मकर संक्रांति हिन्दू धर्म के प्रमुख पर्वों में से एक है. इस दिन सूर्य, मकर राशि में प्रवेश करता है. लोग सुबह सवेरे स्नान और पूजा पाठ करने के बाद दान करते हैं. ये एक पुराना त्यौहार है और सैकडों सालों से सनातन धर्म का हिस्सा रहा है. इस दिन देश के कई इलाकों में पतंगबाजी होती है और लोग धूमधाम से साथ मकर संक्रांति का पर्व मनाते हैं. इस दिन तिल, गुड़, गजक और मूंगफली आदि बांटे जाते हैं और चाव से खाए भी जाते हैं.
कुछ इलाकों में इस त्यौहार को खिचड़ी कहा जाता है तो दक्षिण भारत में इस त्यौहार को पोंगल के रूप में मनाते हैं. नई फसल आने की खुशी भी इस त्यौहार का मजा दोगुना कर देती है. वैसे ये पुराने त्यौहार मुख्य तौर पर किसानों के त्यौहार होते हैं, आम जनता के त्यौहार होते हैं. जहां मकर संक्रांति अपने ज्योतिषीय महत्व के कारण महत्वपूर्ण है वहीं समाज को जोड़ने में भी इसकी बड़ी भूमिका है.
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आपको बता दें कि मकर संक्रांति के दौरान सूर्य, धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है और उत्तरायण होता है. ऐसा भी माना जाता है कि आज से मौसम थोड़ा गर्म होने लगता है और ये सूचक है कि अब बसंत बस आने ही वाला है. इस दिन गंगा स्नान का भी बड़ा महत्व है और देश भर के श्रद्धालु गंगा नदी में स्नान करने के लिए दूर दूर से आते हैं.
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कहा तो ये भी जाता है कि इस दिन खुद देवता धरती पर गंगा स्नान के लिए आते हैं. इस दिन लोग दान भी करते हैं. इसके दो कारण हैं. पहला कारण सामाजिक समरसता का है. समाज के सभी वर्गों के लोग मिल कर ये त्यौहार मनाते हैं. दूसरा कारण है गरीबों की मदद करना. समाज के ऐसे लोग जो धन अभाव के कारण त्यौहार नहीं मना पाते, ऐसे लोगों की भी मदद हो.