Mahima Shani dev Ki: समुद्र मंथन के दौरान अमृत पीने की कोशिश में प्रभु विष्णु के कोप का भाजक बने राहु ने देवताओं के विनाश का संकल्प ले रखा था. जिस प्रयोजन के लिए राहु ने शनिदेव की मदद ली. उसने दंडनायक बन चुके शनि को देवों के प्रति युद्ध छेड़ कर माता छाया के अपमान का बदला लेने के लिए तैयार किया और खुद सूर्यलोक जाकर नए देवराज सूर्य को शनि का प्रस्ताव सुना डाला.
साथ ही देवाओं को चेतावनी दी कि वे जल्द देवलोक खाली नहीं करते हैं तो उन्हें शनि का आघात सहना होगा. बेटे शनि के इस प्रस्ताव पर सूर्यदेव आगबबूला हो उठे तो भगवान विश्वकर्मा चिंतित हो गए. इंद्र भी सूर्यदेव को बेटे शनि के प्रति उकसाने के सभी प्रयास करते रहे. मगर जब राहु शनि को देवाओं का फैसला बताया तो शनि ने देवों को उनके कर्मों के लिए दंडित करने का ऐलान कर दिया.
विश्वकर्मा ने छुपाया दिव्यदंड, शनि से हुई झड़प
भगवान विश्वकर्मा जानते थे कि शनि ने देवों के खिलाफ राहु के प्रभाव में आकर पूरी सृष्टि का विनाश करने का फैसला कर लिया है. शनि का सबसे पहला प्रहार देवों को झेलना होगा, ऐसे में अगर शनि को दिव्यदंड मिल गया तो वह पूरी सृष्टि को एक ही पल में खत्म कर देंगे. ऐसे में उन्होंने महादेव का आह्ववान कर दिव्यदंड छुपा दिया. इस बीच शनि ने वहां पहुंचकर नाना से दिव्यदंड मांगा तो उन्होंने इनकार कर दिया.
इससे क्रोधित शनि ने उन्हें कोई कष्ट नहीं देने का वादा किया फिर भी विश्वकर्मा दिव्यदंड नहीं देने के फैसले पर अडिग रहे. यह देखकर शनिदेव ने अपने प्रभाव से खुद दिव्यदंड तलाश कर धारण कर लिया. इस बीच वहां पहुंच चुके राहु ने भगवान विश्वकर्मा को बंधक बनाने को कहा तो शनि ने नाना के उपकारों का हवाला देकर राहु को इनकार कर दिया. साथ ही वादा कि वह सिर्फ देवराज और उन देवों को उनके कर्मों का दंड देंगे, जिन्होंने उनकी मां छाया को उनसे दूर करने का प्रयास किया. इस कथन से निरुत्तर हुए विश्वकर्मा ने शनिदेव की बात मान ली.
पति ने अभिषेक ठुकराया तो संध्या ने लिया संकल्प
पौराणिक कथाओं के अनुसार बेटे यम को शनिदेव की कैद से छुड़ाने के लिए सूर्यदेव काकलोक में युद्ध पर जाने के लिए तैयार हुए तभी अभिषेक करने पत्नी संध्या आ गईं. बेटे के विरुद्ध युद्ध और उनके विनाश के लिए पति का अभिषेक करने पर सूर्यदेव ने संध्या को कड़ी फटकार लगाई. उन्होंने संध्या का अभिषेक ठुकराते हुए शनि को एक बार मनाकर शांत कराने की बात कहते हुए काकलोक के लिए चल पड़े. यह देखकर संध्या ने शनि को हर सूरत में देवों के साथ युद्ध में वध कराने का संकल्प ले लेती हैं.
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