Mahashivratri 2024 Isha: शिव है भी और नहीं भी...सद्गुरु जग्गी वासुदेव से जानिए शिव का स्वरूप और महत्व
Mahashivratri 2024: सद्गुरु शिव को शून्य से परे और आदियोगी कहते हैं. महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर अगर आप शिव का अनुभव करना चाहते हैं तो सद्गुरु के ये विचार (Sadhguru Quotes) आपको जरूर जानने चाहिए.
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Mahashivratri 2024: सनातन धर्म में भगवान शिव की पूजा का बड़ा महत्व है. शिवजी की पूजा करने वाले भक्तों पर सदैव उनकी कृपा रहती है और शिवभक्त परेशानियों से मुक्त रहते हैं. महाशिवरात्रि भगवान शिव के सभी पर्व में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है. फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि होती है. इस साल 08 मार्च को महाशिवरात्रि का पर्व है.
सद्गुरु आत्मज्ञानी गुरु हैं. अपनी कविताओं, लेखों और विचारों के जरिए सद्गुरु शिव के बारे में बताते हैं. सद्गुरु जग्गी वासुदेव (Sadhguru Jaggi Vasudev) के विचार के माध्यम से जानते हैं आदियोगी सदाशिव के स्वरूप और शिव (Shiva Quotes) के बारे में..
शिव पर सद्गुरु के विचार (Sadhguru's Quotes on Shiva in Hindi)
“आदियोगी का महत्व यह है कि उन्होंने मानव चेतना के विकास के लिए ऐसी विधियां बताई, जो हर काल में प्रासंगिक हैं”
“शिव ऊपर रहने वाले देवता नहीं हैं, बल्कि वे यहां एक जीवित उपस्थिति हैं."
“अस्तित्व में सबसे बड़ी शक्ति शिव हैं. शिव का अर्थ है- कुछ न होना. कुछ न होना, सब कुछ का आधार है."
“हम कहते हैं कि शिव स्वयंभू हैं- इसका अर्थ यह है कि उनका कोई पालन-पोषण नहीं हुआ है. कोई पिता नहीं, कोई मां नहीं, क्योंकि आनुवंशिकी का अर्थ है पुनरावृत्ति, जिसका अर्थ है चक्रीय प्रकृति. चक्रीय प्रकृति का अर्थ है कि आप गोल-गोल घूम रहे हैं, जिसका अर्थ है कि आप कहीं नहीं पहुंच रहे हैं.”
“ध्यानलिंग, महाशिवरात्रि, और अन्य कई चीजें जो हम करते हैं, वे सिर्फ आदियोगी के प्रति आभार व्यक्त करने का प्रयास हैं. उन के बिना, हम कुछ भी नहीं हैं."
“हम आदियोगी को शिव कहते हैं, क्योंकि उन्होंने उस आयाम को जाना है जिसे हम शिव या "जो नहीं है" कहते हैं. 'जो नहीं है’ और जो इस बात को जानता है, दोनों के बीच कोई अंतर नहीं है."
“वह सब जिसे आप सृष्टि कहते हैं, वह ‘कुछ नहीं’ से आती है, और ‘कुछ नहीं’ में वापस लौट जाती है. यह ‘कुछ नहीं’, जो सृजन का स्रोत है, उसे ही हम शिव कहते हैं.”
“सब कुछ, कुछ नहीं से आता है और वापस कुछ नहीं में चला जाता है. यह ‘कुछ नहीं’ ही है, जो समस्त सृष्टि का स्रोत है, और जिसे शिव कहा जाता हैं.”
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