नई दिल्ली: मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2020) को लेकर कुछ लोगों में भ्रम की स्थिति है. यह भ्रम की स्थिति मकर संक्रांति की तारीख को लेकर है. कुछ लोगों का कहना है कि यह 14 जनवरी को है वहीं कुछ लोग मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को मना रहे हैं. लोगों को यह सवाल सबसे अधिक परेशान कर रहा है कि वे मकर संक्रांति के पर्व को किस दिन मनाएं. किस दिन मनाई जानी चाहिए मकर संक्रांति इसके लेकर यहां आपको सारी जानकारी मिल जाएगी.
मकर संक्रांति का सीधा संबंध सूर्य से है. मान्यता और ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक जब सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो इस प्रक्रिया को ही मकर संक्रांति कहते हैं. अधिकांशत: सूर्य का ये गोचर प्रति वर्ष 14 जनवरी को होता है लेकिन इस बार यह 15 जनवरी को हो रहा है. इसलिए इस वर्ष मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को है. इसलिए मकर संक्रांति की तारीख को लेकर किसी प्रकार कोई भ्रम न रखें. क्योंकि सूर्य के गोचर को ही संक्रांति कहते हैं.
इस दिन सूर्य भगवान की पूजा की जाती है. हिंदू धर्म में इस पर्व का खासा महत्व है. इस दिन इसे मोक्ष का पर्व भी कहा जाता है. इसीलिए इस दिन नदियों में स्नान करने की परंपरा भी है. इस दिन सूर्य तुला राशि में नीच का और मेष राशि में उच्च का हो जाता है. वहीं मकर राशि सूर्य के शत्रु ग्रह शनि की राशि है.
सभी जानते हैं कि सूर्य और शनि के बीच पिता-पुत्र का संबंध है लेकिन दोनों को एक दूसरे का शत्रु माना जाता है. लेकिन इस दिन पिता अपने पुत्र के घर आते हैं. इसका संबंध सुख समृद्धि से होता है. इस दिन नदी में स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है और कई तरह के असाध्य रोग दूर हो जाते हैं ऐसी भी मान्यताएं हैं. इस दिन लोग दान भी करते हैं.
मकर संक्रांति के दिन घरों में भी विशेष पूजा अर्चना की जाती है. इसके बाद खिचड़ी खाने की भी परंपरा है. एक मान्यता है कि इस दिन किया गया दान सभी दानों में श्रेष्ठ होता है. मकर संक्रांति के दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं जो बहुत ही शुभ माना जाता है.