Mahima Shani Dev Ki: माता छाया के विलुप्त होने के बाद सूर्यलोक त्याग चुके शनिदेव अपने वाहन कौए के लोक पहुंचे तो एक और मुसीबत उनका इंतजार कर रही थी. यहां के निवासियों पर एक दुष्ट कौआ देवताओं से सांठगाठ कर अत्याचार कर रहा था. सभी काकलोक वासी उससे परेशान थे. एक दिन उसने शनि के वाहन कौए पर रत्न चोरी का आरोप लगाकर प्रताड़ित करना शुरू कर दिया. यह देखकर कौए ने शनि उसे बचाने की गुहार लगाई, लेकिन शनि मोह, द्वेष और पक्ष-विपक्ष से परे होने के चलते कोई मदद करने के बजाय वहां से चले गए. यह देखकर कौआ और उसके माता-पिता भी हैरान रह गए.
पीछा कर रहे राहु को दबोचा
पौराणिक कथाओं के अनुसार शनि काकलोक में आने के बाद से ही शंकित थे कि कोई अनजान शक्ति उनका पीछा कर रह रही है. कौए की मदद की गुहार ठुकरा कर शनि ने इस शक्ति को पकड़ना चाहा तो एक अनजान शक्ति पकड़ में आई, जिसके जरिए काकलोक में दुष्ट कौआ सबका शोषण कर रहा था. शनि ने उससे खुद पीछा किए जाने की वजह पूछी तो उसने देवताओं को कोसते हुए शनि के सामने मित्रता का प्रस्ताव रख दिया. मगर पहले ही हर मोहबंधन से मुक्त हो चुके शनि ने आग्रह ठुकराते हुए उसे तत्काल दुष्ट कौए को सबक सिखाने के आदेश दिए. शनि से मित्रता के लिए आतुर राहु ने अपना परिचय देते हुए दुष्ट कौए को रोक दिया.
राहु ने बताई देवताओं से शत्रुता की वजह
राहु ने शनि से मित्रता का प्रस्ताव रखते हुए शनि को उकसाया कि वह देवताओं के नाश के लिए अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करें, जिन्हें पाने में वह उनकी मदद करेगा. उसने बताया कि साजिश के तहत उसे अमृत पीता देखकर उस पर हमला कर उसे दंडित किया गया. मगर शनिदेव ने उसके प्रस्ताव को ठुकरा दिया. शनि देव ने दो टूक कहा कि वह देवताओं को सीख नहीं देंगे, समय के साथ उनके अपराधों का न्याय होगा. मगर राहु ने कोई भी अनैतिक कार्य किया तो उसे मार्ग पर लाने के लिए वह उसे जरूर दंडित करेंगे. इसके बाद राहु ने काकलोक को अपने नियंत्रण से मुक्त कर दिया.
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