Mahima Shani Dev Ki : शनि के प्रयासों से माता छाया देवी बनीं, सूर्य पत्नी संध्या के हर प्रयास हुए विफल
शनिदेव (Shanidev) अपनी माता छाया से अत्यधिक प्रेम करते थे, लेकिन वो जीव न होकर सूर्यदेव की पत्नी संध्या की छाया थीं.
Mahima Shanidev Ki : शनि देव (Shani Dev) की माता छाया सूर्यदेव की पत्नी संध्या की परछाई होने के चलते जीव रूप में नहीं थीं. लंबे तप के बाद संध्या के लौटने पर उन्हें खत्म हो जाना था. ऐसे में मां के प्राण बचाने के लिए शनि महादेव से वरदान मांगने पहुंचे. कई बाधाओं को पार कर वह माता छाया के लिए जीवन का वरदान तो ले आए, लेकिन संध्या की वापसी के बाद दोनों के बीच संघर्ष से पूरी तरह अनजान थे.
पौराणिक कथाओं के अनुसार संध्या शनि की माता छाया के बीच संघर्ष की स्थिति बनी हुई थी. सूर्यलोक में छाया की मौजूदगी से परेशान होकर संध्या ने छाया को खत्म करने के लिए सभी प्रयास किए, लेकिन पिता भगवान विश्वकर्मा नियति को जानते हुए छाया के साथ खड़े रहे. मान्यताओं के अनुसार एक बार संध्या ने छाया को खत्म करने के लिए सूर्य के तेज का इस्तेमाल करना चाहा तभी विश्वकर्मा आ गए और उन्होंने इसके लिए संध्या को कड़ी फटकार लगाई. संध्या ने पिता से विरोध जताया तो उन्होंने बताया कि छाया शनि के प्रयास और महादेव के वरदान से अब देवी बन चुकी हैं. वह किसी की भी छाया नहीं रहीं, इसलिए वह तुम्हारे किसी प्रयासों से प्रभावित नहीं होंगी.
इसलिए इंद्र, दानव या मानव छाया को नहीं मिटा सकेंगे
भगवान विश्वकर्मा ने बेटी संध्या को बताया कि छाया को स्वयं महादेव से जीवन का वरदान मिला है. ऐसे में उन्हें संध्या तो क्या खुद देवराज इंद्र, सूर्यदेव और यहां तक कि ब्रह्मदेव नुकसान नहीं पहुंचा सकते हैं, जबकि असुर शनि के भय से कभी उनके पास नहीं फटक सकते हैं. अंतत: संध्या को हार माननी ही पड़ी.
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