Mahima Shanidev ki: शनिदेव ने महादेव से मां की जगह वाहन कौए के लिए मांगा था जीवनदान, जानिए क्या थी वजह
Mahima Shanidev ki: कर्मफलदाता शनि देव न्यायकर्ता थे, ऐसें में कैलाश यात्रा में महादेव ने उनसे मां और वाहन कौए में एक का जीवन बचाने के लिए कहा तो शनि ने अपने वाहन कौए का नाम लिया, जानिए क्या थी वजह.
Mahima Shanidev ki: शनि देव को न्यायधिकारी बनने के लिए सभी प्रकार के मोह से भंग होना जरूरी था, जिससे वह निष्पक्ष होकर सभी के साथ न्याय कर सकें और सभी को कर्मों का फल दे पाएं. मगर समय बीतने के साथ उनका मां छाया के साथ जुड़ाव और बढ़ता गया. मां छाया सूर्य देव की पत्नी संध्या की परछाई होने के चलते जल्द विलुप्त होने वाली थीं, लेकिन शनि न सिर्फ इससे अनभिज्ञ थे, बल्कि वह माता को एक क्षण के लिए भी दूर नहीं होने देना चाहते थे. यह देखकर देवताओं ने उन्हें माता से विरक्त करने के कई नाकाम प्रयास किए.
नाना विश्वकर्मा से सुझाया था उपाय
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मां की बिगड़ती हालत देखकर शनि ने नाना भगवान विश्वकर्मा से उपाय पूछा तो उन्होंने सलाह दी कि मां का उपचार सिर्फ भोलेनाथ की इच्छा से ही हो सकता है. यह सुनकर शनि ने तय किया कि वह माता की जान बचाने के लिए कैलास जाकर महादेव से प्राणदान मांगेंगे. उनके इस निर्णय ने देवों में खलबली मचा दी. देवराज इंद्र ने मार्ग में बाधाएं डालने के लिए वायु देव और जल देव को भेजकर तूफान, बारिश, बाढ़ उत्पन्न कराई, लेकिन शनि सब कुछ पार कर आगे बढ़ते गए. ऐसे में उन्होंने अग्नि देव को भेजा, जिन्होंने उबलते लावे की नदी बना दी, जिससे आगे जा पाना शनि देव के लिए कठिन हो गया. पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसे में अचानक उनका मित्र और वाहन कौआ वहां आ गया और वह उन्हें बिठाकर उस लपटों से भरी नदी पार कराने लगा, लेकिन एक समय के बाद वह थक गया तो उसने शनि से कहा कि वह छलांग लगाकर आग पार कर जाएं, क्योंकि अब भीषण आग से उसका जलकर राख हो जाना निश्वित है. शनि के छलांग लगाकर आग पार करते ही कौआ उसी ज्वाला में जलकर राख हो गया. यह देखकर शनि देव दुख से व्यथित हो गए.
महादेव से मांगे प्राण
सभी बाधाएं पार कर कैलास पहुंचे शनि देव को महादेव ने दर्शन दिया और उनके मन की इच्छा जाकर महादेव ने उनसे कहा कि वह सिर्फ एक जान बचा सकते हैं, चाहे मां की या अपने मित्र वाहन कौए की. पौराणिक कथाओं के अनुसार शनि ने महादेव से कहा कि वह मां या मित्र कौए में से कौए के प्राण वापस दिलाना चाहता है. कारण पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि मां का अपने पुत्र से प्रेम करना उसका लालन-पालन करना कर्तव्य है, लेकिन कौए से उनका कोई रिश्ता नहीं था, उसकी कोई बाध्यता नहीं थी, लेकिन उसने निस्वार्थ सहयोग के लिए अपनी जान दे दी, ऐसे में वह मां के बजाय कौए का जीवनदान मांगेंगे. इस तरह शनि ने मां के बजाय अपने मित्र वाहन की जान बचाकर खुद को एक बार फिर न्यायधिकारी साबित किया.
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