Mahima Shanidev Ki: ब्रह्माजी ने जब पृथ्वी का सृजन किया तो यहां रहने वाले मनुष्यों में देव या दानव में किसकी छाप होगी, इसका चुनाव खुद मनुष्यों को ही करना था. लेकिन देवराज इंद्र के बहकावे में आकर दैत्यों के सेनापति व्यक्तगण ने तपस्या में लीन शुक्राचार्य को धोखा देकर पृथ्वी पर कब्जा करने के लिए आक्रमण कर दिया. पौराणिक कथाओं के अनुसार देवराज ने व्यक्तगण को पृथ्वी पर ब्रह्माजी के सृजन से पहले मानव मनु और सतरूपा को खत्म कर दैत्यों का राज स्थापित करने के लिए पाताल लोक खुद जाकर  उकसाया. इंद्र के बहकावे में आकर व्यक्तगण अपनी पूरी सेना लेकर पृथ्वी पर पहुंच गया और मनु-सतरूपा को खोजने लगा.


सूर्यलोक से निष्कासित यम भी इस दौरान पृथ्वीलोक पर मौजूद थे. यम को धरती लोक पर राक्षसों की मौजूदगी का पता चला तो उन्हें अहसास हो गया कि हो न हो राक्षस मनु और सतरूपा को मारने ही आए होंगे. यम ने तत्काल अस्त्र-शस्त्रों से लैस होकर राक्षसों को युद्ध के लिए ललकारा. इधर, शनिदेव के वाहन कौए ने राक्षसों की सेना पृथ्वीलोक की ओर जाते हुए देख ली, किसी अनिष्ट की आशंका पर आनन-फानन में कौए ने सूर्यलोक लौटकर मां के साथ मौजूद शनिदेव को सूचित किया. यह सुनकर माता छाया व्याकुल हो उठीं. पौराणिक कथाओं के अनुसार उन्होंने शनिदेव को आदेश दिया कि वह तत्काल पृथ्वीलोक जाकर यम की सहायता करें और वापस सूर्यलोक ले आएं. इसके बाद यम को खतरे में समझकर शनि देव पृथ्वी लोक आ गए. यहां मनु और सतरूपा को बचाने के प्रयास में यम असुरों के साथ अकेले मोर्चा रहे थे, जिन्हें देखकर शनि भी राक्षसों के संहार में जुट गए.


सूर्यदेव ने इंद्र को फटकारा, समझाई जिम्मेदारी
इधर, माता छाया के जरिए सूर्यदेव को जब पता चला कि राक्षस यम को मारने के लिए पृथ्वीलोक गए हैं तो वह गुस्से से तमतमा उठे. वह तत्काल देवराज के पास गए और असुरों से युद्ध छेड़ने की बात कही. इस पर इंद्र ने जानबूझकर अनभिज्ञता जताई तो सूर्यदेव ने नाराजगी जताते हुए उनके देवराज होने पर भी सवाल उठाए. इससे लज्जित इंद्र सभी देवताओं को साथ लेकर पृथ्वीलोग पहुंचे और असुरों का संहार करने लगे. मगर पहले से युद्ध कर रहे शनि देव ने व्यकगण को माता छाया के अपराध के आद भाई पर आक्रमण का दोषी मानते हुए दिव्य दंड से वध कर दिया.


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