Mahima Shani dev Ki: शनिदेव की माता का अपहरण कराने के लिए इंद्र को सजा भुगतनी पड़ी थी, मगर उसके पहले सूर्यलोक में एक न्याय सभा बुलाई गई, जिसमें शनिदेव ने इंद्र का पर्दाफाश करने के लिए मां से सच्चाई बताने को कहा, लेकिन वह पलट गईं. यह देखकर हैरान भगवान विश्वकर्मा ने संध्या को एक अनूठी शपथ दिलाई, जिसके चलते इंद्र का चेहरा बेनकाब हो गया और उन्हें देवराज पद से निष्कासित कर मुकुट और सिंहासन दोनों ही छीन लिया गया.
इंद्र से तोड़ा वादा, बेटे की सौगंध में बताई सच्चाई
सूर्यदेव की पत्नी संध्या ने सभा के दौरान पहले तो शनिदेव के पूछने पर अपने अपहरण में इंद्र का हाथ होने से दो टूक मना कर दिया. इसी बीच भगवान विश्चकर्मा ने उन्हें यही बात अपने दोनों पुत्रों शनि और यम के सिर पर हाथ रखकर कहने को कहा तो संध्या ने बेटे के प्राण बचाने के लिए इंद्र से किया समझौता तोड़कर सच्चाई उगल दी. संध्या ने बताया कि शनि से बदला लेने के लिए इंद्र ने ही राक्षस सेनापति व्यक्तगण के जरिए उनका अपहरण कराया था, लेकिन शनिदेव ने राक्षसों का सर्वनाश कर संध्या को बचा लिया. भरी सभा में एक बार फिर इंद्र दोषी पाए गए तो इस बार देवर्षि नारद का गुस्सा फूट पड़ा. उन्होंने तत्काल इंद्र को देवराज पद और मुकुट छोड़ने का आदेश दिया. इस पर गुस्से से तिलमिलाएं इंद्र मुकुट उताकर वहां से चले गए.
शनि ने सुझाया अगले देवराज का नाम
इंद्र के देवराज पद से निष्कासन के बाद नए देवराज के चयन की समस्या खड़ी हो गई. ऐसे में सूर्यदेव के पुत्र शनि ने ही पिता का नाम सभा को सुझाया, जिसे देवर्षि नारद समेत सभी देव और दानवों ने स्वीकार कर लिया. इस तरह इंद्र के निष्कासन के बाद सूर्यदेव को स्वर्ग का नया अधिपति चुन लिया गया.