि के चार प्रहर में शिव पूजा का विधान है. इस दिन सूर्योदय से अगले दिन सूर्योदय तक व्रत रखा जाता है और रात में जागकर शिव पूजा करने वालों पर महादेव की विशेष कृपा बरसती है.
महाशिवरात्रि का महत्व
यौगिक परंपरा में शिव को किसी देवता की तरह नहीं पूजा जाता. उन्हें आदि गुरु माना जाता है. महाशिवरात्रि एक अवसर और संभावना है, जब व्यक्ति स्वंय को स्थिर कर पाने में सक्षम होता है. महाशिवरात्रि का व्रत रखने से साधक के सभी दुखों, पीड़ाओं का अंत तो होता ही है साथ ही मनोकामनाएं भी पूर्ण होती है.महाशिवरात्रि के दिन शिवतत्व नित्य की तुलना में हजार गुना अधिक सक्रिय रहता है.
फाल्गुनकृष्णचतुर्दश्यामादिदेवो महानिशि । शिवलिङ्गतयोद्भूतः कोटिसूर्यसमप्रभ
अर्थात - ईशान संहिता में लिखे इस श्लोक अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन करोड़ो सूर्यों के समान प्रभा वाले लिंगरूप में प्रकट हुए थे. ज्योतिर्लिंग का प्रादुर्भाव होने से यह पर्व महाशिवरात्रि के रुप में मनाया जाता है.
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