Mahima Shani Dev Ki: शनि देव (Shani Dev) सृष्टि में सभी को उनके कर्मों का फल देने के लिए सृजित किए गए थे. ऐसे में त्रिदेवों ने पृथ्वी का सृजन किया. यहां प्राणी की नई जाति मनुष्य को मनु और सतरूपा के तौर पर जगह मिली. मगर महादेव की शर्त के चलते यम को पृथ्वी पर निष्कासित कर दिया गया था. इसका पता जब शनिदेव की माता छाया को लगा तो वह व्यथित हो गईं. इधर असुरों के सेनापति व्यक्तगण ने पृथ्वी पर दैत्यों के कब्जे के लिए मनु और सतरूपा को खत्म करना चाहा. पूरी असुर सेना उन्हें तलाशने में जुट गई. असुरों की मंशा भांप चुके यम ने मनु और सतरूपा को बचाने का प्रयास किया, लेकिन तब तक मां के आदेश पर यम की रक्षा के लिए शनि भी असुरों के संहार करने पहुंच गए.
व्यक्तगण के मायावी बाण ने ली यम की जान
दैत्यगुरु शुक्राचार्य के सेनापति व्यक्तगण ने गुरु को धोखा देकर पृथ्वी पर आक्रमण किया था, जिसका पता चलने पर शक्राचार्य भी धरतीलोक पहुंच गए, लेकिन भ्रम की स्थिति में वह देवों के साथ युद्ध में जुट गए. तभी मौका पाकर व्यक्तगण ने यम को मारने के लिए मायावी बाण चला दिया, जिसके लगते ही यम गिर गए और उनकी मृत्यु हो गई. यह देखकर देवों में कोहराम मच गया. इस तरह पृथ्वीलोक पर मृत्यु पाने वाले वो पहले प्राणी बने.
शनि पर टूटा पिता का प्रकोप
यम की मृत्यु से आहत शनिदेव ने इसके लिए खुद को जिम्मेदार माना. व्यक्तगण के हमले के समय शनि के पास भाई या ब्रह्मा सृजित मनु और सतरूपा को बचाने का मौका था, ऐसे में उन्होंने कर्तव्य को प्राथमिकता दी और मनु, सतरूपा की जान बचाई. तब तक व्यक्तगण के बाण से यम धराशायी हो गए. शनि उन्हें लेकर सूर्यलोक पहुंचे तो पिता सूर्यदेव ने उन्हें खूब खरीखोटी सुनाते हुए दंड देने का ऐलान कर डाला.
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