Mahashivratri 2024: भगवान शिव, समस्त द्रव्यों-व्रतो-मंत्रो के स्वामी, सर्वशक्तिमान, सर्वव्यापी, सर्वतंत्र-स्वतंत्र, परमानंद, परब्रह्म, निगुर्ण-निराकार, आशुतोष भगवान शिव को जानने, उन्हें समझनें, प्रसन्न कर मनोकामनाओं की पूर्ति का वर प्राप्त करने का महापर्व है महाशिवरात्रि. वैसे तो प्रत्येक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवरात्रि होती है किन्तु फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी की शिवरात्रि का विशेष महत्व होने के कारण इसे महाशिवरात्रि कहा गया है.

 

इस वर्ष 2024 में फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि 8 मार्च को रात 9 बजकर 58 मिनट पर आरंभ होगी और 9 मार्च को शाम 6 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगी. महाशिवरात्रि के लिए निशिता काल पूजा का मुहूर्त चतुर्दशी तिथि में होना आवश्यक है, इसलिए महाशिवरात्रि 8 मार्च को मनाई जाएगी. रात्रि का आठवां मुहूर्त निशिता काल कहलाता है. 

 

इस दिन निशा काल रात्रि 9 बजकर 58 मिनट से 12 बजकर 31 मिनट तक रहेगा. इस दौरान भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाएगी. 

 

300 वर्ष बाद बन रहे दुर्लभ संयोग (Mahashivratri 2024 Shubh Yog)

 

इस बार महाशिवरात्रि के साथ शुक्र प्रदोष व्रत भी है. जिससे इसका महत्व कहीं अधिक बढ़ जाएगा. साथ इस दिन शिव योग और सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग बन रहा है. इन योगों में किए गए पूजा-पाठ और शुभ कार्य का कई गुना ज्यादा फल मिलता है.  

ग्रह संयोग- इस बार महाशिवरात्रि पर शनिदेव अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ में विराजमान है. साथ ही सूर्यदेव अपने पुत्र एवं आदर्श शत्रु शनि की राशि कुंभ में चन्द्रमा के साथ विराजित रहेंगे. ग्रहों की ये स्थिति त्रिग्रही योग का निर्माण कर रही है, जो कि फलदायी है.   

 

महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त (Mahashivratri Shubh Muhrat 2024 )


  • पहले प्रहर का समय 8 मार्च को शाम 06 बजकर 25 मिनट से रात 9 बजकर 28 मिनट तक रहेगा.

  • वहीं दूसरा प्रहर रात 9 बजकर 28 मिनट से 12 बजकर 31 मिनट तक रहेगा.

  • तीसरा प्रहर रात 12 बजकर 31 मिनट से 3 बजकर 34 मिनट तक रहेगा और आखिरी प्रहर सुबह 3 बजकर 34 मिनट से सुबह 06 बजकर 37 मिनट तक रहेगा.


महाशिवरात्रि पूजन विधि (Mahashivratri 2024 Pujan Vidhi)

 

शिव रात्रि के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें. फिर भगवान शंकर को पंचामृत से स्नान करवाएं, साथ ही माँ गौरी, गणेश, कार्तिकेय और नंदी की पूजा करें. उसके बाद भगवान शंकर को केसर मिश्रित जल अर्पित कर, सभी को चंदन का तिलक लगाएं. तीन बेलपत्र, भांग धतूरा, कमल गट्टे, फल, मिष्ठान, मीठा पान, इत्र व दक्षिणा चढ़ाएं. इसके बाद में दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं. फिर रूद्राक्ष माला से ऊँ नमो भगवते रूद्राय, ऊँ नमः शिवाय रूद्राय् शम्भवाय् भवानीपतये नमो नमः मंत्र का जाप करें. इसके बाद शिव सहस्रनाम, शिव चालीसा या शिव पुराण का पाठ करना श्रेष्ठ फलों की प्राप्ति में सहायक होगा.