Mahima Shanidev Ki: शनिदेव को रोकने के लिए देवराज ने अग्निदेव को चुना अंतिम प्रहार, ले ली सबसे प्रिय की जान
Mahima Shanidev Ki: शनिदेव महादेव से माता के प्राण लौटाने की इच्छा से कैलास चले तो इंद्र ने मार्ग बाधित कराया पर शनि बाधाएं पार कर गए तो अंतिम अस्त्र बनकर आए अग्निदेव के ताप से शनि भी व्यथित हो गए.
Mahima Shanidev Ki: शनिदेव (Shani Dev) के न्याय के कारण अपने कर्मों की सजा पाने वाले इंद्रदेव बदला लेने के प्रयत्न में जुटे रहते थे. उन्होंने देवलोक पर दानवों से आक्रमण, धर्मराज प्रतियोगिता तक कराई, लेकिन हर जगह उन्हें शनिदेव से परास्त होना पड़ा. मगर जब अपनी माता छाया के प्राण बचाने के लिए शनिदेव ने महादेव से मदद मांगने के लिए कैलास जाने का निर्णय किया, उनके इस फैसले से देवताओं से लेकर दानवों तक में खलबली मच गई.
इधर, देवपुत्र होने के नाते देवराज शनिदेव को अपने वश में करने के लिए सभी प्रयत्न करने में जुटे थे. यह उनके लिए एक मौका बन गया. जब सभी देवता शनिदेव को मां से विरक्ति के लिए उनकी कैलास यात्रा को बाधित करने के लिए एक मत हो गए. खुद श्रीहरि ने भी नियति बदलने के इस प्रयास पर चिंता जताई क्योंकि खुद महादेव ने स्पष्ट कर दिया था कि अगर शनि उन तक पहुंच गए और सच्चे मन से प्रार्थना की तो उन्हें फल देना ही होगा.
वायु, जलदेव के प्रयास निरर्थक
शनिदेव को कैलास पहुंचने से रोकने के लिए इंद्रदेव ने उनके मार्ग में बाधाएं उत्पन्न करने के लिए वायुदेव, जलदेव को आदेश दिया. इन देवों ने शनि के मार्ग में तूफान, बारिश और भूस्खलन पैदा किए, लेकिन शनिदेव अपने पराक्रम से इन्हें पार करते गए. ऐसे में जब कैलास से महज कुछ देरी तक शनिदेव पहुंच गए तो इंद्र ने अपने सबसे विश्वासपात्र अग्निदेव को आदेश दिया कि वह इतनी प्रचंड गर्मी ज्वाला पैदा करें, जिससे शनिदेव मार्ग छोड़ने को विवश हो जाएं या भस्म हो जाएं. आदेश पाकर अग्निदेव ने बर्फ से ढके पर्वत के बीच खौलते लावा की नदी बना दी, जिसके चलते शनिदेव का मार्ग अवरुद्ध हो गया. यह देखकर इंद्र प्रसन्नता से अट्ठाहस करने लगे, तभी शनिदेव ने मां और महादेव का स्मरण कर पूरे सामर्थ्य से लावे से भरी नदी को पार करने के लिए कूद गए.
ऐन वक्त पर कौआ बना सहारा
शनिदेव ने जैसे ही खौलते लावे से भरी नदी में छलांग लगाई और वह गिरने लगे, तभी उनका वाहन कौआ आ गया और उसने शनिदेव को पीठ पर बैठाकर उड़ान भर दी. यह देखकर इंद्र और परेशान हो गए और उन्होंने अग्निदेव को अपनी ज्वाला और बढ़ाने का आदेश दे दिया. अग्निदेव ने ऐसा ही किया, जिससे पूरी नदी से भयंकर लपटें उठने लगीं और कौए के पंख झुलसने लगे, यह देखकर शनि व्यथित हो गए और कौए को वापस जाने को कहा, लेकिन कौए ने इनकार कर दिया, उसने कहा कि वह शनि को आग की नदी पार करवाकर ही लौटेगा. यह देखकर शनि ने नदी के दूसरे किनारे के लिए छलांग लगा दी, लेकिन कौआ नदी की ज्वाला में जलकर राख हो गया. किनारे पर पहुंच चुके शनिदेव अपने मित्रवाहन के इस तरह चले जाने से व्यथित हो गए.
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