Mahashivratri 2024: फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी की रात भगवान शिव का दिव्य अवतरण हुआ था, इसलिए इसे महाशिवरात्रि कहा जाता है. हालांकि ये दिन शिव के विवाह की वर्षगांठ के तौर पर भी मनाया जाता है.
इस साल महाशिवरात्रि 8 मार्च 2024 को है. हिंदू धर्म में अधिकतर देवी-देवताओं की पूजा प्राय: दिन में होती है लेकिन शिव उपासना प्रदोष काल और रात्रि के समय श्रेष्ठ मानी गई है, ऐसा क्यों ? महाशिवरात्रि में भी रात्रि जागरण का विधान है. आइए जानते हैं महाशिवरात्रि पर रात में जागकर शिव पूजा का महत्व क्या है.
महाशिवरात्रि में रात क्यों जागना चाहिए ?
भगवान शिव संहार शक्ति और तमोगुण के अधिष्ठाता हैं, रात्रि संहार काल की प्रतिनिधित्व करती है और शिव संहार के देवता है इसलिए रात्रि का समय शिव को अधिक प्रिय है. कोई जीव जो दिनभर अपना काम करते हैं, वह रात्रि में समापन की आरे बढ़ते हैं. रात्रि काल में समस्त संसार शांत होता है ऐसे में शिव जो सदा ध्यान मुद्रा में होते हैं उनसे संपर्क साधने में आसानी होती है. शांत मन से व्यक्ति लक्ष्य साधने में कामयाब होते हैं. यही वजह है कि महाशिवरात्रि पर रात्रि जागरण किया जाता है.
मान्यता अनुसार इस रात को शिवलिंग में महादेव वास करते हैं ऐसे में जो सच्चे मन से शिव का स्मरण करता है वह शिव को प्रसन्न कर लेता है. उसकी समस्त मनोकामनाएं पूरी होती है.
वैज्ञानिक दृष्टि से भी खास है महाशिवरात्रि की रात
वैज्ञानिक दृष्यिकोण से देखें तो महाशिवरात्रि की रात में ब्रह्माण्ड में ग्रह और नक्षत्रों की ऐसी स्थिति बनती है जिससे एक खास ऊर्जा का प्रवाह उपर की ओर होता है. इक्विनोस यानी इस समय ग्रह का सेंट्रल फ्यूगल फोर्स एक खास तरह से काम करता है और ये बल उपर की ओर गति करता है, इस प्राकृतिक ऊर्जा का लाभ लोगों को मिल सके इसके लिए रीढ़ की हड्डी सीधी होना जरुरी है. लेटे रहने पर हमारे शरीर के तंत्र को ऊर्जा नहीं मिल पाती. यही वजह है कि महाशिवरात्रि की रात जागने की सलाह दी जाती है.
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