Mahima Shani dev Ki: शनिदेव माता छाया की मौत के बाद सूर्यलोक त्याग चुके थे. ऐसे में उनके वाहन और मित्र कौए ने उन्हें काकलोक चलने के लिए कहा, लेकिन शनि को खोजते हुए राक्षस राहु भी वहां पहुंच गया. उसने देवताओं के प्रति अपनी शत्रुता के चलते शनि को देवों के विरुद्ध करने के प्रयास कर दिए.
राहु अपने उद्देश्य में काफी कुछ सफल हो गया, क्योंकि शनि काकलोक में काकोल की माता को भस्म होने के बाद इंद्र के विरोध में उतर आए. वह इंद्र देव को दंडित करने के बाद भाई यम के भी आमने-सामने हो गए. राहु ने देवताओं के प्रति शत्रुता के चलते यम को शनि के हाथों मरवाने के प्रयास में असफल होने पर काकलोक में बंदी बनवा दिया. इधर, यम की गैरमौजदूगी से सूर्य लोक में परेशान माता संध्या को सूचना देने के लिए काकोल चुपके से वहां पहुंचा तो पूरी कथा सुनकर संध्या भयांकित हो गईं. उन्होंने सूर्यदेव से यम को मुक्त कराने की गुहार लगाई. इसी वक्त राहु ने सूर्यलोक पहुंच कर सभी को अपनी और शनि की योजना बताकर सन्न कर दिया. मगर पहले से मौजूद इंद्र को शनि को प्रहार अब तक नहीं भूले थे, वह और व्यथित हो उठे. राहु ने देवराज सूर्य समेत सभी देवों को चेताया कि जल्द ही वह पदभार नहीं छोड़ते तो शनि भीषण रक्तपात करेंगे, जिससे तीनों लोक त्राहि त्राहि कर उठेंगे.
सूर्य देव ने युद्ध की चुनौती स्वीकारी मगर शनि को दिया मौका
राहु के सूर्यलोक में आकर देवताओं को शनि के खिलाफ उकसाने की बातों को सूर्यदेव ने गंभीरता से लेकर कहा कि वह शनि से एक बार जरूर बात करेंगे, लेकिन अगर वह युद्ध ही चाहते हैं तो उन्हें देवलोक पाने के लिए युद्ध ही करना होगा. इस तरह राहु के योग से शनि दंडनायक बनकर सृष्टि का संहार करने के लिए तैयार हो गए.
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