Mahavir Jayanti 2021: जैन धर्म का प्रमुख त्योहार महावीर जयंती आज, ऐसे हुई थी वर्धमान को कैवल्य की प्राप्ति, जानें महत्व
Mahavir Jayanti 2021: जैन धर्म के प्रवर्तक महावीर स्वामी की जयंती आज है. जैन धर्म के अनुयायियों द्वारा महावीर की जयंती बड़े उल्लास के साथ मना रहे हैं. आइये जानें वर्धमान महावीर के जीवन से संबंधित अन्य खास बातें.
Mahavir Jayanti 2021: जैन धर्म का प्रमुख त्योहार महावीर जयंती आज यानी 25 अप्रैल 2021 को है. ये आज पूरे देश में बड़े उल्लास के साथ मनाई जा रही है. महावीर स्वामी जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर है. इसके पहले जैन धर्म में 23 तीर्थंकर हो चुके है. जैन धर्म के पहले तीर्थंकर ऋषभ देव हैं.
जैन धर्म के ग्रंथों के मुताबिक़, महावीर जयंती जैन धर्म का सबसे बड़ा पर्व है. भगवान महावीर का जन्म करीब ढाई हजार साल पहले ईसा से 599 वर्ष पूर्व में चैत्र मास के शुक्ल पक्ष के त्रयोदशी को वैशाली के गणतंत्र राज्य क्षत्रिय कुण्डलपुर में राजा सिद्धार्थ और रानी त्रिशला के यहां हुआ था. उनके बचपन का नाम वर्धमान था
वह सिर्फ 30 तीस वर्ष की अवस्था में ही सांसारिक मोह माया और राज वैभव का त्याग कर और संन्यास धारण कर आत्मकल्याण और जगत कल्याण के लिए घर- परिवार छोड़कर चले गए थे. जैन धर्म के पवित्र पुस्तकों के मुताबिक़, वैशाख के दसवें दिन वे पटना के निकट पावा नामक नगर में पहुंचे थे, जहां उन्हें 'कैवल्य' की प्राप्ति हुई. उसके बाद वर्धमान का नाम महावीर पड़ा.
कैसे मनाई जाती है महावीर जयंती
जैन धर्मावलम्बी, महावीर जयंती के दिन प्रातः काल उठकर प्रभात फेरी निकालते हैं. वे पालकी पर महावीर स्वामी की मूर्ति लेकर गाजे-बाजे के साथ जलूस निकालते है. हालांकि इस बार कोरोना महामारी का प्रकोप होने के चलते जलूस निकाले नहीं गए. इसके बाद स्वर्ण और रजत कलश के द्वारा महावीर स्वामी का जलाभिषेक किया जाता है तथा शिखरों पर ध्वजा चढ़ाई जाती है.
जैन धर्म के पांच तत्व
महावीर स्वामी ने जैनियों को जीवन में पांच निग्रहों का पालन करने की आवश्यकता बताया जिसे पञ्च शील का सिद्धांत कहते है. जो कि निम्नलिखित हैं.
- अहिंसा (हिंसा का त्याग)
- सत्य (सच्चाई)
- अस्तेय (चोरी न करना)
- अपरिग्रह (उपार्जन न करना)
- ब्रह्मचर्य (जीवन में समय)