भगवान महावीर के जीवन से जुड़ी 5 बड़ी बातें, जिन्होंने दिया- जियो और जीने दो का संदेश
6 अप्रैल सोमवार को भगवान महावीर जी की जंयती मनाई जाएगी. चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्म हुआ था. भगवान महावीर की शिक्षाएं और दर्शन सभी धर्मों में लोकप्रिय हैं. जंयती के मौके पर आइए जानते हैं भगवान महावीर जी के जीवन से जुड़ी पांच मुख्य बातें.
Mahavir Jayanti 2020: भगवान महावीर ने इस दुनिया को एक ऐसी दृष्टि प्रदान की जिससे चलते दुनिया में शांति को कायम करने में मदद मिली. उन्होंने दुनिया को अंहिसा का ही पाठ नहीं पढ़ाया बल्कि ये जियो और जीने दो का सिद्धांत भी समझाया. उन्होंने मनुष्य के दुखों के कारणों को खोजा और कैसे इन पर विजय प्राप्त की जा सकती है इस बारें में बताया.
बचपन: महावीर जी का जन्म बिहार के कुण्डग्राम में ईसा से 599 वर्ष पहले चैत्र शुक्ल की त्रयोदशी के दिन हुआ था. महावीर जी का जन्म एक राज परिवार में हुआ था. इनके पिता का नाम राजा सिद्धार्थ और माता रानी त्रिशला था. भगवान महावीर के बचपन का नाम वर्धमान था.
अहिंसा परमो धर्म: भगवान महावीर जी ने ही अंहिसा के बारे में पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित किया. उन्होंने कहा कि अहिंसा सभी धर्मों से सर्वोपरि है. भगवान महावीर ने ‘जियो और जीने दो’ का भी मूल मंत्र दिया है.
24 वें तीर्थंकर: भगवान महावीर जैन धर्म के 24 वें और अंतिम तीर्थंकर थे, महावीर जी ने जैन धर्म की खोज के साथ जैन धर्म के प्रमुख सिद्धांतों की रचना की.
विवाह: भगवान महावीर का विवाह यशोधरा नाम की कन्या के साथ हुआ था. इनसे एक पुत्री हुई जिसका पुत्री प्रियदर्शना भी थी, बहुत सुंदर थी. उनके विवाह को लेकर श्वेताम्बर सम्प्रदाय के लोग मानते हैं कि उनका विवाह यशोद्धरा से हुआ, लेकिन दिगंबर सम्प्रदाय के लोग मानते हैं कि उनका विवाह नही हुआ.
30 वर्ष की उम्र में छोड़ा घर: भगवान महावीर ने 30 वर्ष की उम्र में अपने घर का त्याग कर दिया और ज्ञान की खोज में भटकना आरंभ कर दिया. एक अशोक के वृक्ष के नीचे बैठकर वे ध्यान लगाया करते थे.
महावीर जयंती 6 अप्रैल को, भगवान महावीर ने दुनिया को दिया अंहिसा परमो धर्म का संदेश