Mahashivratri 2024: 8 मार्च 2024 को मनाई जाने वाली महाशिवरात्रि हिंदू धर्म का प्रमुख त्योहार है. यह पर्व शिव के दिव्य अवतरण का मंगल सूचक पर्व है, महादेव के निराकार से साकार रूप में अवतरण की रात्रि ही महाशिवरात्रि कहलाती है.


इस पवित्र दिन पर भक्त मंदिरों में पूजा-अर्चना करते हैं और व्रत-उपवास रखते हैं. महाशिवरात्रि व्रत करने के विशेष नियम है, अगर आप भी महाशिवरात्रि के दिन व्रत-उपवास करते हैं तो सही विधि, नियम जान लें.


महाशिवरात्रि व्रत नियम (Mahashivratri Vrat Niyam)



  • महाशिवरात्रि में कुछ भक्त निर्जल उपवास रखते हैं, वहीं कुछ इस दिन फलाहार पर रहते हैं. आप मान्यता अनुसार उपवास रख सकते हैं. अगर आपने निर्जल व्रत रखा है, तो आपको पूरा दिन जल की एक बूंद भी नहीं लेनी है.

  • एक समय का व्रत रख रहे हैं तो फिर दूसरे समय फलाहार नहीं करते हैं. सिर्फ एक समय ही भोजन कर सकते हैं.

  • महाशिवरात्रि के दिन व्रत रखने वालों को शाम के समय शिव पूजा के बाद ही भोजन करना चाहिए, वहीं जो पूर्ण रात्रि व्रत रखते हैं वह चारों प्रहर में पूजा करने के बाद अगले दिन सूर्योदय के बाद ही अन्न ग्रहण करें.

  • महाशिवरात्रि व्रत में पूजा के दौरान पार्थिव शिवलिंग पर चढ़ा भोग ग्रहण न करें. मिट्‌टी, पत्थर और चीनी मिट्‌टी से बने शिवलिंग पर अर्पित किया प्रसाद नहीं खाना चाहिए, ये चंडेश्वर का अंश होता है.

  • शिवरात्रि के दिन व्रतधारी को दोपहर में सोना वर्जित है, पूरा दिन शिव का स्मरण करें. धैर्य रखें, मन शांत रखें. इस दिन व्रतियों को सद्गुणों का अभ्यास करना चाहिए और सभी बुराइयों से दूर रहना चाहिए तभी व्रत का फल प्राप्त होता है.


महाशिवरात्रि व्रत में क्या खाएं, क्या न खाएं (Mahashivratri Vrat what to eat, what to not Eat)


क्या न खाएं - महाशिवरात्रि के व्रत में गेहूं, चावल, दाल या कोई भी साबुत अनाज और सादे नमक का उपयोग नहीं कर सकते. इस व्रत में आप सेंधा नमक का इस्तेमाल कर सकते हैं. इस दिन घर में भूलकर भी मांस मदिरा न लाएं, न ही बनाएं


क्या खाएं - इस उपवास को खोलते समय आप साबूदाना खिचड़ी, सिंघाड़े का हलवा, कुट्टू के आटे की पूड़ी, सामा के चावल, आलू का हलवा खा सकते हैं.


महाशिवरात्रि व्रत का महत्व (Mahashivratri Vrat Significance)


शास्त्रों में व्रत-उपवास का विशेष महत्व बताया गया है. ‘उप’ का अर्थ है, ‘निकट’ और ‘वास’ का अर्थ है ‘रहना’. किसके निकट ? ईश्वर के निकट वास करना. व्रत-उपवास करने से व्यक्ति इंद्रियों पर काबू पाने की शक्ति ग्रहण करता है. साधक तन-मन से एकचित्त होकर ईश्वर की ओर ध्यान लगा पाता है. यही तो ध्यान की शाश्वत पद्धति है, जो हमें ईश्वर के प्रकाश स्वरूप का साक्षात् दर्शन कराती है. महाशिवरात्रि का व्रत रखने से व्यक्ति के मन में हो रही उथल-पुथल शांत होती है. साधक आध्यात्म की ओर ले अग्रसर होता है. इससे उसके मोक्ष का मार्ग सुलभ हो जाता है.


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