भगवान महावीर का जन्म चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को 599 ईसवीं पूर्व बिहार में हुआ था. बिहार के लिच्छिवी वंश के महाराज सिद्धार्थ और महारानी त्रिशला के पुत्र के रूप में जन्मे महावीर का बचपन का नाम वर्धमान था. अपने राज्य का त्याग कर लोगों को सत्य, अहिंसा और प्रेम का मार्ग दिखाने वाले महावीर को भगवान महावीर कहा गया. 'क्षमा वीरस्य भूषणम्' भगवान महावीर में क्षमा करने का एक अद्भुत गुण था. ज्ञान की खोज करने के बाद भगवान महावीर को सत्य, अहिंसा, श्रद्धा और विश्वास प्राप्त हुआ.
भगवान महावीर ने की कठोर तपस्या
भगवान महावीर ने 12 वर्षों तक कठोर तपस्या की और अपनी इंद्रियों पर विजय प्राप्त की. भगवान महावीर अपने पूरे साधना काल के दौरान मौन रहे. तपस्या पूरी करने के बाद भगवान महावीर ने पांच सिद्धांत बताए जिन पर चलकर ही मोक्ष की प्राप्ति की जा सकती है. भगवान महावीर के अनुसार अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह, ये पांच सिद्धांत हैं.
भगवान महावीर के पांच सिद्धांत
अहिंसा: किसी भी परिस्थिति में हिंसा से दूर रहना चाहिए, भूल कर भी किसी को कष्ट नहीं पहुंचाना चाहिए.
सत्य: भगवान महावीर के अनुसार सत्य को ही सच्चा तत्व समझना चाहिए. सत्य का साथ देना वाला ही मृत्यु को तैरकर पार कर जाता है. उन्होंने कहा कि लोगों को हमेशा सत्य ही बोलना चाहिए.
अस्तेय: अस्तेय का पालन करने वाले किसी भी रूप में अपने मन के मुताबिक वस्तु ग्रहण नहीं करते हैं ये लोग संयम से रहते हैं और केवल वही लेते हैं जो उन्हें दिया जाता हैे.
ब्रह्मचर्य: ऐसे कार्य नहीं किए जाते हैं जिनसे ब्रह्मचर्य प्रभावित हो.
अपरिग्रह: यह शिक्षा सभी पिछले सिद्धांतों को जोड़ती है. अपरिग्रह का पालन करके चेतना जागृत होती है और सांसारिक एवं भोग की वस्तुओं का त्याग कर दिया जाता है.
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