Mahima Shani Dev Ki: शनिदेव धरती पर देव और असुरों के बीच युद्ध के पहले योद्धा थे. वह अपने भाई यम को बचाने के लिए पृथ्वी पर पहुंचे, लेकिन जब यम असुरों के हमले में मारे गए तो शनिदेव ने खुद को इसके लिए दोषी मानते हुए सूर्यलोक छोड़ दिया. वह जल समाधि लेने चले गए, लेकिन माता छाया उन्हें मनाकर वापस ले आईं. मगर यम की मृत्यु पर सभी दुखी थे तो महादेव प्रकट हुए. देव-दानवों ने पूछा कि पृथ्वी की उत्पति के बाद हुए युद्ध में यम की मृत्यु का क्या औचित्य रहा, जबकि बाकी सभी लोग सुरक्षित हैं, तो महादेव ने बताया कि जीवन प्रक्रिया के आधार पर शनि ही सबसे समझा सकते हैं.


शनिदेव के बताए जीवन के आधार
- पृथ्वी पर जीवन केवल मनुष्य की उत्पति नहीं थी, बल्कि मानव, दानव और देवों और हरजाति को सीख देनी थी.
- सामने आने वाली हर बाधा का एक प्रयोजन होता है, यम की मृत्यु के पीछे भी एक प्रयोजन था.
- हर प्रारंभ छोटे पगों से होता है, आधार से ही प्रारंभ करके कोई शिखर तक जा सकता है.
- हर यात्रा हर लक्ष्य के मार्ग में कुछ बाधाएं आती हैं तो हमारे अपने और संसार के हर तत्व आपके विरुद्ध हो जाते हैं, ताकि वह हमारी ताकत जान सकें और अगर हम पर्याप्त शक्तिशाली नहीं है तो हमें पीछे धकेल सकें.
- फिर भी अगर उद्देश्य महान और प्रयत्न अथक है तो स्वयं विष्णु हमें मार्ग दिखाते हैं, कि यात्री लक्ष्य तक पहुंचेगा या नहीं ये उसकी यात्रा नहीं, उसका मार्ग तय करता है, जब प्रश्न मार्ग के चयन का हो तो उत्तर चलकर मिलता है पूछकर नहीं.
- यात्रा पूरी करने पर हमें महादेव मिलते हैं यानी आत्मा का परमात्मा से मिलन होता है.
- जो यात्रा पूर्ण नहीं करता, उसे बार-बार प्रारंभ करना होता है, इसके लिए उसे बार-बार जन्म लेता है, इसलिए पृथ्वीलोक को मृत्युलोक कहा जाएगा.
- जब तक हम मोक्ष पाकर परमात्मा से एककार नहीं होते हमें जन्म से मृत्यु तक यात्रा करती रहनी होगी.


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