Mahima Shanidev Ki: महादेव भोलेनाथ ने विश्व में न्याय का संतुलन और अन्यायियों को मार्ग पर लाने के लिए शनिदेव को कर्मफलदाता के तौर पर उत्पन्न किया था. मगर देवताओं से प्रतिशोध की आग में जल रहे राक्षस राहू ने उन्हें देवताओं के विरुद्ध का दंडनायक बनने को मजबूर कर दिया. दोनों के साथ से बने शापित योग ने शक्तिशाली प्रारूप लिया कि शनिदेव के आक्रोश को देखते हुए त्रिदेव भी भयांकित हो उठे. खुद महादेव ने विष्णुजी ने शनि को शांत कर वाने में असमर्थता जताई और चेताया कि जल्द ही शनिदेव अपने मूल रूप में नहीं लौटे तो सृष्टि का संहार हो जाएगा.
काकौल की मां से मिला प्रेम, लेकिन उन्हें ही बचा नहीं सके
शनिदेव काकलोक पहुंचे तो यहां उनके वाहन कौए की माता ने उन्हें अपने पुत्र की तरह प्यार-दुलार दिया, लेकिन यहां भी इंद्र ने चाल चली और शनि से बदला लेने के लिए राक्षस राहु को देवता बनाने का लोभ देकर काकलोक में शनि की खोज में तांडव करा दिया. यह देखकर शनि देव सामने आए तो इंद्र ने यम को शनिदेव के सामने खड़ा कर दिया. मगर दोनों के बीच जब माता संध्या को लेकर चल रहा भ्रम दूर हुआ तो यम शनि की बात मान गए और दोनों भाई में मिलाप हो गया. यह देखकर इंद्र गुस्से से भर उठे, उन्होंने काकोल की मां को जलाकर भस्म कर दिया, जिससे शनि यम को दोषी मानकर उन्हें मार डालें. मगर राहु ने यहां भी चाल चली और शनि को पूरी सच्चाई बयां कर दी. इस तरह राहु और शनि का शापित योग तीनों लोकों के लिए मुसीबत बन गया.
काकोल की मां को न्याय दिलाने के लिए बने दंडनायक
काकोल के पिता को माता को सुरक्षित लाने का वादा कर शनि जब उन्हें राक्षस विकराल के पास पहुंचे तो माता को बंधा देखकर वह क्रोध से भर गए और विकराल को मार्ग पर लाने के लिए चेतावनी दी, वह अभी माना ही था कि इंद्र ने आकर उसका वध कर दिया. साथ की ये दिलासा दिया कि वह खुद शनि को काकोल की मां को खोलने में मदद कर रहे हैं. इधर, यम के साथ विवाद न बढ़ते देखकर इंद्र ने उन्हें जवाला से भस्म कर दिया, जिन्हें बचाने के लिए गए शनिदेव क्रोध में आपे से बाहर हो गए और दंडनायक स्वरूप में आ गए, जिससे तीनों लोक थर्रा उठे.
इन्हें भी पढ़ें
'चंद्र ग्रहण' से 'सूर्य ग्रहण' तक इन राशि वालों को रहना होगा सावधान
कार्तिक पूर्णिमा कब है? इस दिन लक्ष्मीजी की कृपा पाने का विशेष संयोग