Mahashivratri 2025: महाशिवरात्रि का पावन पर्व 26 फरवरी 2025 को मनाया जाएगा. महाशिवरात्रि पर शिव जी ने गृहस्थ जीवन अपनाया था. महादेव के कुल 19 अवतार लिए थे. हर अवतार का अपना विशेष महत्व है. इससे पहले हमने आपको शिव के नंदी अवतार की कथा बताई थी आज जानें शिव के अंशावतार दुर्वासा ऋषि की कहानी.
शिव के अंशावतार दुर्वासा ऋषि की कथा (Shiv ji avatar Durvasa Rishi)
दुर्वासा ऋषि को अत्यंत क्रोधित बताया जाता हैं. उनके कई श्रापों से जन कल्याण भी हुआ है. लेखक अंशुल पांडे के अनुसार आज हम उनकी कहानी पर दृष्टि डालेंगे. शिव पुराण शतरुद्र संहिता अध्याय क्रमांक 19 अनुसार, अनसूया के पति ब्रह्मवेत्ता तपस्वी अत्रि ने ब्रह्माजी के निर्देशानुसार पत्नीसहित ऋक्षकुल पर्वत पर जाकर पुत्र कामना से घोर तप किया.
उनके तपसे प्रसन्न होकर ब्रह्मा, विष्णु और महेश्वर तीनों उनके आश्रमपर गये. उन्होंने कहा कि 'हम तीनों संसार के ईश्वर हैं. हमारे अंश से तुम्हारे तीन पुत्र होंगे, जो त्रिलोकी में विख्यात तथा माता-पिताका यश बढ़ानेवाले होंगे।' यों कहकर वे चले गये. ब्रह्मा जी के अंशसे चन्द्रमा हुए, जो देवताओं के समुद्र में डाले जानेपर समुद्र से प्रकट हुए थे.
विष्णु जी के अंश से श्रेष्ठ संन्यास पद्धतिको प्रचलित करनेवाले 'दत्त' (दत्तात्रेय) उत्पन्न हुए और रुद्र के अंश से मुनिवर दुर्वासा ने जन्म लिया. इन दुर्वासा ने महाराज अम्बरीष की परीक्षा की थी. जब सुदर्शन–चक्र ने इनका पीछा किया, तब शिवजी के आदेश से अम्बरीष के द्वारा प्रार्थना करनेपर चक्र शान्त हुआ.
इन्होंने भगवान् राम की परीक्षा की। काल ने मुनिका वेष धारण करके श्रीराम के साथ यह शर्त की थी कि 'मेरे साथ बात करते समय श्रीराम के पास कोई न आये; आयेगा उसका निर्वासन कर दिया जायगा.' दुर्वासाजी ने हठ करके लक्ष्मणको भेजा, तब श्रीराम ने तुरंत लक्ष्मणा का त्याग कर दिया.इन्होंने भगवान् श्री कृष्ण की परीक्षा की और उनको श्रीरुक्मिणी–सहित रथ में जोता. इस प्रकार दुर्वासा मुनि ने अनेक विचित्र चरित्र किये.
Mahashivratri 2025: क्या शिव जी के अवतार हैं नंदी, शिवपुराण में छिपा ये रहस्य जानें
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