Mahima Shani dev Ki:शनिदेव की माता छाया को सूर्यलोक से हटाने के लिए प्रयास कर रही सूर्यपत्नी संध्या ने बार-बार की नाकामी से थक कर अंत में देवराज इंद्र का सहारा लिया. पौराणिक कथाओं के अनुसार सूर्यलोक में संध्या की परछाई के रूप में रह रही छाया शनिदेव की माता हैं, यह सच पहली बार संध्या ने इंद्र को बताया. साथ ही लोभ दिया कि अगर इंद्र छाया को सूर्यलोक बेदखल कराने में मदद करते हैं तो वह शनिदेव को हमेशा के लिए इंद्र का दास बना देंगी.
माता संध्या का दांव पड़ा उल्टा
शनि देव को अपने अधीन करने के लिए कुचक्र रचने में जुटे इंद्र को जब संध्या के जरिए पता चला कि सूर्यलोक में सूर्यदेव की दो-दो पत्नियां हैं और एक को खुद पहली पत्नी संध्या ने ही सृजित किया है तो वह हैरान रह गए. शनिदेव के संध्या की जगह छाया पुत्र जानकार इंद्र ने संध्या को भी अपने लाभ के लिए साजिश में फंसाया. इंद्र ने संध्या से कहा कि अगर शनि को दोषी ठहराए जाने के लिए होने वाली न्याय सभा में आपने अपहरण की बात मानी तो वह खुद सूर्यदेव से उनके झूठ का पर्दाफाश कर देंगे, और आग बबूला होकर सूर्यदेव उन्हें भस्म कर देंगे, यह सुनकर संध्या इंद्र का ही साथ देने के लिए मजबूर हो गईं.
शुक्राचार्य की चतुराई के आगे फेल रहे संध्या इंद्र
शनिदेव को दोषी ठहराए जाने के लिए माता संध्या और इंद्र की चालबाजियों को भगवान विश्वकर्मा पहले ही भांप चुके थे, उन्होंने तत्काल संध्या को अपनी सभी संतान यानी यम यमी और शनि की सौगंध खाकर सच बोलने को कहा. इस पर घबराई संध्या ने शनिदेव की साजिश का खुलासा कर दिया और बताया कि उनका अपहरण खुद इंद्र देव ने दैत्य सेनापति व्यक्तगण के हाथों कराया, जहां समय रहते पहुंचकर शनि ने उनकी जान बचा ली.
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