Mahima Shani Dev Ki: शनि देव (Shani Dev) मां छाया के प्राण संकट में पड़ने पर बचाने के लिए कैलास पहुंचे, जहां उन्हें एक अखंड प्रतिज्ञा लेनी पड़ी. शनि देव (Shani Dev) की माता सूर्य देव की पत्नी संध्या की छाया थीं. संध्या ने उन्हें तप पर जाने से पहले पति और बच्चों की देखभाल के लिए सूर्यलोक में उत्पन्न किया था, लेकिन तप पूरा होने के साथ संध्या की वापसी हुई तो छाया का अंत होना था. इसके लिए उनके शरीर में विकार शुरू हो गए. इन्हें बढ़ता देखकर खुद शनि देव उनके प्राणों का दान मांगने महादेव के पास कैलास पहुंच गए.


महादेव को किया मजबूर
कर्मफलदाता होने के कारण शनि को अब न्यायकर्ता की जिम्मेदारी उठानी थी, इसलिए उनका सभी मोह बंधनों से मुक्त होना जरूरी था, लेकिन उनका मां के प्रति बढ़ता लगाव देवों के लिए चिंता का कारण बन गया. ऐसे में देवराज इंद्र ने कैलास के मार्ग पर उनके सामने कई बाधाएं पैदा की, लेकिन शनि देव उन्हें पार कर महादेव के समक्ष पहुंच गए. ऐसे में भोलेनाथ को उनके कर्मों का फल देने के लिए मजबूर होना पड़ा. इस यात्रा के दौरान शनिदेव का वाहन कौआ भी अग्निदेव की ज्वाला में जलकर भस्म हो गया. इससे व्यथित शनि ने महादेव से मां और कौए दोनों के लिए प्राणदान मांगे. भोलेनाथ ने सिर्फ एक ही जीवनदान देने की बात कही तो शनि ने मां के बजाय कौए के प्राण वापस मांग लिए. महादेव ने उनकी यह इच्छा पूरी कर दी.


सभी लोभ-मोह, पक्ष, संबंध त्यागने का लिया संकल्प
शनि देव कौए का प्राणदान मांगने के बाद महादेव से माता छाया के लिए भी जीवन मांगा, लेकिन इससे पहले उन्होंने महादेव के शीश से निकलीं गंगा जल लेकर संकल्प लिया कि अगर मां छाया को प्राणदान मिलता है तो वह अब कभी भी किसी लोभ, मोह, पक्षपात या संबंध में नहीं बंधेंगे. वह पूरी तरह सत्य और न्याय का साथ देंगे. उनका न किसी से कोई संबंध होगा, न दुराव. हर प्राणी के साथ उसके कर्माें के अनुसार ही व्यवहार करेंगे. इस बीच सूर्य लोक में माता छाया का विचित्र घाव देखते ही देखते पूरी तरह ठीक हो गया. यह देखकर भगवान विश्वकर्मा को भरोसा हो गया कि शनिदेव अपने प्रयास में सफल हो गए, अब छाया को कोई नहीं मिटा सकता है. उधर, महादेव के सामने अखंड प्रतिज्ञा कर शनिदेव कैलाश से सूर्यलोक माता छाया के पास लौट आए. 


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