Makar Sankranti 2021: मकर संक्रांति को खिचड़ी का पर्व भी कहा जाता है. बाबा गोरखनाथ से जुड़ा है इस पर्व का इतिहास
Makar Sankranti 2021: मकर संक्रांति को खिचड़ी का पर्व भी कहा जाता है. इस दिन खिचड़ी खाने की परंपरा है. वहीं खिचड़ी का दान भी किया जाता है. इसके पीछे एक गौरवशाली इतिहास है, आइए जानते हैं.
Makar Sankranti 2021: मकर संक्रांति 14 जनवरी को पूरे देश में मनाई जाएगी. पंचांग के अनुसार इस दिन पौष शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि है. सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होता है तो इसे मकर संक्रांति कहा जाता है. मकर संक्रांति पर दान, स्नान और पूजा का विशेष महत्व बताया गया है.
मकर संक्रांति पर किया गया दान अक्षय फल प्रदान करता है. मकर संक्रांति को खिचड़ी का पर्व भी कहा जाता है. इस दिन देवताओं को खिचड़ी को भोग लगाया जाता है और प्रसाद के रूप में खिचड़ी को ग्रहण किया जाता है. मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी के दान और भोग से जुडीं कई कहानियां हैं जिनमें से कुछ इतिहास से भी जुड़ी हुई हैं. आइए जानते हैं इन कहानियों के बारे में-
बाबा गोरखनाथ से जुड़ी है खिचड़ी की परंपरा पौराणिक कथा के अनुसार 13 वीं शताब्दी में अलाउद्दीन खिलजी जब दिल्ली सल्तनत का सुल्तान बना तो उसने उत्तर भारत पर अधिकार जमाने के लिए आक्रमण कर दिया. खिलजी की सेना को रोकने के लिए बाबा गोरखनाथ और उनके भक्तों ने मोर्चा संभाल लिया. बाबा गोरखनाथ को शिव का अवतार माना जाता है. बाबा गोरखनाथ और उनके भक्तों ने खिलजी की विशाल सेना से बराबर लोहा लिया. अलाउद्दीन खिलजी की सेना से ये बाबा के भक्त भूखे प्यासे लड़ते रहे. लगातार युद्ध के कारण बाबा गोरखनाथ के भक्तों को भोजन बनाने का समय ही नहीं मिलता. इस कारण भक्त कमजोर होने लगे और रणभूमि में परास्त होने लगें. स्थिति को देखते हुए तब बाबा गोरखनाथ ने चावल, दाल और मौसमी सब्जियों की मदद से एक पकवान तैयार किया. जिसे उन्होंने नाम दिया खिचड़ी.
बाबा के भक्त खिचड़ी बनाते और खाते. इससे खाने से उनके शरीर में ऊर्जा आ जाती है और दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब देते. खिचड़ी के सेवन से भक्तों को रणभूमि में युद्ध करते समय कमजोरी भी महसूस नहीं होती थी. बाबा और भक्तों का यह उत्साह देख अलाउद्दीन खिलजी की विशाल सेना बुरी तरह से घबरा गई. तभी से इस पर्व पर खिचड़ी बनाने और खाने की परंपरा की शुरूआत हुई.
नाथ योगियों में मकर संक्रांति का पर्व बड़ी ही धूमधाम से मनाने की परंपरा है. खिचड़ी को इस दिन प्रसाद के तौर ग्रहण किया जाता है. मकर संक्रांति के दिन गोरखपुर में बाबा गोरखनाथ मंदिर की ओर से खिचड़ी मेला भी आयोजित किया जाता है. इस दिन बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी का भोग लगाया जाता है. मकर संक्रांति के पर्व पर खिचड़ी का दान भी दिया जाता है.